अस्पताल से उत्तराखंड के लिए चिंतित बलूनी
उत्तराखंड की लुप्त होती समृद्ध संस्कृति को बचाने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने अभिनव पहल शुरू की तो वह सफल भी रही। उन्होंने इस बार प्रवासी उत्तराखंडियों से इगास बग्वाल मनाने अपने गांव आने का आह्वान किया था। साथ ही यह घोषणा भी की थी कि वह इस बार की इगास अपने गांव नकोट में मनाएंगे। नकोट देवप्रयाग के निकट पौड़ी जिले की कंडारस्यूं पट्टी का एक छोटा सा गांव है।
अस्वस्थ बलूनी लगभग डेढ़ माह से मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं, किंतु अस्वस्थता से पूर्व उन्होंने राज्य की महत्वपूर्ण हस्तियों, कलाकारों से भेंट कर इस अभियान को बड़ा स्वरूप देने की कोशिश की थी। उनके निकटवर्ती लोग बताते हैं कि अस्पताल में रहकर भी वह उत्तराखंड के लिए चिंतित रहते हैं। उनके प्रयासों का ही प्रतिफल रहा कि सांसद बलूनी के अभिन्न मित्र और भारतीय जनता पार्टी के तेजतर्रार प्रवक्ता संबित पात्रा ने बलूनी की अस्वस्थता के कारण उनकी पहल को आगे बढ़ाते हुए खुद बलूनी के गांव जाकर धूमधाम से इगास मनाई। इगास मनाने के साथ ही पात्रा भी नकोट गांव की संस्कृति व अन्य पहलुओं से रूबरू हुए। अब चूंकि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नकोट गांव में थे तो मीडिया का हुजूम उमडऩा भी यहां लाजिमी ही था। परिणामस्वरूप देश-विदेश में इगास चर्चित हो गई।
ग्रामीणों ने भी उपचाराधीन अनिल बलूनी के हौसले को बरकरार रखते हुए अपने निजी संसाधनों से स्थानीय ग्रामीणों ने जिस तरह एकजुट होकर बलूनी के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे संबित पात्रा की मौजूदगी को महोत्सव बना डाला उसे पूरे उत्तराखंड ने महसूस किया। यही कारण था कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने भी बलूनी के गांव पहुंचकर कार्यक्रम को गरिमामयी बना दिया।
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अपने गांव इगास मनाने पहुंचे। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बकायदा मीडिया से संवाद कर बताया कि वह बलूनी की अपील पर नैनीताल जनपद के एक गांव में इगास बनाने जा रहे हैं। कुमाऊं अंचल में इगास को बुढ़दिवाली कहा जाता है। हालांकि प्रदेशवासियों की व्यापक मांग के बावजूद भी उत्तराखंड सरकार ने इस अवसर पर छुट्टी करने की जरूरत नहीं समझी।
बताते चलें कि राज्यसभा सांसद मनोनीत होते ही भारतीय जनता पार्टी के राट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने कुछ अलग शैली से अपने काम की शुरुआत की। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खास सिपहसालार माने जाते हैं, जिसका सबूत उन्होंने निरंतर उत्तराखंड के लिए विभिन्न योजनाओं के द्वारा तो दिया ही, बलूनी ने पलायन के विरुद्ध ‘अपना वोट-अपने गांव’ अभियान भी चलाया। जिसे उत्तराखंड की विभिन्न हस्तियों का भरपूर साथ मिला। एनएसए अजीत डोभाल, सेना अध्यक्ष बिपिन रावत, गीतकार प्रसून जोशी, लेफ्टिनेंट गवर्नर डीके जोशी, पर्वतारोही बछेंद्री पाल सहित राज्य के तमाम बड़े नाम इससे जुड़े, किंतु इगास पर बलूनी की पहल ने इस त्योहार को चर्चाओं में ला दिया।
बहरहाल, सदियों से मनायी जा रही इगास को वर्ष 8 नवंबर 2019 में नई पहचान मिली है। अब देखना यह है कि प्रदेश सरकार यहां की लोक संस्कृतियों को संरक्षित करने में क्या पहल करती है!