उत्तराखंड में मौसम (weather) की सटीक भविष्यवाणी का सिस्टम नहीं
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड चारधाम यात्रा में मौसम सबसे बड़ी चुनौती बनता है। मानसून सीजन में तो हालात और खराब हो जाते हैं। खासकर केदारनाथ जैसे जगहों पर तो एक पल में बारिश तो दूसरे पल धूप निकल जाती है। कभी-कभी बारिश की वजह से केदारनाथ पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए जिला प्रशासन के प्रयास से केदारनाथ में ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम स्थापित किया गया है, ताकि उन्होंने मौसम की पल-पल की जानकारी मिल सके।
चारधाम के आसपास समेत प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में लगे करीब दस फीसदी ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और रेन गेज के उपकरण खराब पड़े
हैं। कई जगह वेदर स्टेशन और रेन गेज भारी बारिश के कारण काम नहीं कर रहे हैं तो कहीं की बैटरी खराब होने से दिक्कत आ रही है। इसके चलते न तो मौसम का सटीक अनुमान लग पा रहा है और न ही बारिश का आंकड़ा रिकॉर्ड किया जा रहा है।
मौसम विभाग की ओर से प्रदेशभर में 132 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और 52 रेन गेज लगाए गए हैं। ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन हर घंटे या प्रोग्रामिंग अनुसार अपने आसपास के मौसम जैसे हवा की रफ्तार, तापमान, बारिश, नमी आदि की सटीक जानकारी देता है इससे प्राप्त डाटा के आधार पर ही मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से अनुमान जारी किया जाता है। जबकि, रेन गेज से बारिश के आंकड़े रिकॉर्ड किए जाते हैं।लेकिन, कई जगह उपकरणों की बैटरी खराब होने और नेटवर्क न होने से चारधाम समेतकई पहाड़ी इलाकों से बारिश संबंधी डाटा नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते बारिश का सटीक पूर्वानुमान जारी करने में मुश्किल हो रही है।उधर, मौजूदा समय में कुछ ही दूरी में मौसम में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हालांकि, किसी जिले का वेदर स्टेशन खराब होने पर वैज्ञानिक उसके आसपास के जिलों के स्टेशन से प्राप्त डाटा से अनुमान जारी कर रहे हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और उत्तरकाशी जैसे पहाड़ी जिलों के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगे वेदर स्टेशन और रेन गेज के उपकरण बारिश के चलते खराब पड़े हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ने बताया, प्रदेश में रडार सिस्टम को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार से सहयोग मांगा गया है। ताकि, चारधाम समेत प्रदेशभर के मौसम के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त कर पूर्वानुमान जारी किया जा सके। प्रदेशभर में बनाए ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और रेन गेज में से करीब दस फीसदी उपकरण खराब हैं। ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम खराब होने के दौरान नेटवर्क न होने से भी डाटा नहीं मिल पाता। ऐसे में आसपास के स्टेशन और रेन गेज के अनुसार मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जा रहा है।
उत्तराखंड में मौसम की सटीक जानकारी के लिए निजी एजेंसियों की मदद लेगी सरकार येलो अलर्ट जारी उत्तराखंड में मौसम की सटीक जानकारी के लिए सरकार निजी एजेंसियों की मदद लेगी। मौसम की सटीक जानकारी ना मिलने के कारण आपदा प्रबंधन विभाग को कई बार रेस्क्यू में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चरम मौसम की घटनाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने के लिए भारत के पूरे हिस्से को डॉपलर मौसम रडार नेटवर्क के तहत कवर किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि पूर्ण कवरेज 2024 तक हासिल होने की उम्मीद है। इस रडार के माध्यम से बादलों के घनत्व, हवा की रफ्तार, नमी की मात्रा की पुख्ता जानकारी के साथ-साथ ही अनुमानित चक्रवात, कम या ज्यादा बारिश की चेतावनी, ओलावृष्टि और तूफान आदि का सही-सही व त्वरित पूर्वानुमान मिलता है। डॉप्लर वेदर रडार की सहायता से इस तरह की घटनाओं के बारे में पहले से ही जानकारी मिल जाती है, जिससे समय रहते लोगों को सूचना देकर इनका प्रभाव कम किया जा सकता है।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)