शंभू नाथ गौतम
4 जुलाई साल 2021 को पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी। मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में जीरो टॉलरेंस की नीति को लागू करते हुए भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया अपनाया।
इसके साथ मुख्यमंत्री ने राज्य में पिछले साल ही नई खेल नीति लागू की। नई खेल नीति लागू करने का सीएम धामी का उद्देश्य था कि प्रदेश के युवा अधिक से अधिक राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेलों में अपना प्रतिनिधित्व करें। इसी को लेकर सीएम धामी आए दिन उत्तराखंड के होनहार खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते रहते हैं। लेकिन क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) ने भ्रष्टाचार का ऐसा खेल (cau corruption) खेला कि सीएम धामी के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड को बनाने के अरमानों पर पानी फेर दिया।
पिछले कई दिनों से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड में जारी भ्रष्टाचार (cau corruption) को लेकर बाजार गर्म है। हालांकि अब परत दर परत नए-नए खुलासे हो रहे हैं, जो चौंका भी रहे हैं। उत्तराखंड क्रिकेट संघ कई तरह के विवादों में घिर गया है। इसमें करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार, खिलाड़ियों को धमकी देने, जबरन वसूली से लेकर खिलाड़ियों को जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराने सहित तमाम गंभीर आरोप शामिल हैं।
सीएयू की 31 मार्च, 2020 की ऑडिट रिपोर्ट में भोजन और खानपान के लिए 1,74,07,346 रुपये और दैनिक भत्ते के लिए 49,58,750 रुपये बतौर खर्च बताए गए हैं। इसमें केले के लिए 35 लाख रुपये और पानी की बोतलों के लिए 22 लाख रुपये शामिल हैं। यह मामला अभी का नहीं है, बल्कि पिछले साल कोविड काल से चला आ रहा है। अब इस मामले में रिपोर्ट भी दर्ज हो गई है।
मामला धामी सरकार के संज्ञान में भी पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से उत्तराखंड क्रिकेट संघ में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है।
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उत्तराखंड पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुटी
पिछले महीने 20 जून को इसकी शिकायत वीरेंद्र सेठी, जो पूर्व अंडर-19 खिलाड़ी आर्य सेठी के पिता हैं, ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे को पिछले साल विजय हजारे टूर्नामेंट के दौरान उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच मनीष झा, टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा और वीडियो एनालिस्ट पीयूष रघुवंशी ने जान से मारने की धमकी दी थी।
इतना ही नहीं, सेठी ने सचिव पर बेटे को टीम में चुनने के लिए 10 लाख रुपये मांगने का भी आरोप लगाया है। सेठी ने अपनी पुलिस शिकायत में आरोप लगाया कि वर्मा ने अपने बेटे को राज्य की टीम में शामिल करने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की। ये आरोप भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर के ड्रेसिंग रूम को सांप्रदायिक रूप देने के आरोपों के बाद मुख्य कोच पद छोड़ने के बाद आए।
सीएयू सचिव माहिम वर्मा और अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला को भी अपने ही संघ के उपाध्यक्ष संजय रावत और संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा की ओर से राज्य क्रिकेट निकाय के लोकपाल और नैतिकता अधिकारी के समक्ष वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक शिकायत का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा हमने बीसीसीआई को भी एक पत्र भेजा है। माहिम वर्मा और जोत सिंह गांसोला को अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा है। मामले में सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
प्रदेश क्रिकेट संघ से जुड़े लोगों में वर्मा के अलावा, टीम प्रशिक्षक मनीष झा, पीयूष कुमार रघुवंशी, नवनीत मिश्रा, सत्यम शर्मा, संजय गुसाईं और पारूल शामिल हैं, जिनके खिलाफ 21 वर्षीय क्रिकेट आर्य सेठी को कथित तौर मारने, उससे जबरन वसूली करने तथा धमकाने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
मामले में देहरादून के वसंत विहार पुलिस स्टेशन में जबरन वसूली, आपराधिक साजिश, जानबूझकर अपमानित करने से जुड़ी आईपीसी की धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है। देहरादून के एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने बताया कि तीन दिनों तक महिम वर्मा, मनीष झा और संजय गुसाईं को पूछताछ के लिए बुलाया गया, उनके बयान लिए गए और जरूरत पड़ने पर आगे भी बुलाया जाएगा।
निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सदन में भी उठाया था मुद्दा
बता दें कि उत्तराखंड में निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने पिछले दिनों सीएयू के खिलाफ भ्रष्टाचार (cau corruption) के आरोप लगाते हुए मामला सदन में भी उठाया था।
उन्होंने बताया कोविड के दौरान सीएयू ने पेशेवर शुल्क के रूप में 6.5 करोड़ रुपये दिए। मैं जानना चाहता हूं कि उन्होंने यह पैसा किसे दिया। मार्च 2020 से पहले पेशेवर शुल्क लगभग 2.75 करोड़ रुपये था।
कोविड के दौरान 1.27 करोड़ रुपये का लंच और डिनर किसने किया। उन्होंने क्रिकेटिंग कोच कैसे हायर किए? मैंने इसे उत्तराखंड सदन में भी उठाया था। मुझे लगता है कि बीसीसीआई को हस्तक्षेप करना चाहिए। यहां बहुत बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है।
विधायक उमेश कुमार ने कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, उन्होंने 11 करोड़ रुपये खर्च किए और जब सबकुछ चल रहा था तो आपने 12 करोड़ रुपये निवेश किए। उन्होंने कहा कि इस मामले को राज्य सरकार के संज्ञान में लाया गया है।
कुमार ने कहा, ‘मैंने और 12 अन्य विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और अगर जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। लोढ़ा समिति को सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया था, और ‘मिस्टर वर्मा एंड कंपनी’ अदालत के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैंने इसे उत्तराखंड सदन में भी उठाया था। मुझे लगता है कि बीसीसीआई को हस्तक्षेप करना चाहिए, यहां बहुत बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है।
अगस्त 2019 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से मान्यता मिली। जिसके बाद प्रदेश के युवाओं को उम्मीद जगी कि वे खेल जगत में अपना नाम कमा सकते हैं, लेकिन शुरुआत से ही एसोसिएशन में वर्चस्व की जंग शुरू हो गई।
अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के चुनाव में सीएयू के सचिव महिम वर्मा को बीसीसीआई उपाध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद से ही उत्तराखंड क्रिकेट संघ में खींचतान शुरू हो गई थी।