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केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में लड़ रहा शराब व किताब के बीच और भूमाफियाओं के खिलाफ लड़ाई: मनोज रावत

admin
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रुद्रप्रयाग/मुख्यधारा

केदारनाथ से विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने बताया कि वह विधानसभा क्षेत्र में शराब व किताब के बीच और भूमाफियाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अकेली उनकी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह उस सभी वर्ग की लड़ाई है, जो सुशासन चाहता है। अपने बच्चों को शराब से बचाना चाहता है। अपने बच्चों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार चाहता है।

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की माताओं, बहनों, बुजुर्गो और युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हम सभी मल्या मुलक यानी बद्री-केदार भूमि के लोग हैं। दुनिया में हमारी अलग पहचान है। देश दुनिया से हर साल हमारे बद्री-केदार और विश्व की अदभुत और अलौकिक पर्वतमालाओं, नदियों, झरनों, बुग्यालों को देखने के लिए आते हैं। पिछले पांच सालों में विपक्ष के विधायक के रूप में मैंने आपकी आवाज बुलंद ढंग से विधानसभा में उठाई।

उन्होंने कहा कि 2017 में राज्य की चौथी विधानसभा में पहली बार निर्वाचित होने के बाद मैंने कई बड़े मुद्दों को विधानसभा में उठाया। उसमें सबसे बड़ा मुद्दा 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा बुग्यालों में रात्रि विश्राम पर रोक का था। मेरे पर्यटन कारोबार से जुड़े साथियों को इससे काफी नुकसान हुआ। भाजपा सरकार इस मुद्दे पर न तो अध्यादेश लेकर आई और न ही सुप्रीम कोर्ट गई।

देवस्थानम बोर्ड में भी सबसे मुखर होकर और कांग्रेस और मेरे द्वारा सड़क से सदन तक आवाज उठाई गई। गौरा कन्याधन योजाना, भूकानानू ऐसे न जाने कई मुद्दे मंैने विपक्षी विधायक के रूप में उठाए और सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा।

इस विधानसभा में पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और पर्यटन पर था। हर ग्राम लाईब्रेरी की चर्चा विधानसभा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में हो रही है। चौमासी से केदारनाथ ट्रैक, तुंगनाथ से तुंगनाथ ट्रैक, मोनाल फेस्टिवल, कयीकिंग प्रतियोगिता और हमारे सीमांत गावों के लाई महोत्सव को बढ़ावा दिय़ा। मांगल मेलों के माध्यम से हमारी पुरानी लोक संस्कृति को संरक्षित करने के साथ छिपी हुई प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया।

मनोज रावत ने क्षेत्रवासियों से अपील करते हुए कहा कि 14 तारीख को आप कांग्रेस और हमारा साथ दें। वह पिछले दो महीने से लगातार चुनाव प्रचार में हैं। इस बीच कई लोगों से नहीं मिल पाया और कुछ गांव या उनके इलाके छूट गए, लेकिन केदारघाटी मेरे दिल में है। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई केदारनाथ को संवारने और शिक्षित करने की है। ये लड़ाई शराब और किताब के बीच है। ये लड़ाई भूमाफियों के खिलाफ है। ये लड़ाई केदारनाथ को उत्तराखंड की सबसे मजबूत विधानसभा बनाने की है।

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