Labor day: 138 साल पहले मजदूरों ने अपने हक-अधिकारों की उठाई आवाज, इस देश से हुई थी मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत
मुख्यधारा डेस्क
आज एक ऐसा दिवस है जो श्रमिक वर्ग से सीधा ही जुड़ा हुआ है। इस दिवस को कई नामों से जाना जाता है। जैसे लेबर डे, मजदूर दिवस, श्रमिक दिवस या मई डे। 138 साल पहले अंतरराष्ट्रीय श्रमिक डे मनाने की शुरुआत हुई थी।दुनियाभर में 1 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इस दिन मजदूरों के कार्य के प्रति सम्मान जताया जाता है। इस दिन कई देशों में अवकाश भी होता है। रैलियों, कार्यक्रमों द्वारा मजदूरों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। इस दिन को मनाने की नींव अमेरिका में रखी गई, जब अमेरिकी मजदूरों ने शिकागो में अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठाते हुए आंदोलन किया। उन दिनों मजदूर एक दिन में 15-15 घंटे काम करते थे। अपने कार्य अवधि को कम और तय कराने की मांग करते हुए मजदूर 1886 में सड़कों पर उतर आए और हड़ताल करने लगे।
आंदोलन में पुलिसकर्मियों ने मजदूरों पर लाठीचार्ज और फायरिंग कर दी। इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई और सैकड़ों श्रमिक घायल हो गए। घटना के तीन साल बाद 1889 में पेरिस में हुए एक सम्मेलन में मजदूरों के आंदोलन की वर्षगांठ के रूप में मजदूर दिवस मनाने का फैसला लिया गया। साथ ही मजदूरों के अनिश्चित कार्य अवधि को घटाकर आठ घंटे प्रतिदिन कार्य करने का नियम लागू हुआ। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मजदूरों के श्रम योगदान का सम्मान करना और उनके अधिकारों के होने हनन को रोकना है।
श्रमिकों पर केंद्रित पहला मई दिवस समारोह 1 मई 1890 को मनाया गया था। वहीं भारत में 1 मई, 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मद्रास (अब चेन्नई) में भारत में मजदूर दिवस का पहला उत्सव आयोजित किया गया था। यह वह समय भी था जब इसके लिए लाल झंडा भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया था। कम्युनिस्ट नेता मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार ने इस अवसर को मनाने के लिए लाल झंडा उठाया था और बैठकें आयोजित की थीं। चेट्टियार ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया कि सरकार को भारत में मजदूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा करनी चाहिए और तब से देश ने इस दिवस को मनाना जारी रखा है।
1891 में, इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर मई दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए भारत में पहली बार लाल झंडे का इस्तेमाल किया गया था। 1 मई को भारत में भी कई कंपनी और संस्थाओं में छुट्टी होती है। हालांकि, ये हर राज्य में नहीं होता। जैसे कि 1 मई को तमिलनाडु, बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और बिहार में छुट्टी होती है। श्रमिक और श्रमिक वर्ग किसी देश की प्रेरक शक्ति हैं। वे ही हैं जो विकास की शुरुआत करने के लिए अधिकांश कार्य करते हैं। देश और राज्य का निर्माण उसके बुनियादी ढांचे, विकास और अर्थव्यवस्था से होता है, श्रमिक इन चीजों की जड़ों तक जाते हैं और देश और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बुनियादी स्तर पर काम शुरू करते हैं।
श्रमिक और श्रमिक वर्ग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे समाज की रीढ़ हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम नियमित रूप से उनकी भलाई का ध्यान रखें और उनके मुद्दों को सुनें। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस हमेशा दुनिया भर के समारोहों, विरोधों और हड़तालों के लिए जाना जाता है।