बाहरी राज्यों से आकर रह रहे लोगों का सत्यापन जरूरी (verification required) आस्था के नाम पर हुआ अतिक्रमण
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। इसके बिना हमारा कोई भी अस्तित्व नहीं। चारधाम हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। 2023 में उत्तराखण्ड सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य के वन क्षेत्रों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। राज्य ने कहा कि उनका उद्देश्य अतिक्रमण के स्तर को निर्धारित करना है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि आरक्षित वन क्षेत्रों में कई मजार, दरगाह और कब्रिस्तान बन गए हैं, जहां वन अधिकारियों के अलावा किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से अधिकतर अतिक्रमण तराई और भाबर क्षेत्रों के जंगलों में था।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इन अतिक्रमण में आयोजित धार्मिक उत्सवों ने जंगल की शांति को भंग कर दिया है। साथ ही वन्यजीवों और प्रभावित वन प्रबंधन के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके बाद यह पता लगाने के लिए वन विभाग द्वारा जांच के आदेश दिए गए कि ये धार्मिक अतिक्रमण कब बने? क्या उन्हें जमीन पट्टे पर दी गई थी? कानून का उल्लंघन करके उन्हें कैसे यहां स्थापित होने दिया गया? पता चला कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जिसे राज्य के सबसे संरक्षित वन क्षेत्रों में से एक माना जाता है, के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व को भी ऐसे धार्मिक अतिक्रमणों से प्रभावित पाया गया।आस्था के नाम पर हुआ अतिक्रमण मुख्यमंत्री को खुफिया सूत्रों से पता चला कि उत्तराखण्ड के कुछ क्षेत्रों में इन अतिक्रमणों से असामान्य हालात बने हुए हैं। इसके बाद सीएम धामी ने वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और राजस्व विभाग द्वारा धार्मिक स्थलों का एक सर्वे करवाया। जिसके चांकाने वाले परिणाम सामने आए। खासतौर पर वन भूमि पर कब्जा करके बनाई गई अवैध मजारों की संख्या सामने आई। इस पर उन्होंने तत्काल एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की और इस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखण्ड में मजार जिहाद, जमीन जिहाद पनपने नहीं दिया जाए और सरकारी भूमि को इस अतिक्रमण से मुक्त किया जाएगा। जिसके बाद वन विभाग की जमीन पर बनी इन अवैध मजारों को हटाने का काम शुरू हुआ। इन मजारों पर पहले नोटिस चस्पा किया गया। इन मजारों पर जब धामी सरकार का बुल्डोजर चला तो उनमें कोई मानव अवशेष अथवा किसी भी तरह के जीव अवशेष नहीं पाए गए। वन विभाग की कार्रवाई के चलते कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अतिक्रमण से मुक्त किया जा चुका है। रामनगर में जब अतिक्रमण के नोटिस चस्पा किए गए तो कई संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने रामनगर क्षेत्र में अतिक्रमणअभियान को रोकने की घोषणा के साथ ही वन भूमि पर दशकों से बसे हजारों परिवारों को बड़ी राहत दी है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि वन भूमि पर बने गोठ, खत्ते, वन ग्राम व टोंग्या गांवों में अतिक्रमण नहीं हटेगा। इनके लिए सरकार अलग से पॉलिसी बनाएगी। अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी ने भी डीएफओ व पार्क निदेशकों को इस बाबत आदेश जारी किए।यहां तमाम अफवाहों को देखते हुए मुख्यमंत्री को इस संबंध में वीडियो जारी कर अफवाहों को नजरअंदाज करने की अपील करनी पड़ी है। सरकार का बुल्डोजर लगातार ध्वस्तीकरण में लगा हुआ है। प्रदेश में अब तक455 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर करा लिया गया है। धार्मिक अतिक्रमण हटाने के तहत अब तक 416 मजारों को तोड़ दिया गया है। जबकि 42 मंदिरों को ध्वस्त किया गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सीएम की सख्ती के बाद से प्रदेश भर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तेजी से चल रही है। किच्छा तहसील के किच्छा हल्द्वानी रोड किनारे किए गए अतिक्रमण पर प्रशासन ने बुल्डोजर चलाया। इस दौरान टीम को स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ा। जिसके बाद पुलिस प्रशासन द्वारा विरोध कर रहे नेताओं को हिरासत में लिया गया।
गौरतलब है कि पूर्व में प्रशासन द्वारा दो सौ लोगों को मई तक घर और दुकान खाली करने का नोटिस दिया गया था। नोटिस के बाद कुछ लोगों द्वारा दुकान और मकान स्वयं ही खाली कर दिया गया, लेकिन कई लोगों ने मकान और दुकान खाली नहीं किए थे। खटीमा में भी नहर किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने और शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पुलिस ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पुलिस ने सड़कों के किनारे अवैध रूप से किए गए अस्थाई अतिक्रमण को हटाया।इसके अलावा हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के आर्य नगर चौक पर स्थित चंदन वाली पीर बाजार को जिला प्रशासन द्वारा भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ध्वस्त किया गया।
उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय में भगीरथी नदी के किनारे हो रहे अवैध अतिक्रमण को जिला प्रशासन द्वारा पुलिस बल की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाया गया है। वहां नायब तहसीलदार भटवाड़ी उत्तरकाशी के अनुसार भागीरथी नदी के किनारे घोड़े खच्चरों के मालिकों ने अवैध अतिक्रमण किया हुआ था। इसी तरह देहरादून में भी करीब 74 अतिक्रमण हटाए गए। जिस तरह से प्रदेश में राज्य सरकार सरकारी और वनभूमि पर अवैध धार्मिक निर्माणों को ध्वस्त कर रही है उसको लेकर सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस को हो रही है। विपक्षी इसको लेकर साफ तौर पर बात नहीं कर रही है विपक्षी सरकार के अवैध धार्मिक निर्माणों को हटाने की कार्रवाई पर अपना विरोध ठोस तरीके से नहीं कर पा रही है। इसमें कांग्रेस को अपने जनाधार को खिसकने का भय भी बना हुआ है। जिसको लेकर विपक्षी दलों को आगे रखकर सांप्रदायिकता और धु्रवीकरण के आरोप सरकार पर लगा रही है। जबकि राजनीतिक जानकारों का मानना हैइस तरह के मुद्दों को स्वयं जनता के सामने ले जाने में सक्षम है लेकिन उसकी अपनी अंदरूनी राजनीति में गुटबाजी और एक-दूसरे को कमतर करने की होड़ के चलते वह अपने ही मुद्दों को जनता के सामने ले जाने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही। जो आने वाले समय में विपक्षी के लिए घातक साबित हो सकता है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि विपक्षी के विधायक ने की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई को जायज ठहराकर मुख्यमंत्री के इस कदम का समर्थन किया है। देश में अतिक्रमण वाली भूमि पर राज्य के बाहर के कितने लोगों का कब्जा है और राज्य के कितने लोगों का कब्जा है, इसका डाटा शीघ्र प्रस्तुत किया जाए।
उत्तराखण्ड के स्थानीय युवाओं को कौशल विकास विभाग के माध्यम से तकनीकि प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। प्लम्बर, कारपेंटर, इलेक्ट्रिशियन एवं अन्य क्षेत्रों में राज्य के स्थानीय लोगों को बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए, इसके लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था भी की जाए। इसके लिए जल्द शासनादेश निकाला जाए।सीएम ने निर्देश दिए कि सभी जिलाधिकारी अपने जनपदों की शत्रु सम्पतियों का अपनी टीम के साथ स्थलीय निरीक्षण करें। जिन शत्रु सम्पतियों को अभी तक जिला प्रशासन द्वारा अपने अधीन नहीं लिया गया है, उन्हें शीघ्र अपने अधीन लिया जाए। जिन शत्रु सम्पतियों को अपने अधीन लिया जा चुका है, उनमें क्या पब्लिक प्रोजक्ट बन सकते हैं, इसका प्रस्ताव भी जिलाधिकारियों द्वारा शीघ्र शासन को भेजा जाए। सभी जिलाधिकारी अपने जनपदों की अवशेष शत्रु सम्पतियों का जल्द चिन्हीकरण कर आवश्यक कार्यवाही करें। यह निर्देश मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को न रोकने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी और कड़ी कार्रवाई भी की जायेगी। सरकारी भूमि से विशुद्ध रूप से अतिक्रमण हटना है। इसके लिए शासन से जो आदेश जारी होंगे, उस पर सभी जनपदों को तेजी से कार्य करना है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को आदेश दिये कि बाहरी व्यक्तियों का लगातार सत्यापन अभियान चलाया जाए एवं किरायेदारों का भी नियमित सत्यापन किया जाए, इस कार्य में लापरवाही करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए। अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें और एक दूसरे का सहयोग करें। चारधाम यात्रा एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर जो भी बाहरी लोग कार्य कर रहे हैं, यह सुनिश्चित किया जाए कि उन सभी का सत्यापन पूरा हो उचित कदम उठाने चाहिए।
(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)