तेजस (Tejas) बने दुनिया के सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाड़ी
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
शतरंज की दुनिया में उत्तराखण्ड का एक सितारा अपनी चमक बिखेरने की पुरजोर तैयारी कर रहा है। इस नन्हे प्रतिभावान खिलाड़ी का नाम है तेजस तिवारी। खिलौनों से मन बहलाने की उम्र में ही तेजस ने शतरंज के मोहरे थाम लिए। उत्तराखंड राज्य यहां पैदा हुई प्रतिभाओं के लिए देश-विदेश में जाना जाता है और अब उत्तराखंड राज्य के एक साढ़े पांच साल के बच्चे ने ऐसा कारनामा करके दिखाया है कि आज उसका नाम पूरी दुनिया में गर्व के साथ लिया जा रहा है। प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती, जैसा नाम वैसा काम, यूकेजी में पढ़ने वाले महज साढ़े पांच साल के उत्तराखंड हल्द्वानी निवासी तेजस तिवारी विश्व के सबसे कम उम्र के फिडे रेटेड खिलाड़ी बन गए हैं। फिडे ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया एकाउंट ट्वविटर के जरिये तेजस तिवारी की उपलब्धि के बारे में पोस्ट की है। इससे पहले वह उत्तराखंड के “यंगेस्ट चेस प्लेयर”का खिताब हासिल कर चुके हैं।
जून में निकली फिडे रेटिंग में उन्हें 1149वीं रेटिंग मिली है। तेजस तिवारी हल्द्वानी के सुभाष नगर क्षेत्र के रहने वाले हैं। उनके पिता शरद तिवारी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और माता इंदु तिवारी गृहिणी हैं। उनके पिता ने बताया कि फिडे की ओर से उन्हें ईमेल मिला है। उनके पिता भी कुमाऊं विवि के शतरंज खिलाड़ी रह चुके हैं। इधर, दीक्षांत स्कूल प्रबंधन ने बताया कि हाल ही में रुद्रपुर में हुई प्रथम स्व. धीरज सिंह रघुवंशी ओपन फिडे रेटेड शतरंज प्रतियोगिता में तेजस ने चार ड्रा और दो जीत के साथ फिडे रेटिंग प्राप्त की है। वह अब तक पांच राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब तक तेजस उत्तराखण्ड और अन्य प्रदेशों बेंगलुरु (कर्नाटक), उदयपुर (राजस्थान), मथुरा (उत्तर प्रदेश), हैदराबाद (तेलंगाना), तक विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), भुवनेश्वर (उड़ीसा), अहमदाबाद (गुजरात), होसुर (तमिलनाडु) में आयोजित शतरंज प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का जलवा बिखेर चुके हैं। इस दौरान वेगोल्डन ब्वाय, यंगेस्ट प्लेयर आदि का खिताब अपने नाम कर चुके हैं।
शतरंज की दुनिया में उत्तराखण्ड का एक सितारा अपनी चमक बिखेरने की पुरजोर तैयारी कर रहा है। इस नन्हे प्रतिभावान खिलाड़ी का नाम है तेजस तिवारी। खिलौनों से मन बहलाने की उम्र में ही तेजस ने शतरंज के मोहरे थाम लिए। तेजस मात्र 3.5 वर्ष की आयु से शतरंज खेल रहे हैं। तेजस को शतरंज विरासत में अपने पिता से मिली, उन्हीं से वे शतरंज की बारीकियां समझते हैं। 5 वर्ष के होने तक तेजस ने पिता की बिछाई बिसात को लांघकर जिले और राज्य स्तर के शतरंज के टूर्नामेंट खेलने शुरू कर दिए। 5 वर्ष की आयु में ही तेजस को उत्तराखंड के यंगेस्ट चेस प्लेयर का खिताब हासिल हुआ। मात्र 5 वर्ष की आयु में ही देश के 10 राज्यों में खेलकर और कई खिताब हासिल कर तेजस तिवारी ने इस बात का संकेत दे दिया है कि वे आने वाले समय में शतरंज की दुनिया में उत्तराखण्ड का मान बढाने वाले हैं प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती है मात्र साढ़े पांच वर्ष की आयु में ही देश के 12 राज्यों में खेलकर प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं तेजस की इस इस उपलब्धि से परिवार काफ़ी खुश है। लेखक की तरफ से उन्हें के लिए शुभकामनाएं। उनकी सफलता का सफर यूं ही जारी रहे हम यही कामना करते है।
(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)