राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का एक वर्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखण्ड की 7वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की थी। 26 अगस्त, 2019 को श्रीमती मौर्य के कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूर्ण हो रहा है।
पिछले एक वर्ष में राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने संवैधानिक दायित्वों का गरिमापूर्वक निर्वहन करने के साथ ही इस बात को महत्व दिया है कि राज्य में एक लोकप्रिय चुनी हुई सरकार है, जिसको संवैधानिक मर्यादाओं और दायित्वों की सीमा में रहते हुए मार्गदर्शन प्रदान करना है।
राज्यपाल प्रारंभ से ही महिलाओं और बच्चों के हितों के लिए समर्पित रही हैं। राज्यपाल पद पर कार्यभार ग्रहण करने के एक माह के भीतर ही उन्होंने प्रदेश के सभी जनपदों में रात्रि निवास कर वहां लोगों से मुलाकात की। उन्होंने जनपदों की महिलाओं, किसानों तथा जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और वहां की समस्याओं के साथ-साथ वहां की संभावनाओं को भी निकट से देखा। जनपदों के भ्रमण के दौरान उन्होंने बालिका विद्यालयों का विशेष रूप से भ्रमण किया और छात्राओं से बात की। उन्होंने जनपदों में ‘महिला स्वयं सहायता समूहों’ से मुलाकात कर उनके उत्पादों को देखा। राज्यपाल श्रीमती मौर्य का दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं के स्वरोजगार को प्रोत्साहित कर पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थ व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
उन्होंने सभी शिक्षण संस्थानों द्वारा नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म और बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी ली तो वहीं एक औपचारिक आदेश निर्गत कर स्वयं को ‘महामहिम’ या ‘हर एक्सीलेंसी’ जैसे संबोधनों से पुकारे जाने पर भी रोक लगा दी।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति भी हैं और इस नाते भी वे उच्च शिक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील रही हैं। राज्यपाल का मानना है कि विश्वविद्यालयों को सरकार और समाज के साथ ”एक्टिव पार्टनरशिप” करनी चाहिए तथा शोध कार्यों के द्वारा विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियों के लिए समाधान तलाशना चाहिए।
विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले में राज्यपाल ने पिछले कई वर्षों से लंबित कॉलेजों की सम्बद्धता के प्रकरणों के पारदर्शी निराकरण हेतु ‘वन टाइम समाधान’ के रूप में विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषद को अधिकृत किया। इससे शिक्षा पूरी कर चुके हजारों विद्यार्थियों की डिग्री की मान्यता की समस्या का भी समाधान होगा, जिनके कॉलेज की संबद्धता का प्रकरण निस्तारित नहीं हुआ था।