चमोली/मुख्यधारा
उत्तराखंड स्थित चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अब सिखों के धार्मिक स्थल श्री हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) के भी कपाट खोलने की तैयारी शुरू हो गई है।
बता दें कि हिमालय में पांचवें धाम के रूप में स्थापित श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 22 मई दिन रविवार को खोले जाएंगे। उतराखंड सरकार और गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) मैनेजमेंट ट्रस्ट ने विचार विमर्श कर फैसला लिया है। एक दिन में 5 हजार श्रदालु ही हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) में पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर मत्था टेक सकते हैं।
हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) में भी इस साल बड़ी संख्या में सिख श्रदालुओं की आने की संभावना है। हेमकुंड साहिब सिखों का पवित्र धार्मिक स्थल है। यह उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में है।
हिमालय की गोद मेें बसा हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) सिख धर्म के आस्था का प्रतीक है। देश-विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। चारों तरफ से पत्थरीले पहाड़ और बर्फ से ढंकी चोटियों के बीच बसा हेमकुंड साहिब समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां का सफर बहुत ही मुश्किल है। हेमकुंड साहिब जाने के लिए श्रद्धालुओं को बर्फीले रास्ते से होकर जाना पड़ता है। यहां साल में छह महीने बर्फ जमी रहती है और मौसम बहुत ही सर्द बना रहता है। श्रद्धालु हेमकुंड साहिब (hemkund sahib) सड़क और हवाई रास्ते से जा सकते हैं।
अगर आप सड़क के रास्ते से जा रहे हैं तो आपको ऋषिकेश-बदरीनाथ मोटर मार्ग से जाना होगा। यहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को पांडुकेश्वर से दो किलोमीटर पहले गोविंद घाट में उतरना पड़ेगा। गोविंद घाट से करीब 20 किलोमीटर से ज्यादा पैदल यात्रा करनी पड़ती है। गोविंदघाट पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को झूलते हुए ब्रिज के जरिए अलकनंदा नदी पार करनी पड़ेगी। यहां से आगे पुलना गांव आएगा। इसके बाद की चढ़ाई और मुश्किल हो जाती है, क्योंकि रास्ता बहुत पथरीला है।
इसके बाद घांघरिया बेस कैंप आता है और यहां हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। हेमकुंड साहिब यानि सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की तपस्थली है। हेमकुंड साहिब अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह देश के सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं ।
गुरुद्वारे के पास ही एक सरोवर है। इस पवित्र जगह को अमृत सरोवर अर्थात अमृत का तालाब कहा जाता है। यह सरोवर लगभग 400 गज लंबा और 200 गज चौड़ा है। यह चारों तरफ से हिमालय की सात चोटियों से घिरा हुआ है। इन चोटियों का रंग वायुमंडलीय स्थितियों के अनुसार अपने आप बदल जाता है।
अब तक चार धाम यात्रा के दौरान 39 लोगों की हुई मौत
बता दें कि इस साल चार धाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुओं की बढ़ती जा रही भीड़ को लेकर उत्तराखंड सरकार को कई बार गाइडलाइन भी जारी करनी पड़ी है, लेकिन फिर भी व्यवस्था बनाने में सरकार, पुलिस प्रशासन और इससे जुड़े विभागों के पसीने छूट रहे हैं।
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के कारण चारों धामों में व्यवस्था चरमरा गई है और यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ श्रद्धालुओं को चार धाम यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों के इंतजाम करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वहीं चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की मौत का लगातार सिलसिला जारी है। अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक शैलजा भट्ट ने सोमवार को दी है।
अब तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में पहुंच चुके हैं इतने श्रद्धालु
दर्शनार्थियों एवं तीर्थयात्रियों की संख्या
1-श्री बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 8 मई से 16 मई शाम तक 160728
•श्री बदरीनाथ धाम 16 मई शाम 4 बजे तक- 15735
2- श्री केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि 6 मई से 16 मई शायं तक 200154
• श्री केदारनाथ धाम 16 मई शाम 4 बजे तक 13486
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ पहुंचनेवाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या का योग- 360882