जानिए, हरक पर क्यों पड़ा फरक!
बात 23 अक्टूबर की है, जब सीबीआई ने उत्तराखंड के तेजतर्रार कैबिनेट मंत्री व पूर्व में कांग्रेस की सरकार को हिलाने वाले हरक सिंह रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी ने तब उनके साथ खड़ा होने की बजाय कानून अपना काम करने की रटी-रटाई बात बोलकर इतिश्री कर दी।
जाहिर है कि भाजपा यदि हरक सिंह रावत को इस मामले में सहयोग नहीं करती तो उनका पक्ष हल्का होने की पूरे आसार थे।
बस! यहीं से हरक सिंह पर फरक पडऩा शुरू हो गया और उन्होंने कैरम की गोटियों की भांति सोचना शुरू किया।
इसी कड़ी में अब उन्होंने हरीश रावत के खिलाफ स्टिंग वाली याचिका को वापस लेने का प्लान बनाया तो भाजपा भी हक्के-बक्के रह गई। राजनीतिक जानकार इसे भाजपा को झटका लगना इसलिए मान रहे हैं, क्योंकि यदि हरक सिंह रावत वह मुकदमा वापस ले लेते हैं तो ऐसे में सीबीआई का दर्ज मुकदमा काफी हल्का हो जाएगा और यदि ऐसा होता है तो फिर भारतीय जनता पार्टी के मन की नहीं हो पाएगी और हरीश रावत से भी उनका बदला पूरा नहीं हो पाएगा।
इसलिए कहा जा सकता है कि इस प्रकरण में विभिन्न लोगों व दलों के अपने-अपने समीकरण बिगडऩे के आसार नजर आ रहे हैं।
बहरहाल,अब देखना यह होगा कि हरक सिंह का यह स्टैंड उत्तराखंड की राजनीति में क्या नया मोड़ लाएगा।