बद्रीनाथ धाम : भगवान बदरी विशाल को पसंद है मार्गशीर्ष माह की एक दिन की पूजा, इसलिए है कपाट बंदी पर मार्गशीर्ष की बाध्यता
दीपक फर्स्वाण
क्या आपने कभी सोचा है कि मोक्षधाम बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट हर साल साथ-साथ खुलते हैं पर दोनों के कपाट बंद होने में तकरीबन 15 दिन का फर्क जरूर रहता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि भगवान बद्रीविशाल चाहते हैं कि उन्हें मार्गशीर्ष माह की एक दिन की पूजा जरूर मिले। बद्रीनाथ धाम में जब कपाट बंद करने का मुहूर्त निकाला जाता है तो इस परमपरा का अनिवार्य रूप से ध्यान रखा जाता है।
केदारनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह की तिथि और समय अक्षय तृतीय पर निर्भर करता है। महा शिवरात्रि के दिन उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर के पुजारी द्वारा उद्घाटन तिथि और समय घोषित किया जाता है। आम तौर पर केदारनाथ मंदिर अक्षय तृतीय के शुभ मुहूर्त पर खुलता है। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि भाई दूज (नवम्बर, दिवाली के बाद) की तय होती है। भाई दूज की सुबह केदारनाथ मंदिर की पूजा अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद किये जाते हैं। इसी प्रकार भगवान बद्री विशाल मंदिर के कपाट खुलने की तिथि बंसत पंचमी के पर्व पर नरेन्द्रनगर राजदरबार में घोषित होती है और कपाट बंद होने की तिथि विजयादशमी के पर्व पर बद्रीनाथ धाम में तय की जाती है। होता यह है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने में एक-दो दिन का ही अंतर होता है पर बंद होने में लगभग 15 दिन का फर्क आ जाता है।
“बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोलने का मुहूर्त टिहरी के महाराजा का वर्षफल और ग्रह नक्षत्रों की दशा देखकर तय होता है जबकि कपाट बंद करने में यह देखा जाता है कि मार्गशीर्ष माह कब शुरू हो रहा है। हिन्दु पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष को अगहन मास भी कहा जाता है। यूं तो हर माह की अपनी विशेषताएं है लेकिन मार्गशीर्ष का सम्पूर्ण मास धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। गीता में स्वयं भगवान ने कहा है मासाना मार्गशीर्षोऽयम्। यही वजह है कि भगवान बद्रीविशाल को मार्गशीर्ष की पूजा जरूर दी जाती है। सत युग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया था।”
– भुवन चन्द उनियाल, धर्माधिकारी, श्री बद्रीनाथ धाम