दीपेन्द्र सिंह नेगी
जयहरीखाल। कौन कहता है सुराख आसमां में हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..। पौड़ी जनपद के जयहरीखाल ब्लॉक के ग्राम मठाली के ग्रामीणों की सफलता का फलसफा भी यही है। वर्षों से जिस सड़क के लिए सरकारों की ओर टकटकी बनाए हुए थे, आज गांव के कर्मठ कर्मवीरों की मेहनत से वह पूर्ण हो गई है। इससे युवाओं का जोश जहां हिलोरें मार रहा है, वहीं सपना पूरे होते देख बड़े-बुजुर्गों की आंखों में नई चमक देखने को मिल रही है।
लेखक का स्वयं का गांव भी यही है। इस गांव के लोगों ने बिना सरकार की किसी मदद के सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है तो इसे अंजाम तक भी पहुंचा दिया है।
पौडी गढ़वाल के लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले ब्लॉक जयहरीखाल के ग्राम मठाली में सड़क निर्माण का कार्य निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच गया है। जिस सपने को गांव के लोग पिछले दो-तीन दशकों से देख रहे थे, वह आज गांव के युवाओं व समस्त ग्रामवासियों की मदद से पूर्ण हो गया है।
लेखक इस बड़ी सफलता पर समस्त ग्रामवासी व प्रवासी भाई बन्धु विशेष रूप से युवा वर्ग का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। जिन्होंने तन मन धन से अपनी इच्छा शक्ति दिखाई और इस कठिन कार्य को आसान बनाकर अंजाम तक पहुंचाने में जीतोड़ मेहनत की।
बताते चलें कि गांव के लोगों को दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। करीब तीन दशकों से सरकार से गुहार लगाते आ रहे थे, पर लाख कोशिशों के बावजूद महज पांच सौ मीटर सड़क ही उनके गांव की ओर खिसक पाई। पिछले दो वर्षों से इस सड़क का काम बन्द पड़ा था।
कई बार सरकार और लोक निर्माण विभाग दुगड्डा को लेखक के द्वारा ईमेल के माध्यम से अवगत कराया गया कि मठाली लिंक सड़क का कार्य अधूरा पड़ा है, इसको पूर्ण किया जाए, किंतु कहीं से कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हो पाई। तभी पीडब्ल्यूडी से पत्र मिला कि बाकी कार्य लैंसडौन लोक निर्माण विभाग से होगा।
तब ग्रामवासियों ने सार्वजनिक रूप से तय किया कि अब किसी भी सरकारी आश्वासन का इंतजार किया जाना गांव हित में कतई नहीं है और हमें खुद ही अपने श्रमदान व खर्चे से यह कार्य करना है।
लॉकडाउन का समय कट रहा था कि ऊर्जावान युवाओं ने अपनी रुकी हुई ऊर्जा को गांव हित में खर्च करने का लक्ष्य तय किया और फिर अगले अलसुबह से ही युवाओं की टोली के साथ ही महिलाएं, पुरुष, वृद्ध सभी लोगों के हाथों में गैंती, फावड़े, कुदाल, बेलचे, सब्बल, घन आदि खनकने लगे और जेसीबी मशीन ने इस काम को और आसान बना दिया। देखते ही देखते रिकार्ड मात्र सात दिनों में ही डेढ़ किलोमीटर सड़क जेेेसीबी और अपने श्रमदान से बनाकर तैयार कर दी। इस काम के लिए सभी ग्रामीणों ने थोड़ा-थोड़ा धन भी एकत्र किया, जिससे यह कार्य पूर्ण कराने में और आसानी हो गई। परिणामस्वरूप ग्रामीणों के प्रयासों से अब तक अलग-थलग से पड़े गांव को अब शहर से जोड़ दिया गया है।
अब कोई भी बुजुर्ग अस्पतालों तक पीठ पर लादकर नहीं ले जाना पड़ेगा। शादी-समारोहों की राशन व सामान घोड़े-खच्चरों एवं लोगों को नहीं ढोना पड़ेगा। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में मदद मिलेगी। ऐसे कर्मवीर ग्रामीणों को #mukhyadhara टीम की ओर से भी सल्यूट तो बनता ही है।