देवउठनी एकादशीण (Devuthani Ekadashi) : भगवान विष्णु योग निद्रा से जागे, आज से बजेगी शहनाइयां, शादी-विवाह के लिए यह रहेंगे 13 शुभ मुहूर्त, तुलसी विवाह भी आज - Mukhyadhara

देवउठनी एकादशीण (Devuthani Ekadashi) : भगवान विष्णु योग निद्रा से जागे, आज से बजेगी शहनाइयां, शादी-विवाह के लिए यह रहेंगे 13 शुभ मुहूर्त, तुलसी विवाह भी आज

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देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi): भगवान विष्णु योग निद्रा से जागे, आज से बजेगी शहनाइयां, शादी-विवाह के लिए यह रहेंगे 13 शुभ मुहूर्त, तुलसी विवाह भी आज

देहरादून/मुख्यधारा

आज देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) है। हिंदू धर्म में यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। पांच महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन जागते हैं। आज से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी होती है। ‌23 नवंबर को देव उठने के साथ शादियों का सीजन शुरू होगा। आज से बजेगी शहनाइयां। इसी दिन सीजन का पहला मुहूर्त भी है। इसको मिलाकर दिसंबर तक 12 मुहूर्त होंगे। इनमें नवंबर के 5 और दिसंबर के 7 दिन शुभ रहेंगे।

खास बात यह है कि 23 नवंबर से लेकर 15 दिसंबर तक के 23 दिनों में शादी विवाह के लिए 13 शुभ मुहूर्त रहेंगे। 15 दिसंबर से धनु मास शुरू होगा। इस कारण अगले साल 15 जनवरी के बाद शादियां शुरू होंगी। जो कि 20 अप्रैल तक चलेंगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। देवउठनी एकादशी पर रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि, सिद्धि और अमृत सिद्धि जैसे योग बन रहे हैं।

बता दें कि देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठान एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी के साथ तुलसी के पौधे की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के संकटों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जून माह में चातुर्मास शुरू हो जाने के चलते देवी देवता शयन में चले जाते हैं। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक देवी देवताओं के शयन में चले जाने के बाद शादी विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवी देवता शयन करते हैं तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद कोई भी शुभ कार्य करना उत्तम माना जाता है। इस अवसर पर विवाह, नूतन व्यापार की शुरुआत, और गृहप्रवेश जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को संपन्न करना शुभ माना जाता है।

देवउठनी एकादशी के पश्चात समय को सामुर्थ्यपूर्ण, पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है और लोग इस समय में शुभ कार्यों को संपन्न करना पसंद करते हैं। इसी दिन तुलसी और शालिग्राम की विवाह संपन्न कराया जाता है।

माना जाता है कि देवउठनी एकादशी तुलसी विवाह का दिन भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। तुलसी विवाह के दिन अपने घर के आंगन में तुलसी और शालिग्राम को एक रोली के बंधन में बांध दें और विवाह संपन्न कराएं। इससे कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही मोक्ष के द्वार भी खुल जाएंगे।

वहीं तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी को सोलह श्रृंगार का सामान जरूर अर्पण करें और सिंदूर दान करें। इससे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है।

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