नीरज पाल/पिथौरागढ़, मुख्यधारा
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यधारा आपको ऐसी शख्सियत से परिचय कराने जा रहा है, जो न केवल खामोशी के साथ पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाए हुए हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अपने प्रयासों को आर्थिकी से जोड़ने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। यही कारण है कि आज मुनस्यारी क्षेत्र में जो भी जाता है, कुछ ही पलों में फूलों के लहलहाते खेतों को देख तृप्त हो जाता है। देश-दुनिया से आने वाला पर्यटक यहां हिमालय के विहंगम दर्शन करने के साथ ही प्रकृति के खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाता है।
यहां बात की जा रही है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद स्थित पिथौरागढ़ वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव की। उनके नेतृत्व में कुल कार्यक्षेत्र के 30 हेक्टेयर में से ऐसे भाग, जो कि विभिन्न कारकों की वजह से degrade हो गये थे (जैसे rill व gully soil erosion, खरपतवार फैलाव, मृत जानवरों को फेंक देना आदि), उन भागों में प्रयोगात्मक रूप से Ornamental bulbous flowering species द्वारा ईको रेस्टोरेशन व जैवविविधता बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया गया है। ऐसी जमीन पर ट्यूलिप के फूलों की खेती को उनकी टीम ने खड़ा करने में सफलता पाई है।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मुनस्यारी क्षेत्र के दौरे पर गए थे। तब उन्होंने यहां की तस्वीरों को साझा किया था और डीएफओ के प्रयासों की सराहना की थी।
इस क्षेत्र की खासियत यह है कि मुनस्यारी, पंचाचूली की बर्फीली चोटियों से घिरा है, जहां हिमालय के विहंगम दर्शन होते हैं, साथ ही मुनस्यारी का यह क्षेत्र ट्यूलिप गार्डन से खिलखिला रहा है। जो भी इन खूबसूरत तस्वीरों को देखता है, यहां आने का लालच उसके मन में बरबस ही चला आ रहा है।
पूर्व में इस क्षेत्र में भूक्षरण, अत्यधिक चराई और मृत जानवरों को दफनाया जाता था। इस पर डीएफओ विनय भार्गव के नेतृत्व में वन कर्मियों ने इस क्षेत्र का कायाकल्प करने की दिशा में सोचना शुरू किया। पूर्व में यह फैसला पहाड़ जैसा लगा, किंतु कहते हैं कि यदि किसी टीम का कप्तान बहुमुखी प्रतिभा व दृढ़ संकल्प का धनी हो तो कोई भी काम फिर कठिन नहीं रह जाता। श्री भार्गव के निर्देशन में इस जगह पर ट्यूलिप के पौधों को लगाना शुरू कर दिया गया। धीरे-धीरे पौधे बढऩे लगे और सालभर बाद बड़े होकर खिलखिलाने लगे। यह देख वन कर्मियों की टीम का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
डीएफओ विनय भार्गव और वन कर्मियों की यह पहल प्रशासन को भी भा गई और फिर सामूहिक सहयोग से यहां फूलों के रंग बिखरने लगे।
विनय भार्गव बताते हैं कि ऑफ सीजन में ट्यूलिप के फूलों से ब्लूम प्राप्त करने का यह सफल प्रयोग हमारे द्वारा किया गया है। इसकी सफलता से अब वर्ष में हम छह माह से अधिक समय तक ट्यूलिप का ब्लूम प्राप्त कर सकेंगे। ट्यूलिप कुमाऊं हिमालय की स्थानीय प्रजाति है, जो पांच से छह हजार फीट की ऊंचाई पर कई क्षेत्रों में पाई जाती है। इसका उपयोग कर ट्यूलिप्स प्रजातियों का किस प्रकार ग्रांटिंग सुधार किया जाए, लाइफ स्पाम बढाया जाए और इसको किस प्रकार व्यावसायिक स्तर पर प्रयोग में लाया जाए, इस दिशा में काम किया जा रहा है।
मुनस्यारी पारिस्थितिकी विकास परिषद के अध्यक्ष ब्रिजेश धर्मशक्ति कहते हैं कि नौ हजार फीट की ऊंचाई पर देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां ट्यूलिप गार्डन बनाया गया है। जिसको काफी सराहना मिल रही है। यही कारण है कि ईको पार्क मुनस्यारी में आने वाला पर्यटक इस ट्यूलिप गार्डन में जरूर आना चाहता है।
आइए आपको बताते हैं क्या है ये प्रोजेक्ट
मुनस्यारी ट्यूलिप लैंडस्केप प्रोजेक्ट
पिथौरागढ़ वन प्रभाग के डीएफओ विनय भार्गव बताते हैं कि पर्यावरण बहाली और जैव विविधता को संरक्षण वाले मॉडल उच्च हिमालयी क्षेत्र की बल्बनुमा फूलों वाली प्रजातियों का उपयोग कर आत्मनिर्भरता और स्थिरता के दृष्टिकोण से इस पर काम शुरू किया गया।
दरअसल इस पहल के पीछे की असली कहानी यह है कि पहले इस क्षेत्र में ऊपरी मिट्टी के क्षरण, नियंत्रण की जांच करना और भारी चराई दबाव के कारण इन क्षेत्रों से आक्रामक खरपतवार जंगली पालक (रुमेक्स नेपलेंसिस) के फैलाव को खत्म करना था।
सर्वप्रथम महसूस किया गया कि पेड़ प्रजातियों और संबद्ध गतिविधियों के नियमित रोपण के बजाय, जिन्हें स्थिर होने में बहुत साल लग जाते, सजावटी जंगली फूलों के बल्ब लगाने के वैकल्पिक अभिनव तरीके को एक छोटे पैमाने पर प्रयोग के रूप में चुना गया। यह प्रयोग बहुत कम समय में ही रंग लाने लगा और इसने खूबसूरती के साथ ही आर्थिक रूप से भी मददगार बना।
डीएफओ विनय भार्गव बताते हैं कि इसमें 36 स्थानीय जंगली प्रजातियां हैं। ब्लू आइरिस, व्हाइट आइरिस, रैनुनकुलस, फॉक्स ग्लव, बरन, डॉग टेल, ट्यूलिप आदि को खरपतवारों के प्रकोप के क्षेत्र और खुली खुली मिट्टी के क्षेत्रों में रिल और गली कटाव के लिए संवेदनशील क्षेत्रों को पुन: प्राप्त करने के बाद सावधानी से लगाया गया था।
इनकी खासियत यह है कि ट्यूलिप फूल अपने समय पर खिलते हैं, जिसके बाद इनकी खूबसूरती पर चार चांद लग जाते हैं।
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डीएफओ बताते हैं कि यह प्रयोग सफल होने के बाद भविष्य में इसके रोपण के लिए इन प्रजातियों के जर्मप्लाज्म संरक्षण को प्रेरित किया जाएगा। जहां तक ट्यूलिप का संबंध है, बहुत कम लोग जानते हैं कि ट्यूलिप कुमाऊं हिमालय की एक स्थानीय जंगली प्रजाति है। जैसा कि ब्रिटिश भारत के फ्लोरा में उल्लेखित पाया गया है (क्रद्गद्घ. ञ्जह्वद्यद्बश्चह्य (Ref. Tulips (Tulipa stellata) प्रजाति कुमाऊं की एक जंगली देशी प्रजाति है।
इस प्रयास का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि हमारे पास पहले से ही एक जंगली ट्यूलिप प्रजाति आनुवंशिक संसाधन के रूप में उपलब्ध है, जिसका उपयोग विविधता सुधार या संकर शक्ति, दीर्घायु और रोग प्रतिरोध के लिए किया जा सकता है।
कुल मिलाकर, जर्मप्लाज्म संरक्षण, अवक्रमित आवासों की पारिस्थिति की पुनस्र्थापना और इस तरह से विकसित एक क्षेत्र है। अपनी सुंदरता के साथ ही यह आर्थिकी से भी जुड़ा हुआ है। श्री भार्गव बताते हैं कि अब मुझे लगता है कि यही वास्तविक नवाचार है।
यह मॉडल साइट पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल होता दिखाई दे रहा है तो इससे स्थानीय लोगों को कुछ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होंगे, जो स्थानीय लोगों के लिए अप्रत्यक्ष लाभ हो सकते हैं।
डीएफओ बताते हैं कि कुल मिलाकर हम पूरे हिमालय में जंगली आनुवंशिक संसाधनों की विशाल संपदा पर स्थित हैं, जिनके संरक्षण और संवद्र्धन व जागरूकता से स्थानीय लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी यह एक अभिनव प्रयोग साबित हो सकता है। साथ ही प्रदेश सरकार को भी आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाने में मददगार है।
कुल मिलाकर पिथौरागढ़ के डीएफओ विनय भार्गव और उनकी पूरी टीम के दृढ़ संकल्प द्वारा मुनस्यारी क्षेत्र में जो यह खूबसूरत ट्यूलिप गार्डन का निर्माण किया गया है, यह अन्य क्षेत्रों के लिए भी निश्चित रूप से प्रेरणादायक है। इस प्रयास से यह भी साबित हो गया कि यदि जिम्मेदार अधिकारी ठान लें तो फिर बंजर जमीन पर भी हरा-भरा करके इस तरह अनमोन बनाया जा सकता है।
मुख्यधारा टीम की ओर से डीएफओ विनय भार्गव और उनकी पूरी टीम को इस बेहतरीन प्रेरणास्रोत प्रयास के लिए शुभकामनाएं व धन्यवाद देती है।