पत्राचार (correspondence) चल रहा है इंतजार कब तक?
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
भारत हमेशा अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। देश के हर कोने में हमें धार्मिक स्थल मिल जाएंगे। हमारे पुराण और भव्य मंदिर ये दर्शाते हैं कि हमारी जड़े ही धर्म है। इन्ही जड़ों को मजबूत करती हैं वो नदियां जो आज भी अस्तित्व में है। मां गंगा, भागीरथी, अलकनंदा और न जाने कितनी ऐसी नदियां हैं जिसमें हम आस्था की डुबकी लगाते हैं। सभी पंच प्रयागों को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इन प्रयागों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज के संगम से तो आप सभी वाकिफ हैं, जहां माघ मेला और कुंभ मेला लगता है। ठीक इसी तरह उत्तराखंड में पांच स्थानों पर दो पवित्र नदियों का मिलन होता है। इसी को पंच प्रयाग के नाम से जाना जाता है।
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उत्तराखंड के चमोली जिले में पांच प्रयागों में से तीन प्रयाग (विष्णु प्रयाग, नंदप्रयाग और कर्णप्रयाग) स्थित हैं, जिनकी अपनी-अपनी पौराणिक मान्यताएं हैं। इनमें से एक प्रयाग नंदप्रयाग है, जो अलकनंदा और नंदाकिनी नदियों का संगम स्थल है। यह सुंदर पहाड़ों से घिरे हुए, सुनसान और साफ वातावरण वाले स्थल से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसका परिणामस्वरूप, बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालु संगम के दर्शन के बिना नहीं रह पाते हैंअलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम नंदप्रयाग में झूलापुल का इंतजार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि यात्री, पर्यटक के साथ शव दाह के लिए जाने वाले स्थानीय लोगों को तीन किमी का अतिरिक्त फेरा लगाकर संगम तक पहुंचना पड़ रहा है। झूलापुल निर्माण के लिए जो धनराशि स्वीकृत हुई थी, उससे एबेडमेंट तैयार कर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। तब से एक साल की अवधि बीत चुकी है।
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संगम के पास नंदाकिनी नदी पर बना यह झूलापुल वर्ष 2013 में आपदा की भेंट चढ़ गया था। नए झूलापुल के लिए आपदा मद में एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया, लेकिन फिर बात आई-गई हो गई। विदित हो कि नंदप्रयाग के बगड़, मौसा, देवखाल, डिडोली, छैमी, दादड़, कनेरी, गजेण, त्रिशूला, बामनाथ, तेफना, मंगरोली, कंडारा, बांतोली व सोनला समेत पोखरी, कर्णप्रयाग, घाट, दशोली आदि ब्लाक के कई गांवों के लोग शव दाह के लिए इसी संगम पर आते हैं। लेकिन, झूलापुल न होने के कारण उन्हें नंदप्रयाग बाजार से संगम तक तीन किमी की
अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। पर्यटक व यात्रियों को भी इससे काफी परेशानी होती है।
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नगर पंचायत नंदप्रयाग ने यहां नए पुल के निर्माण को 86 लाख का आगणन तैयार किया गया था। लेकिन, अब तक स्वीकृत हो पाई 40 लाख की धनराशि। इसमें 10लाख की धनराशि वर्ष 2018 में जिलाधिकारी और 30 लाख की धनराशि राज्य वित्त से स्वीकृत हुई। इससे झूलापुल के एबेडमेंट तो तैयार कर लिए गए, लेकिन वहां ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन को अब तक हटाया नहीं जा सका है। इसके लिए पत्राचार चल रहा है। परंतु वर्तमान में अन्य संसाधनों की स्थिति से यह उम्मीद कम ही लग रही है। इसके साथ ही जरूरी संसाधन और मेन पावर की कमी भी आड़े आ सकती है। विज्ञानियों के शोध और पर्यावरण के जानकार ऐसे के खिलाफ चेतावनी देते रहे हैं।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)