मुख्यधारा/देहरादून
उत्तराखंड की सियासत में हरक सिंह रावत चर्चाओं में न रहें, यह भला कैसे हो सकता है। अब कांग्रेस चुनावी कैंपेन के थीम सॉंग के शुभारंभ अवसर पर जब उन्होंने हरदा व प्रीतम के संग ठुमके लगाए तो मीडिया कर्मियों ने भी उन पर सवाल दाग दिया। इस पर उन्होंने कहा कि वे ठुमके नहीं लगाते हैं।
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हरक सिंह रावत ने कहा कि मैं ठुमके नहीं लगाता हूं। क्योंकि मैं गांव में रहा हूं। मेरे गांव में जब में 1991 में मंत्री बन गया, तब अपने गांव में सड़क ले गया।
अपने गांव में बिजली ले गया। हमारे पास तब लैंप भी नहीं होता था। मैंने तो छिल्लों में पढ़ा है। मेरी दादी जब खाना बनाने के लिए आग जलाती थी, वहीं चूल्हे के पास बैठकर मैंने पढ़ाई की। मैंने आठवीं में जिला टॉप किया। पांचवीं बोर्ड में मैंने खिर्सू ब्लॉक को टॉप किया। ग्रेजुएशन में मैंने गढ़वाल विश्वविद्यालय को टॉप किया है और ऐसे ही छिल्ले में पढ़कर टॉप किया है। मुझ पर कोई दलबदलू का आरोप लगाए, कुछ भी आरोप लगाए, अगर मेरे दल बदलने से…। मैं ठुमके की बात इसलिए कर रहा हूं कि हमारे गांव में पांडव नृत्य होता था। हमारे गांव में घण्डियाल जात होती थी। हमारे यहां नागराजा की पूजा होती थी तो बट नेचुरल है कि वो हमारा कल्चर है। हमारी परंपराएं हमारे रीति-रिवाज हमारे रग-रग में हैं।
कुल मिलाकर चुनाव मौसम विज्ञानी की उपाधि हासिल कर चुके हरक सिंह रावत अपनी बहू अनुकृति गसाईं को लैंसडौन विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। अब भले ही उन्हें इसके लिए भाजपा से निष्कासित होना पड़ा हो, किंतु कांग्रेस में प्रारंभिक ना-नुकुर के बाद उनको स्वीकार कर लिया गया है। जिसके गवाह के रूप में गत दिवस हरदा व प्रीतम सिंह के साथ हरक द्वारा लगाए गए ठुमकों को देखा जा सकता है।
बहरहाल, अभी चौबट्टाखाल सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया जाना बाकी है। अब देखना यह होगा कि भाजपाई दिग्गज सतपाल महाराज से लड़ाने के लिए इस सीट पर क्या हरक जैसे हैवीवेट नेता को कांग्रेस मैदान में उतारती है या नहीं!
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