मदद करते हो तो तस्वीर खींच लेते हो…
देहरादून। ग्राफिक एरा (graphic era) डीम्ड यूनिवर्सिटी में देश के नामचीन कवियों ने शब्दों के पैनेपन का अहसास कराने के साथ ही देश प्रेम की अलख भी जगाई। सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि दिनेश रघुवंशी को ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान से नवाजा गया।
ग्राफिक एरा (graphic era) के इस 19 वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का श्रीगणेश शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और कृषि मंत्री गणेश जोशी ने ग्राफिक एरा एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला व कवियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इससे पहले कोरोना काल में दिवंगत शिक्षकों, स्टाफ और अभिभावकों को याद करके श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
कवि सम्मेलन की शुरूआत ग्राफिक एरा (graphic era) के दो छात्रों अभिषेक भारद्वाज और स्वर्णिम आदित्य की कविताओं के साथ हुई। इसके बाद लाफ्टर शो से वायरल हास्य व्यंग्य के कवि दीपक सैनी ने खासतौर पर नेताओं पर तीखे व्यंग्य करते हुए अपनी रचनाएं पेश की।
हास्य रस के प्रख्यात कवि डॉ हरिओम पंवार ने श्रोताओं में देशभक्ति के जज्बे के साथ नया जोश भर दिया। उनकी कविता- पैरों में अंगारे बांधे, सीने में तूफान भरे, आंखों में दो सागर आंजे कई हिमालय शीश धरे, मैं धरती के आंसू का संत्रास नहीं, तो क्या गाऊं खूनी तालिबानों का इतिहास…।
मशहूर शायर डॉ. नवाज देवबंदी को भी बहुत पसंद किया गया। गुरू की महिमा पर गीत सुनाकर उन्होंने खूब वाहवाही लूटी – जूते सीधे कर दिए थे एक दिन उस्ताद के, उसका बदला यह मिला तकदीर सीधी हो गई…।
डॉ देवबंदी की रचना – ये दुनिया मौहब्बत को मौहब्बत नहीं देती, ईनाम बड़ी चीज है, कीमत नहीं देती, देने को दे सकता हूं मैं भी उन्हें गाली, मेरी तहजीब मुझे इजाजत नहीं देती …. पर भी खूब दाद मिली। डॉ. नवाज के शेर भी दर्शकों को खूब भाये—बहुत मजाक उड़ाते हो तुम गरीबों का, मदद तो करते हो तस्वीर खींच लेते हो, सरकारी नौकरी है मुहब्बत भी ए नवाज, हम थे गरीब इसलिए हमको नहीं मिली, कहानी सुन के रोना और हकीकत देखकर हंसना… तुम्हारा ढंग कहता है कि सियासी आदमी हो तुम…।
डॉ प्रवीण शुक्ल ने अपने सधे हुए अंदाज में मंच का संचालन करते हुए कभी पैनी चुटकियां लीं और कभी दर्शकों को हंसाकर लोटपोट कर दिया। उनकी कविता – तू ही मेरी एफ बी है, तू ही मेरा इंट्रा है, साइट भी तू ही मेरी और मेरा नैट तू, चाकलेट दिवस पे क्या दूं चाकलेट तुझे, साठ किलो की है खुद मेरी चाकलेट तू… पर खूब तालियां बजीं। उन्होंने डॉ कमल घनशाला को समर्पित कविता सुनाकर उन्हें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं।
फरीदाबाद से आये कवि दिनेश रघुवंशी की कविता- हमेशा तन गए आगे जो तोपों के दहानों के, कोई कीमत नहीं होती क्या प्राणों की जवानों के, बड़े लोगों की औलादें तो कैंडिल मार्च करती हैं, जो अपने प्राण देते हैं वो बेटे हैं किसानों के… सुनाकर माहौल को एक नई सोच दी।
उनकी कविता के दौरान बार बार तालियों की आवाज गूंजती रही। उनकी दूसरी कविता मां को समर्पित रही- भरे घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा, तेरी हाथों सी नरमाहट कहीं मिलती नहीं अम्मा, मैं तन पर लादे फिरता हूं दुशाले रेशमी, लेकिन तेरी गोदी सी गरमाहट कहीं मिलती नहीं अम्मा…।
व्यंग्यकार तेज नारायण शर्मा ने व्यवस्था पर तीखे तंज किए। उन्होंने सुनाया– सड़क रास्ते जाम कराकर, जलवा अपने नाम कराकर, सभी मसीहा लौट चुके हैं शहर में कत्मे आम कराकर…। छात्र कवि अभिषेक भारद्वाज की चीन पर रचना काफी पसंद की गई- ये बासठ का हिंद नहीं है, ये उनको समझा दो, बातों से माने तो मानें, वरना गोली से समझा दो…। ग्राफिक एरा के छात्र स्वर्णिम आदित्य की खूब जमे।
ग्राफिक एरा (graphic era) एजुकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ कमल घनशाला ने कहा कि दुनिया की सबसे नई टेक्नोलॉजी से छात्र-छात्राओं को जोड़ने के साथ ही उन्हें देश की संस्कृति और साहित्य से परिचित कराना भी बहुत आवश्यक है।
सामाजिक सरोकारों से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए आपदाओं के दौर में मौके पर पहुंच कर मदद करने से लेकर साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजन और विश्व स्तरीय स्पर्धाएं तथा उनमें युवाओं की भागीदारी जरूरी है। इनसे टीम भावना और नेतृत्व क्षमता भी विकसित होती है।
ग्राफिक एरा (graphic era) के कवि सम्मेलन में इस बार भी साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रसिद्ध कवि दिनेश रघुवंशी को ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान के साथ एक लाख 25 हजार रूपये की सम्मान राशि भेंट की गई।
ग्राफिक एरा (graphic era) एजुकेशनल सोसायटी की अध्यक्ष लक्ष्मी घनशाला, मैनेजमेंट बोर्ड की वरिष्ठ पदाधिकारी राखी घनशाला, चांसलर डॉ आरसी जोशी, महानिदेशक डॉ संजय जसोला, कुलपति डॉ एच एन नागराजा, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा जे कुमार और अनेक उच्चाधिकारी व अन्य गणमान्य लोग कवि सम्मेलन में हंसते मुस्कराते दिखाई दिए।