कुमारी विमला दीदी सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए मानद उपाधि से सम्मानित
नीरज उत्तराखंडी
फरीदाबाद द्वारा संचालित मैजिक बुक ऑफ़ रिकॉर्ड के अंतर्गत सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय योगदान लिए प्रदान किया गया है।
कुमारी विमला दीदी का संक्षिप्त परिचय
“कैसे लड़ना है तूफां से ये खुद ही आ जायेगा,
सिर्फ शमां की तरह खुद को जला कर देखिए।”
ये पंक्तियां विमला”दीदी ” के व्यक्तित्व पर चरितार्थ होती दृष्टिगत होती है जिनके अंदर समाज सेवा का जोश और जुनून इस कद है कि पितृसत्तात्मक वर्जनाओं को चुनौती देते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण कर ओएनजीसी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अपनी प्रतिभा के बल निगमित विधि विभाग में अतिरिक्त मुख्य विधि सलाहकार के पद पर नियुक्ति पाई तथा आपने आजीवन अविवाहित रह कर समाज सेवा का संकल्प लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़कर सामाजिक कार्य कर रही है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
कु० विमला दीदी का जन्म जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील त्यूनी अंतर्गत ग्राम कूणा में हुआ । इनके पिता श्री मंगतराम जी वन विभाग में रेंज अधिकारी रहे हैं एवं माता यशोदा देवी जो एक कुशल गृहिणी हैं। आप जौनसार-बावर की पहली महिला अधिवक्ता हैं जिन्होंने ग्रेजुएशन के बाद 1990 में डी० ए० वी० (पीजी) कॉलेज से एल०एल०बी० किया था तत्पश्चात एम ए (समजशास्त्र) एवं एम० कॉम० किया।
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शिक्षा दीक्षा
दीदी की प्राइमरी शिक्षा शुरुआत में कुछ समय इनके पैतृक गांव कूणा से कुछ ही दूरी पर कोटी स्कूल में हुई।
बताते चलें कि कोटी गांव में स्थित स्कूल ऐतिहासिक है, जौनसार बावर का यह सबसे पुराना आजादी से पहले का प्राइमरी स्कूल था जो आज इंटर कॉलेज हो गया है। इस स्कूल से क्षेत्र के पूर्व मंत्री स्व ० श्री गुलाब सिंह व विमला दीदी के पिता श्री मंगतराम जी व समाज सेवी पंडित शिवराम शर्मा ने भी यहीं से शिक्षा ग्रहण की।
दीदी ने आराकोट बंगाण से प्राइमरी की शिक्षा प्राप्त की उसके बाद उन्होंने स्कूल से 1981 में बालिका इंटर कॉलेज उत्तरकाशी से 10 वीं पास की। पिता का तबादला उत्तरकाशी से चकराता रेंज में होने पर वे अपने भाई बहनों के साथ देहरादून आई और आगे की पढ़ाई यहाँ जीजीआईसी, राजपुर रोड से इंटर किया 1983 में उसके बाद एमकेपी पीजी कॉलेज से अर्थशात्र, संस्कृत एवं अग्रेजी विषयों के साथ गेजुएशन किया और उसके बाद डी० ए० वी० (पीजी) कॉलेज देहरादून से 1990 में एल०एल०बी० किया था। एम ए (समजशास्त्र) एवं एम० कॉम० बाद में नौकरी के साथ डी ए वी (पीजी) कॉलेज से प्राइवेट किया।
अक्टूबर 1989 में एंथ्रोपोलॉजीकल सर्वे ऑफ़ इंडिया में नौकरी लगने के साथ ही वकालत की पढ़ाई पूरी की और वकालत की पढ़ाई पूरी करने वाली जौनसार बावर पहली छात्रा बनी।
फ़रवरी 1995 में अपने ओएनजीसी में जॉइन कर सेवा की और यहीं 1996 में इंप्लॉइज वेलफेयर कमेटी का इलेक्शन लड़ने का मौक़ा मिला और हैयेस्ट वोटों से जीत कर 4 साल कमेटी में जॉइंट सेक्रेटरी रही, यहाँ इलेक्शन में राज्य आंदोलन का भरपूर लाभ मिला।
सामाजिक सफर
दीदी का समाज सेवा का सफर 1986-87 में त्यूनी व हनोल से हुआ इसी उद्देश्य से आपने 1989 के शुरुआत में “पर्वत हितम” नाम की स्वैच्छिक संस्था का गठन कर जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में जनजागरण अभियान चलाया और समाज की अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों को उनके हक अधिकार के प्रति जागरूक किया। समाज सेवा का सफर जारी रहा और इसी समय अपने जनजागरण अभियान के माध्यम से घर घर जाकर एक सर्वे भी किया, शिक्षा स्वास्थ्य और सरकार द्वारा चलाई जा रही ओजनाओं से जन सामान्य को अवगत कराया और जरूरतमंद लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी पहुँचाया। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में मौजूद अनेक तरह की विषमताएं को पाटने का प्रयास किया। गरीब व दलित पिछड़े लोगों की समस्याओं का समाधान करने का हर सम्भव प्रयास किया।
आप उत्तराखंड राज्य में निवासरत जनजातियों की संस्कृति के संरक्षण संवर्धन और उनके विकास के लिए कार्य कर रही उत्तराखंड जनजाति कल्याण समिति, प्रगतिशील महिला मंच और उत्तराखंड महिला मंच की संस्थापक सदस्य भी रही है।
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उत्तराखंड जनजाति कल्याण समिति में आजीवन सदस्य होने के साथ आप प्रारंभ में समिति की उपाध्यक्ष व महासचिव के पद पर भी रही, इसके अलावा उत्तराखंड जनजाति कर्मचारी संगठन तथा जनजाति छात्र एवं युवा समिति का भी नेतृत्व किया। ओएनजीसी एससी एसटी एसोशिएशन में 6 साल वाइस चैयर्मेन रही और ओर्नजीसी एम्प्लॉयज़ वेलफाइस कमेटी में 4 साल जाइंट सेक्रेटरी रह कर समाज के कार्यो से जुड़ी रही। आप प्रगतिशील महिला मंच और उत्तराखंड महिला मंच की भी संस्थाक सदस्यों में से एक है, जिनकी स्थापना 1991 और 1994 में हुई थी । उत्तराखंड महिला मंच ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भाग लिया और आंदोलन का नेतृत्व किया, मंच ने हमेशा उत्तरखंड के जल जंगल जमीन और समान शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के संरक्षण के लिए काम किया और आज भी कर रहे हैं।
इसके अलावा धाद जैसे प्रतिष्ठित संस्था से जुडी रही जो पर्यावरण संरक्षण पर काम रही है, वे हिमगिरी सोसाइटी, जौनसार बावर कर्मचारी मंडल, ओ एन जी सी में भी अनेक वेलफेयर समितियों की भी मेंबर रही। सन 1998 में ओएनजीसी वीमेन डेवलोप फोरम जो पहली बार बना था विशाखा गाइडलाइन आने के बाद में कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई।
कानूनी लड़ाई एवं आर्थिक मदद के बतौर अधिवक्ता वे जनजाति सर्टिफिकेट को लेकर केशर सिंह , ग्राम कितरौली, चकराता का साल 2006-07 में एक लड़कर अंजाम तक पहुंचाया, जिसकी बदौलत अब पीड़ित ससम्मान नौकरी कर रहा है। होनहार प्रतिभाओं की आर्थिक मदद करने में कोई गुरेज नहीं की।
पारिवारिक झगड़े सुलझा कर पारिवारिक रिश्तों को टूटने से बचाया। आर्थिक रूप से अक्षय पीड़ितों को निशुल्क कानूनी सहायता देना भी जारी रखें हुए हैं।
पुरस्कार सम्मान
2019 दिसम्बर में सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय कार्यों के लिए दलित साहित्य अकादमी द्वारा डा ० अम्बेडकर फ़ेलोशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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कार्य क्षेत्र में जिम्मेदारी
दीदी जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं वर्तमान में ओ एन जी सी (तेल एवम प्राकृतिक गैस आयोग), तेल भवन देहारादून के निगमित विधि विभाग में अतिरिक्त मुख्य विधि सलाहकार के पद पर कार्यरत है और देहारादून में ही रहती है।
“जो जीवन में संघर्षो से परिचित नहीं होते, वे इतिहास में चर्चित नहीं होते”
इन पंक्तियों से प्रेरणा लेते हुए समाज सेवा का सफर जारी है।