पिथौरागढ़। यूं तो उत्तराखंड के राजनेताओं को कोरे आश्वासन देने वालों के रूप में जाना और पहचाना जाता है, लेकिन एक विधायक ऐसे भी हैं, जो अपनी विधानसभा क्षेत्रवासियों की समस्याओं को प्राथमिकता से दूर करने का प्रयास करते हैं। यही नहीं, इसके लिए वे स्वयं मौके पर खड़े होकर काम करवाने से भी गुरेज नहीं करते, लेकिन कई बार उन्हें जनसेवा के बदले खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी की। आइए उनकी नई जनसेवा के बदले उन्हें क्या ईनाम मिला, आपको भी इससे रूबरू करवाते हैं।
दरअसल धारचूला के विधायक हरीश धामी ने मदकोट फगुवा में बन्द सड़क को खोलने के लिए अपने निजी संसाधनों से जेसीबी मशीनें चलाकर शुक्रवार से मलबे से बंद सड़क को खुलवा दिया था। इसके लिए उन्हें स्वयं मौके पर खड़ा होना पड़ा था। रोड बन्द होने से गाडिय़ों में यात्री लोग भूखे प्यासे फंसे हुए थे और क्षेत्रवासियों को भी भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जब धामी को यह बात पता चली तो जनता की समस्या के समाधान के लिए उन्होंने अपने संसाधनों से मशीनें मंगाकर सड़क को खुलवा दिया, लेकिन जन समस्या के समाधान के बावजूद विधायक के खिलाफ मदकोट चौकी में बीआरओ ने मुकदमा दर्ज करा दिया। इस पर विधायक हरीश धामी ने भी बीआरओ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
बताते चलें कि जौलजीबी से मुनस्यारी रोड शुक्रवार शाम से फगुवाबगड़ के पास मलबा आने से बंद हो गया था। इससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई थीं।
ऐसा भी नहीं है कि बीआरओ को सड़क बंद होने की जानकारी नहीं थी। बीआरओ सोमवाल तक सड़क खोलने की बात कह रहा था, लेकिन जाम में फंसे लोगों की समस्या को देख विधायक हरीश धामी ने स्वयं सड़क को ठीक करवा दिया था। इसी बात से बीआरओ उखड़ गया।
इससे पहले पिछले साल भी बंगापानी के पास बन्द सड़क को खोलने के लिए जब ग्रीफ ने मना कर दिया तो विधायक हरीश धामी ने अपनी संसाधनों से मशीनें लगाकर एक माहीने तक दिन-रात काम करके सड़क को खुलवाया था। इससे पहले बरम की आपदा में भी बंद पड़ी सड़क को भी हरीश धामी ने स्वयं के संसाधनो से स्वयं खड़े होकर खुलवाया था।
धामी को उनकी जनसेवा के बदले उनके खिलाफ एफआईआर के रूप में उन्हें ईनाम मिला है। हमेशा अपने क्षेत्रवासियों के साथ खड़े रहने वाले धामी को स्थानीय जनता का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।
इस संबंध में हरीश धामी का कहना है कि जनप्रतिनिधि होने के नाते ऐसी समस्याएं सुलझाने के लिए उनकी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है। स्थानीय जन समस्याएं सुलझाने के लिए ही तो मुझे यह जिम्मेदारी दी गई है। बीआरओ की टालमटोली के कारण उन्हें स्वयं जेसीबी मंगवाकर रोड खुलवानी पड़ी। अगर उन्होंने जनहित में यह काम किया है तो यह कहां से गलत हो गया।