प्रकाश पंत (Prakash Pant) की राजनीति में अपनी स्पष्ट नीति स्वच्छ दृष्टिकोण साफ नियत
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुआ था। तब उनके पिता मोहन चंद्र पंत वहां एसएसबी में कार्यरत थे और बाद में एरिया ऑर्गनाइजर (एओ) पद से सेवानिवृत्त हुए। उनकी माता कमला पंत गृहिणी हैं।
मूल रूप से गंगोलीहाट के चौढियार गांव निवासी प्रकाश पंत ने प्राथमिक शिक्षा 1968 में, 1975 में हाईस्कूल और 1977 में मिशन इंटर कालेज पिथौरागढ़ से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। बाद में पीजी कालेज पिथौरागढ़ में प्रवेश लिया। जहां पर वह सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने गए। बीए करने के बाद 1980 में द्वाराहाट राजकीय पालीटेक्निक से फार्मेसी से डिप्लोमा प्राप्त किया।
प्रकाश पंत ने अपने कॅरियर की शुरुआत राजकीय सेवा से की थी। चार मार्च 1981 को नगर के निकट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय देवत में फार्मेसिस्ट पद पर उनक नियुक्ति हुई। बाद में जिला अस्पताल में तबादला हुआ। सरकारी सेवा के साथ-साथ समाज सेवा से भी वह जुड़े रहे।
चार वर्ष बाद 1984 में उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया। सेवा के दौरान डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के जरिये राजनीति में उनकी रुचि जाग गई थी। इसी साल नगर के गांधी चौक में उन्होंने पंत मेडिकल स्टोर खोला। वर्तमान में नगर के खड़कोट में उनका आवास है।
उत्तराखंड की राजनीति में अपनी स्पष्ट नीति स्वच्छ दृष्टिकोण साफ नियत एवं सौम्य व मृदुल स्वभाव के कारण जनता के बीच लोकप्रिय पंत जी उत्तराखंड के एकमात्र नेता हैं, जिन्हें संसदीय मामलों के श्रेष्ठ जानकार होने के कारण उन्हें संसदीय मामलों का पोर्टफोलियो का दर्जा दिया गया है।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी श्री पंत जी एक कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं, बल्कि एक श्रेष्ठ वक्ता, कवि एवं लेखक होने के साथ-साथ निशानेबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी भी रहे। लेखन के क्षेत्र में उनकी गहन रूची रही। अपनी राजनीतिक व्यस्तता के बावजूद भी श्री पन्त ने अनेक पुस्तकें लिखी। जिनमें एक आवाज और प्रारब्ध (कविता संग्रह), एक थी कुशुम कहानी संग्रह और दो अप्रकाशित पुस्तकें, जिसमें से एक में काली नदी: भारत नेपाल सम्बन्धों की कहानी व लक्ष्य निबन्ध संग्रह है।
अपने राजनीतिक जीवन के प्रारम्भ से ही समाज के अन्तिम व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाना ही श्री पन्त का प्रमुख लक्ष्य रहा। पंडित दीन दयाल उपाध्याय का विचार दर्शन एकात्म मानववाद पर आपका गहन अध्ययन समय समय पर कार्यकताओं के मन मस्तिष्क में नई उर्जा का संचार करता है। अपनी इसी विलक्षण प्रतिभा के कारण ही आप समय समय पर पार्टी और सरकार के सकंटमोचक के रूप में उभरे।
श्री पन्त जी का प्रारम्भ से ही सेवा के प्रति सर्मपण भाव रहा है, जब श्री पन्त सरकारी सेवा में थे, उस दौरान भी पिथौरागढ़ के दूरस्थ गावों जाकर लोगों के मध्य सेवा कार्य किए हैं। सामाजिक कार्यों में अपनी पूर्ण सहभागिता में सरकारी सेवा बाधा होने के कारण सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया।
श्री पन्त का परिवार एक सच्चा देशभक्त परिवार है। कुछ समय पहले ही उनकी बड़ी पुत्री नमिता पंत ने सेना की जेएजी ब्रांच जज एडवोकेट जनरल में आर्मी अफसर बनकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। नमिता उत्तराखंड के दिग्गज नेता की बेटी होने के बावजूद भी देश रक्षा में उतरीं हैं। नमिता के हौसले को पूरे देश में काफी सराहा जा रहा है।
प्रकाश पंत ने शुरुआत से ही नेतृत्व गुण बनाए थे। श्री पन्त जी राजनीतिक जीवन वर्ष 1977 से शुरू हुवा, जब उन्हें मिलिट्री साइंस बोर्ड के महासचिव के रूप में चुना गया। सन 1988 में नगर पालिका परिषद पिथौरागढ़ सभासद के रूप में निर्वाचित हुए। राज्य निर्माण के बाद अंतरिम सरकार में उन्हें राज्य के प्रथम एवं कॉमनवेल्थ देशों में सबसे कम उम्र का विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव हासिल हुवा। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पूरे देश में प्रथम विधानसभा की वेबसाइट लॉन्च की। 2002 नवोदित राज्य में पहली विधानसभा के लिए चुनाव हुए, जिसमे श्री पंत जी पिथौरागढ़ से उत्तराखंड विधानसभा में चुनकर आए। 2007 में फिर से पिथौरागढ़ से भारी मतों से विजयी हुए। तत्कालीन भाजपा सरकार सत्ता में आने बाद कैबिनेट मंत्री बने।
2007 में भी श्री पंत जी को पर्यटन पेयजल आदि अहम विभागों का ज़िम्मा सौपा गया था जिसे उन्होंने बखूबी से निभाया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्य में पर्यटन को नई पहचान देने और पर्यटन क्षेत्रों के समुचित विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। राज्य में पेयजल की समस्या से निजात पाने के लिए सर्वाधिक प्रयास श्री पंत जी द्वारा किया गया अपने पिछले भाजपा सरकार में पेयजल मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य के अनेक क्षेत्रों में पेयजलापूर्ति के लिए पेयजल योजनाओं की नींव रखी, जिसमें पिथौरागढ़ में आवलाघाट पंम्पिंग परियोजनाए व राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रो में अनेक छोटी बड़ी परियोजनाओं की नीवं रखी जिसका फायदा क्षेत्रो को प्राप्त हो रहा हैं।
श्री पन्त जी द्वारा पार्टी में भी अनेक दायित्वों का निर्वहन किया प्रदेश में सत्ताहीन होने के समय श्री पन्त जी 2013 से 2015 तक वह प्रार्टी के प्रदेश महामंत्री के तौर पर पार्टी को मजबूत करने में प्रयासरत रहे।
इस दौरान श्री पन्त द्वारा क्राग्रेस सरकार की भ्रष्ट नीतियों के विरूद्ध जनता को जागरूक करने के लिए प्रदेश के कई स्थानों पर प्रवास करते रहे। पिथौरागढ़ विधानसभा के विधायक के तौर पर श्री पन्त जी ने पिथौरागढ़ के विकास के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
विधायक के तौर पर अपनी भूमिका को भलीभाति से पूरा करने के लिए श्री पन्त को 2009 में राज्य का पहला उत्कृष्ट विधायक के सम्मान से नवाजा जा चुका है। विधानसभा के प्रति अपने इसी सर्मपण भाव के कारण 2017 में तीसरी बार पिथौरागढ़ विधानसभा से निर्वाचित हुए।
वर्तमान सरकार में भी उन्हें सबसे वरिष्ठतम व मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो दर्जा प्राप्त है। पिछली भाजपा सरकार के मंत्री के बाद पुनः कैबिनेट मंत्री के तौर पर वे आत्मविश्वास और सबसे अधिक सक्रियता से उत्तराखड के विकास के लिए सर्घषरत है।
वित्त मन्त्री के तौर पर जब श्री पन्त दायित्व सभांला तो उनके पास पिछली सरकार द्वारा विरासत में मिली दयनीय आर्थिक स्थिति से उबरने व राज्य के विकास के लिए नई एवं क्रियान्वित योजनाओं को वित्त की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन श्री पन्त जी के अपने कुशल वित्तीय प्रबन्धन के कारण राज्य धीरे धीरे वित्तीय संकट से उबरने का प्रयास कर रहा है। अपने इसी वित्तीय कुशल प्रबन्धन एवं दूरदर्शी सोच का दूसरा उदाहरण राज्य में सुनुयोजित व जनसुविधाओं के अनरूप बजट को बनाना रहा हैं।
राज्य में पहली बार जनता को अपेक्षाओं को पूरा करने वाला बजट बनाया गया जिसमें राज्य को सतत विकास की राह पर ले जाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं को क्रियान्वित करने का प्रावधान किया है।
आबकारी मंत्री के तौर पर श्री प्रकाश पन्त जी ने राज्य में नई कारी नीति के तहत राज्य में बढती शराब की तस्करी पर रोक लगाई है वही दूसरी तरफ राज्य आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए बडी मात्रा में राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
पिछले वर्षो से शराब की दुकानो पर हो रही ओवर रेटिंग को लेकर कडे दड का प्रावधान किया है। अपने 5 माह के कार्यकाल में ही राज्य के विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण फैसले लेकर राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिए संघर्षरत है।
श्री पन्त का कुशल नेतृत्व राज्य को हमेशा मिलता रहें। पहाड़ ने प्रदेश को तमाम मुख्यमंत्री मंत्री दिए, लेकिन वहां के लोगों की पीड़ा को इक्का-दुक्का लोगों ही महसूस किया और उसे अपना दर्द समझा।
यह दुर्भाग्य ही है कि कुमाऊं ने पिछले एक साल में ऐसे ही दो महान नेताओं को खो दिया। पहले पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी और दूसरे प्रकाश पंत 5 जून 2019 को अंतिम सांस ली। उस समय प्रकाश पंत पर राज्य सरकार में संसदीय कार्य, वित्त और आबकारी मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। उनका व्यवहार और व्यक्तित्व उन्हें हर तरीके से अलग बनाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में हिंसा, घृणा और प्रतिस्पर्धा जैसी भावनाओं को दूर रखा था।