मुख्यधारा ब्यूरो देहरादून। कोरोना वाइरस महामारी के संकट से पैदा हुई आज की विवशता भरी परिस्थिति में उत्तराखंड के पहाड़ों पर एक विशेष तरह की हलचल है। परिवार सहित अपने घर-गांवों को लौटे प्रवासियों की संख्या काफी अधिक रही है। […]
सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग नमामि गंगे के तहत नदी के किनारे बनाये गये घाटों पर करोड़ों रुपया विकास के नाम पर खर्च किये गये, मगर उसका सदुपयोग कैसे हो रहा, हम आपको इन तस्वीरों मे दिखा रहे हैं। रुद्रप्रयाग जिले में अलकनन्दा […]
मुख्यधारा ब्यूरो देहरादून। यूं तो पिछले वर्षों तक जनजाति आईटीआई कालेज ग्वासपुल चकराता में सभी वर्गों के छात्रों को प्रवेश दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार एससी छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाए जाने के बाद इन छात्रों की […]
मुख्यधारा ब्यूरो देहरादून। यूं तो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जब-तब दुर्घटनाएं होती रहती हैं और असंख्य लोग अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन जब खोखली सड़कों पर ही वाहन दौड़ रहे हों तो हादसे की आशंका और प्रबल हो जाती […]
मुख्यधारा ब्यूरो यमकेश्वर। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि नीचे से खोखली हो चुकी सड़क पर भारी वाहन, गैस से लदे ट्रक के साथ ही छोटे-बड़े सभी तरह के वाहन फर्राटा भर सकते हैं? यदि आपको यकीन न हो […]
मामचन्द शाह द्वारीखाल। यूं तो यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र राज्य गठन से अब तक भाजपा का मजबूत गढ़(किला) माना जाता है, लेकिन आपको ये खबर पढ़कर और वीडियो देखने के बाद हैरानी होगी कि ब्लॉक मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की […]
उत्तराखंड के साथ बड़ी समस्या यह है कि सरकार की हालत ‘आमदनी चवन्नी तो खर्चा रुपया’ जैसी है। कोविड-19 से यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। ढ़ांचागत विकास ठप होने लगा है। इस हालत में प्रदेश सरकार ने […]
रमेश पहाड़ी कोविड-19 से बचाव के लिए देशभर में जो लॉकडाउन किया गया और उसके पश्चात उसे खोलने के बाद जीपों, टैक्सियों और बसों ने जो मनमाने किराये वसूलने शुरू किये हैं। इससे आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों को भारी […]
मुख्यधारा प्रतिनिधि पुरोला। आज आपको पुरोला के एक ऐसे वरिष्ठ पत्रकार की संघर्षों की हकीकत से रूबरू करवा रहे हैं, जो मुफलिसी में रहकर भी कभी अपने दायित्व से पीछे नहीं हटे और अपनी कलम की धार से 1994 से […]
रमेश पहाड़ी हरेला उत्तराखण्ड का लोक पर्व है। वर्षा के यौवन के साथ हरियाली की रंगत का यह पर्व धरती की बहुमुखी समृद्धि का दिग्दर्शक है। धरती का कोना-कोना जब नवजीवन का राग गाते हुए आगे बढ़ता है तो लोकमानस […]