मुकेश की मेहनत लाई रंग, एप्पल मिशन को रोजगार का जरिया बनाकर जगाई स्वरोजगार की अलख
नीरज उत्तराखंडी/त्यूणी
जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के देवघार ख़त के मुन्धौल गांव निवासी मुकेश जोशी ने बागवानी को रोजगार का जरिया बनाकर न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा दिया वल्कि चंद रूपए की पगार के लिए मैदानों की खाक छानते बेरोजगार युवाओं के लिए एक प्रेरणा का संदेश भी दिया है।
संभ्रांत सम्पन्न संयुक्त परिवार में4 मई 1999 में जन्में मुकेश जोशी के पिता दिनेश चन्द्र जोशी जल संस्थान में कार्यरत हैं, जबकि रमोला जोशी कुशल गृहिणी हैं। मुकेश जोशी ने सिविल इंजिनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर हिमाचल प्रदेश के कोटखाई निवासी अवनीश चौहान से प्रेरित होकर स्वरोजगार की ओर रुख किया । और संयुक्त परिवार के बरसों पुराने बागवानी के व्यवसाय को नया रूप दिया।
वर्तमान समय में मुकेश जोशी एप्पल मिशन योजना अंतर्गत 6100 – 6200 फीट यानि 1850 मीटर की ऊंचाई पर 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब रूट स्टाक प्रजाति की सघन खेती कर रहे हैं।
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विगत वर्ष ही एम -9 रूट स्टाक प्रजाति के 1000हजार पौधें रोपित किए हैं जिनमें गाला बिग बक्स (फ्लैश गाला) किंग रॉट, डार्क बैरोन गाला,डेविल गाला,गाला MGCP, टी रेक्स गाला, शीनिगा शिनिगो रेड गाला की प्रजाति शामिल हैं। एप्पल मिशन योजना अंतर्गत रोपित पौधे अभी 1 साल के है।
मुकेश जोशी ने बताया कि वर्ष 2024 में शुरुआती उत्पादन 10 हॉफ बॉक्स थे ,जो 50-60 भी हो सकते थे लेकिन पौधे की ग्रोथ को नजर में रखते हुए प्रति प्लांट 3-4 फ्रूट लिया गया । कुछ हॉफ बॉक्स बिक्री के लिए मार्केट में उतारे गए जो कि 10kg का दाम 2800rs था मतलब 25 kg का बॉक्स 7000rs।
मुकेश जोशी बताते हैं कि आने वाले2-3 साल में 5000 अति संघन पौधे लगाने और साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का उनका लक्ष्य है।
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उनका कहना है कि आजकल के युवा अपने गांव और खेती किसानी को छोड़ कर 10000-20000 की नौकरी के लिए गांव से पलायन कर शहरों की तरफ जा रहे हैं जबकि वे अपने खेतों में बागवानी करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं और साथ में दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं।
बागवानी से स्वस्थ जीवन का रहस्य साझा करते हुए वे बताते हैं कि आप रोज अपने खेत में घूमने भी जाओ और अपने पेड़ पौधों की नियमित देखभाल के भी आओ। 1-2 घंटे बस आपने ये देखना है कि आपके पौधे को क्या जरूरत है? क्या पौधे में कोई बीमारी या रोग तो नहीं लगा? रोज बगीचे में जाकर यही ध्यान देना है और इससे शरीर कों भी नई उर्जा और ताजगी मिलती है।
वे बताते हैं कि बागवानी तो उनका पुश्तैनी व्यवसाय है लेकिन वे विगत 6 साल से खुद बागवानी कर रहे हैं।
आधुनिक तकनीक से युक्त बागवानी में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं आवश्यकता है एक सकारात्मक संकल्प सोच के साथ कार्य करने की।
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