करोड़ों लोग प्रभावित : चार दिनों से अमेरिका (America) भीषण बर्फीले तूफान की चपेट में कराह रहा, जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त
मुख्यधारा डेस्क
पिछले 4 दिनों से संयुक्त राज्य अमेरिका जबरदस्त भीषण बर्फीले तूफान की चपेट में कराह रहा है। इसके साथ कनाडा में भी बुरा हाल है। अमेरिका में बर्फीले तूफान ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। अमेरिका में क्रिसमस के दौरान आए बर्फीले तूफान से देश के करीब 20 करोड़ लोग बुरी तरह प्रभावित हैं। 49 लोगों की मौत हो चुकी है। घरों से लेकर सड़कों, रेलवे स्टेशन, स्पोर्ट्स स्टेडियम और एयरपोर्ट्स शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां शीतलहर और बर्फ न दिखाई पड़ रही हो। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। काम धंधे, बिजनेस, नौकरी सब कुछ इस बर्फीले तूफान ने ठप कर दी है।
भीषण बर्फबारी से जूझते अमेरिका की खबरें पूरी दुनिया भर में सुर्खियों में बनी हुई है। बर्फीले तूफान के साथ टेंपरेचर भी करीब -45 तक पहुंच गया है। वहीं आवागमन पर भी बुरा असर पड़ा है। ट्रेनों के साथ करीब 12 हजार फ्लाइट्स भी रद की गई है। अमेरिका में चारों ओर ठंडी हवाएं और गलन के साथ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है। सड़कों पर भीषण बर्फबारी के बाद वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं।
बता दें कि अमेरिका में 50 राज्य हैं जिनमें से करीब 48 राज्यों में कड़ाके की ठंड और बर्फीले तूफान ने कहर मचा कर रखा हुआ है। कई शहरों में कई दिनों से बत्ती गुल है। नलों में पानी जम गया है।लोग घरों, कारों और रेस्टोरेंट में कई घंटों से फंसे हुए हैं। सड़क, रेल और हवाई यातायात पूरी तरह से ठप हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका के पश्चिमी राज्य मोंटाना में न्यूनतम तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया।
नेशनल वेदर सर्विस का कहना है कि डेस मोइनेस, आयोवा में तापमान -37°F (-38°C) रहा, जो 5 मिनट से भी कम समय में फ्रॉस्टबाइट पैदा कर सकता है। आसान शब्दों में कहें तो अगर इस स्थिति में आदमी खुली हवा के संपर्क में आए तो ठंड से उसकी स्किन डेड हो सकती है। इस आपदा में अभी तक करीब 49 लोगों की मौत की भी खबर है। इसका सबसे ज्यादा असर न्यूयॉर्क, नॉर्थ कैरोलिना, वर्जीनिया और टेनेसी में है। चार दिन से जारी भारी बर्फबारी से कई शहरों के हालात बदतर हो गए हैं।
सबसे ज्यादा 27 मौत न्यूयॉर्क में हुई है। वहीं, न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने शहर में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। यहां भी तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। हालात कितने बुरे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घरों के अंदर बर्फ जम रही है। चार दिन में अमेरिका में 12 हजार फ्लाइट कैंसिल की जा चुकी हैं। इस तूफान का असर अमेरिका के अलावा कनाडा में भी है। जहां भारी बर्फबारी के कारण बस फिसलकर पलट गई। इस हादसे में अब तक 4 लोगों की जान जा चुकी है।
बता दें कि बर्फीले तूफान में जब तेज हवाएं भी चलती हैं और बहुत ज़्यादा बर्फ गिरती है, तो उसे ब्लिज़ार्ड या हिम झंझावात भी कहा जाता है। 1888 से 1947 के बीच और 1990 के दशक में अमेरिका में कई बार इस तरह के ब्लिज़ार्ड रिकॉर्ड किए गए थे। मिसाल के तौर पर 1947 में अमेरिका में दो फीट से ज़्यादा बर्फ गिरी थी। लगातार बर्फ गिरने से 12 फीट तक बर्फ जम गई थी, जो महीनों तक पिघली नहीं थी क्योंकि तापमान गिरा नहीं था।
कुदरत के इस खेल को समझने के लिए आपको कुछ भौगोलिक स्थितियों के बारे में जानना होगा, जिनके चलते बर्फीले तूफान की नौबत आती है। समुद्र में कम दबाव के क्षेत्र में चक्रवात के कारण अपेक्षाकृत गर्म हवाओं का चक्र बनता है। अगर सतह के पास पर्याप्त ठंडी हवा नहीं होती तो बर्फ की बारिश हो सकती है। इन तमाम कारणों के साथ बर्फीले तूफान का संबंध झील से भी जुड़ा होता है, जिसे लेक इफेक्ट कहते हैं। एक पर्वतीय बर्फीला तूफान भी होता है। चूंकि चक्रवाती हवाएं नीचे की तरफ से ऊपर की तरफ बह रही होती हैं इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में कभी कभी बहुत भारी बर्फीले तूफान देखे जाते हैं।