जीआइ टैग (GI Tag) मिला तो फिर से नैनीताल की पहचान बनेगा मोमबत्ती
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
सैर सपाटे के लिये देश और दुनियां से सरोवर नगरी पहुंचने वाले पर्यटको के लिये यूं तो शहर में कई आकर्षण मौजूद हैं मगर एक चीज जो सैलानियों को सबसे अधिक पसंद आती है, वह है नैनीताल की अद्भुत और आकर्षक कैंडल यानी रंगबिरंगी मोमबत्तियां। खासतौर पर हाथों से तैयार की जाने वाली ये मोमबत्तियां बेहद आकर्षक और कलरफुल होती हैं। खास बात यह है कि आपको यहां मोमबत्तियां अगल अलग और खूबसूरत आकारों में मिल जाएंगी।
80 के दशक में जहा नैनीताल का कैंडिल उद्योग शिखर पर था वही अब नैनीताल के कैंडल उद्योग की यही खूबसूरती अब बिखरने की कगार पर आ पहुंची था,। देश विदेश के बाजारों को रौशन कर रही नैनीताल की ‘मोमबत्ती’ खासियत नैनीताल, उत्तराखंड में, अपने सुंदर प्राकृतिक परिवेश और आबोहवा के लिए जाना जाता है। यह स्थान पूरे भारत और विदेशों के लोगों को आकर्षित करता है, सुंदरता के अलावा यहां आने वाले पर्यटक यहाँ बिकने वाली रंगीन हाथ से बनी मोमबत्तियों से आकर्षित होते हैं।
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मोमबत्तियां आमतौर पर नैनीताल और माल रोड के बाजारों में बिकती हैं। इनकी कीमत 50 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक है। कुछ पर्यटक सरोवर नगरी से मोमबत्तियाँ स्मृति चिन्ह के रूप में घर वापस ले जाते हैं। नैनीताल की मोमबत्ती विदेशों को रौशन कर रही हैं। GI टैग मिलने के बाद नैनीताल की मोमबत्ती को देश विदेश में नई पहचान मिल रही है। नैनाताल की मोमबत्ती बिना मशीन के तैयार की जाती है। यहां आने वाले पर्यटक यहां की मोमबत्ती साथ ले जाना नहीं भूलते। शहर में मोमबत्ती का कारोबार छह दशक से भी पुराना है। शहर की ठंडी आबोहवा मोमबत्ती निर्माण के लिए लेकर उपयुक्त होने के कारण साठ के दशक में नैनीताल में मोमबत्ती बनाने की फैक्ट्री संचालित की जाने लगी थी। धीरे-धीरे शहर का मोमबत्ती कारोबार परवान चढऩे लगा।
80 के दशक तक शहर में 50 से 60 घरों में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां संचालित कर रंग बिरंगी खूबसूरत मोमबत्ती बनाई जाने लगीं। जिसे पर्यटक खरीदना नहीं भूलते थे। मगर सरकारी उपेक्षा और बाजार में चाइनीज मोमबत्ती की धमक के बाद शहर की हाथों से बनने वाली मोमबत्तियों की चमक फीकी होने लगी।बीते एक दशक में मोम महंगा होने के कारण कई फैक्ट्रियां बंद कर दी गई। जिस कारण शहर में मोमबत्ती निर्माण और कारोबार कम हो गया। वर्तमान में शहर में गिने चुने लोगों द्वारा मोमबत्ती बनाने और बेचने का कार्य किया जा रहा है। मोमबत्ती निर्माता व कारोबारी ने बताया कि पूर्व में सरकार द्वारा फैक्ट्री संचालकों को मोम का कोटा दिया जाता था, जो एक दशक पूर्व बंद कर दिया गया।
मोमबत्ती बनाने को कच्चा माल दिल्ली से मंगाने के कारण निर्माण लागत बहुत अधिक आने लगी थी। जिस कारण कई लोगों ने मोमबत्ती बनाने का कार्य छोड़ दिया। इधर कहा गया कि जिला प्रशासन द्वारा नैनीताल की मोमबत्ती को जीआइ टैग दिलाने के किया गया है। जो कारोबारियों के लिए लाभकर साबित होगा।
मोमबत्ती कारोबारी के अनुसार GI टैग मिलने के बाद नैनीताल की मोमबत्तियों की मांग बढ़ जाएगी। बंद हो चुकी फैक्ट्रियां फिर से संचालित होने की उम्मीद है। मोमबत्ती निर्माण बढऩे से शहर के सैकड़ों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। सरकारी सहयोग के अभाव और चाइनीज मोमबत्ती के बाजार पर कब्जे के कारण मोमबत्ती कारोबार छोड़ चुके दर्जनों कारोबारियों की जिला प्रशासन ने एकबार फिर उम्मीद जगा
दी है। स्थानीय कारोबार के साथ ही लखनऊ, दिल्ली, कानपुर समेत देश के अन्य शहरों से भी डिमांड आई। शहर के मोहल्लों में भी सजावटी मोमबत्ती बनती हैं। प्रशासन की ओर से नैनीताल की मोमबत्ती को जीआइ टैग दिलाने की कवायद की कारोबारी सराहना कर रहे हैं।
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हैण्डमेंडेड कैंडिलो की डिमांड देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है, कैंडिल व्यवसाय से जुड़े व्यपारियो की माने तो चायना में मशीनों से बनी कैंडिलो के मुकाबले नैनीताल में बनी हैण्ड मेंडेड कैंडिल लंबे समय तक अपने स्वरूप में टिकी रहती है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को यहाँ की हैण्ड मेड कैंडिल अपनी ओर आकर्षित करती है, नैनीताल में कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली इन कैंडिलो में किसी भी हानिकारक मोम या रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता है कैंडिल व्यवसाय से जुड़े व्यवसाइयों का कहना है अगर इस जुड़े लोगो को सुविधाओ पर ध्यान दे तो यहाँ की कैंडिल चायना की कैंडिलो को पीछे छोड़ देंगी।
कारोबारियों का मानना है कि जीआइ टैग मिलने के बाद न सिर्फ नैनीताल की मोमबत्ती को वैश्विक बाजार मिलेगा, बल्कि इससे कारोबार में भी कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। जिससे मोमबत्ती निर्माण का कार्य छोड़ चुके दर्जनों कामगारों के हाथों को रोजगार मिलेगा।शहर में मोमबत्ती का कारोबार छह दशक से भी पुराना है। शहर की ठंडी आबोहवा मोमबत्ती निर्माण के लिए लेकर उपयुक्त होने के कारण साठ के दशक में नैनीताल में मोमबत्ती बनाने की फैक्ट्री संचालित की जाने लगी थी। धीरे-धीरे शहर का मोमबत्ती कारोबार परवान चढऩे लगा। बंद हो चुकी फैक्ट्रियां फिर से संचालित होने की उम्मीद है। मोमबत्ती निर्माण बढऩे से शहर के सैकड़ों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। ये लेखक के अपने विचार हैं।
( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )