‘अजाण’ : गढ़वाली की पहली मर्डर मिस्ट्री, सस्पेंस और थ्रिलर फ़िल्म
-डॉ. नन्द किशोर हटवाल
गढ़वाली फ़िल्म अजाण एक युवती की मर्डर मिस्ट्री है। युवती की हत्या के जुर्म में भगोती गांव के दो भोले-भाले युवकों को फंसाया जाता है। लेकिन गांव के आई.बी. अफसर राम सिंह नेगी, जो कि जयपुर में तैनात हैं, अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए तहकीकात करते हैं और आखिरकार असली हत्यारों तक पहुंचने में सफल होते हैं।
फिल्म में कहानी को शानदार तरीके से पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म के प्रभावपूर्ण संवाद मानक गढ़वाली में हैं। चुस्त स्क्रिप्ट, थ्रिल, सस्पेंस ऐसा कि पूरी फिल्म को दर्शक दम साधे देखते रहते है । यह किसी भी फिल्म की बड़ी सफलता होती है।
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सुमधुर संगीत से सुसज्जित इस फिल्म के गीतों को गाया है गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, जितेंद्र पंवार, अंजली खरे व अमित खरे ने और संगीत दिया है संजय कुमोला ने। फिल्म का कर्णप्रिय पार्श्व संगीत अमित वी. कपूर ने दिया है जो कि फिल्म की कहानी और भावों के अनुरूप फिल्म के सस्पेंस और थ्रिल के आनंद को कई गुना बढ़ा देता है।
आशा फिल्म्स के बैनर तले निर्मित इस फिल्म के निर्माता के.राम नेगी हैं जो कि फिल्म में मुख्य भूमिका में भी हैं। के. राम नेगी गढ़वाली फिल्मों के जानेमाने निर्माता और अभिनेता हैं। फिल्म का निर्देशन गढ़वाली फिल्मों के मशहूर निर्देशक अनुज जोशी ने किया है। अनुज जोशी इससे पहले मेरु गौं, कमली, अब त खुलली रात, कॉफल, याद आई टिहरी, हन्त्या व तेरी सौं का सफल लेखन और निर्देशन कर चुके हैं।
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फिल्म के बारे अनुज जोशी ने बताया कि यह फिल्म पहाड़ों के लोगों के अपराध विहीन उच्च चरित्र को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि गढ़वाली सिनेमा में नवीन विषयों का समावेश, विविधता और युवाओं की रूचि को देखते हुए इसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
कर्णप्रयाग, पिंडर घाटी, भागोती गांव और गढ़वाल की मुग्ध करने वाली लोकेशन में फिल्माई गई इस फिल्म में गढ़वाली के अच्छे और सधे हुए कलाकारों का चयन किया गया है। के. राम नेगी, बलराज नेगी, रमेश रावत, राकेश गौड़, गोकुल पंवार, अभिषेक मेंदोला, डॉ. कुसुम भट्ट, अंजू भंडारी, शिवानी भंडारी, दीक्षा बडूंनी, अब्बू रावत, सोहन चौहान व रवि ममगाई ने अच्छा अभिनय किया है।
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फिल्में आधुनिक समय का बहुत बड़ा माध्यम है। यह भाषा को बचाने और नई पीढ़ी को भाषा सिखाने का सबसे प्रभावी माध्यम है। इसे पनपने के लिए अनुकूल सरकारी नीतियों के साथ-साथ लोगों के सहयोग और उत्साह की जरूरत भी होती है।
गढ़वाली सिनेमा को व्यवसाय की दृष्टि से अभी बहुत लाभप्रद नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में नए प्रयोगों के लिए तो बड़ा जिगरा चाहिए। गढ़वाली फिल्मों की दृष्टि से मर्डर मिस्ट्री, सस्पेंस, थ्रिलर को नया प्रयोग कहा जा सकता है। इसके निर्माता-निर्देशक ने यह जिगरा दिखाया। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
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फिल्म कल अर्थात 19 अप्रैल से दिल्ली-एनसीआर में इंदिरापुरम् के जयपुरिया मॉल स्थित आर-आर सिनेमा हॉल, द्वारका के वेगास मॉल में और कोटद्वार के प्राइड मॉल में दिखाई जा रही है। एक बार सबको जरूर देखनी चाहिए।