राष्ट्रीय विज्ञान दिवस : अब विज्ञान (science) के बिना विकास व प्रगति की कल्पना भी मुश्किल
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
आज 28 फरवरी को दुनिया विज्ञान दिवस मना रही है। विज्ञान के बिना विकास व प्रगति की कल्पना भी अब मुश्किल है। आज के मनुष्य का जीवन विज्ञान के बिना खाली-खाली एवं अधूरा ही है। एक और जहां विज्ञान ने जीवन को नई ऊंचाइयां एवं नए आयाम दिए हैं, उसे सरल और आरामदायक बनाया है, वहीं इसके नकारात्मक उपयोग ने विध्वंस के दरवाजे भी खोलें हैं। एक नजऱ से देखने पर कई बार ऐसा लगता है कि आज विज्ञान का महत्व मनुष्य के महत्व से भी कहीं अधिक हो गया है। इस विज्ञान दिवस पर देखते हैं विज्ञान के विभिन्न रूप एवं उसके सृजनात्मक तथा विध्वंशिक रूपों का परिणाम।बहुत लंबा समय नहीं बीता है जब दुनिया के प्रगतिशील देश भारत को सांपो सपेरों का देश कह कर उसका मज़ाक बनाते थे और झूठ भी नहीं था यह। आज़ादी के वक्त छोटे छोटे सामान के लिए भी हमें दूसरों की तरफ ताकना पड़ता था। अंधविश्वास, पाोंगापंथी, अतार्किक रीति रिवाज और भूत प्रेतों तक पर यकीन आम बात थी। जादू टोना, झाड़ फूंक, महामारियां, बिमारियां, न सड़कें न परिवहन के समुचित साधन, न स्कूल न शिक्षा यानि रोशनी कम और अंधेरे ज़्यादा थे। पर आज़ादी के छोटे से कालखंड में आज का हिंदुस्तान सांपों के देश से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग में आ चुका है और डिजिटल क्रांति से दुनिया को आधुनिक विज्ञान का पाठ पढ़ा रहा है।
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निस्संदेह भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में नया इतिहास लिखा है। हमारे वैज्ञानिको ने इतना हासिल किया है कि दुनिया हतप्रभ है। मारक परमाणु क्षमता से युक्त अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि व ब्रह्मोस के कई परिष्कृत संस्करण का सफल परीक्षण। मंगल ग्रह तक दुनिया
के सबसे कम कीमत के अंतरिक्ष यान को पहुंचाना चांद पर उतरने में सफलता, औषधि निर्माण के क्षेत्र में कमाल, कोविड- 19 के समय दुनिया भर को वेक्सीन का निर्यात, डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन, मनोरंजन व खेल के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कीर्तिमान, रोजमर्रा के जीवन में विज्ञान का फलदायी समावेश किया है भारत और यह सफर अभी जारी है।उपलब्धि, क्षमता और प्रोत्साहन के कारण भारत ने विश्व की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी की महानतम शक्तियों में तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। परिणामस्वरूप भारत कच्चे माल के निर्यात से अब विश्व की सर्वाधिक मजबूत औद्योगिक अर्थव्यवस्था में से एक बन गया है। अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारत काफ़ी आगे है। हमारा दूर संवेदी नेटवर्क संसार का सबसे बड़ा दूरसंवेदी नेटवर्क बन चुका है जो हमारे लिए गर्व का विषय है।भारत की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति भी आश्चर्यजनक है।
परमाणु और अंतरिक्ष से जुड़े विषयों व इलैक्ट्रॉनिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हम सुपर कंप्यूटर बनाकर अग्रणी देशों की पंक्ति में हैं । अब सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों का निर्यात विकसित देशों को भी कर रहे हैं। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित इंजीनियरों की अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान जैसे विकसित देशों में भारी माँग है।वैज्ञानिक अनुसंधानों के बलबूते पर भारत ने जलयान निर्माण, रेलवे उपकरण, मोटर उद्योग, कपड़ा उद्योग आदि में आशातीत सफलता प्राप्त की है। आज हम भारत की उद्योगशालाओं में बनी अनेक वस्तुओं का निर्यात करते हैं। बेशक आने वाले समय में भारत बड़ी उपलब्धियों के लिए जाना जाएगा। भारत, अमेरिका, रूस, चीन और ब्रिटेन के बाद दुनिया का 5 वां देश है जिसके पास अपना जीपीएस सिस्टम है। इतना ही नहीं भारत 1500 किमी की रेंज में आने वाले देशों को भी यह सेवा दे सकता है कह सकते हैं कि हम जल्द ही विज्ञान के क्षेत्र में सुपर पॉवर होगें।
पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह के कक्ष में पहुंच जाना भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है,पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। अमरीका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पहुंचने में सफलता मिली थी।अपने दूसरे ही प्रयास में चंद्रयान को भी हम चंद्रमा की धरातल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहे हैं और इस क्षेत्र में हमारे प्रयोग वहां पर जारी हैं।उम्मीद आने वाले समय में हम इससे बड़ी उपलब्धियां भी हासिल करेंगे।भारतीय वैज्ञानिकों ने विदेशी वैज्ञानिकों के साथ मिल कर गेहूं के जीनोम का सीक्वेंस तैयार किया है। बहुत सालों से कई देश मशक्कत कर रहे थे कि इस जीनोम को सीक्वेंस किया जाए पर भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक दिल्ली और लुधियाना की लैबॉरेट्री में इस जीनोम को सीक्वेंस किया। इस सफलता से भारत को अपनी खाद्य सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद मिलेगी।
इन सफलताओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि विज्ञान के क्षेत्र में हमने झंडे गाड़े हैं पर एक दूसरा पहलू भी है विज्ञान का। बड़े बड़े क्षेत्रों में बड़ी बड़ी उपलब्धियां बेशक हैं पर अभी भी विज्ञान के इस देश के ग्रामीण क्षेत्र व गरीबों के विकास के लिए बहुत करना शेष है खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में, बच्चों के लिए, रोजमर्रा के जीवन में आज भी फैले अंधविश्वास से लडऩे में, दैनिक उपयोग में आने वाली चीजों को सस्ते से सस्ती बनाने में, पर्यावरण को बिगाड़ रहे पॉलिथिन का सस्ता व पर्यावरण मित्र विकल्प देना और इन सबसे बढ़कर मारक व विध्वंसक होते विज्ञान को रचनात्मक बनाने में बहुत बड़ा लक्ष्य पाना तो अभी शेष ही है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जहां एक और डिजिटल क्रांति ला रहा है वही पिछले दिनों जिस प्रकार के डीप फेक वीडियो सामने आए हैं वे चिंता बढ़ाने वाले भी हैं। आने वाले समय में इस क्षेत्र में भारी खतरों का सामना भी करना पड़ सकता है। साथ ही साथ विज्ञान के अतिशय प्रयोग के चलते हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग एवं मानवीय संवेदना तथा कुशलता एवं दक्षता पर भी विज्ञान ने एक ग्रहण लगाया है। विज्ञान ने आइ क्यू तो बहुत बढ़ाया है लेकिन भावनात्मक संवेग को क्षति भी पहुंचाई है। इस क्षेत्र में हमें बहुत संतुलित नज़रिए के साथ कार्य करने की ज़रूरत है। कुल मिलाकर विज्ञान को भगवान नहीं बनने देना है अपितु उसे एक अच्छे संसाधन के रूप में उपयोग करते हुए मानवता के कल्याण हेतु कार्य करने की आवश्यकता आज भी है। अंत में, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों की उल्लेखनीय उपलब्धियों का जश्न मनाने और हमारे जीवन पर विज्ञान के गहरे प्रभाव को पहचानने का समय है।
जैसा कि हम अतीत की खोजों का स्मरण करते हैं, आइए हम वैज्ञानिक जांच और नवाचार के माध्यम से एक उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए आशावाद और दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ें। वैज्ञानिक जिज्ञासा और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर, हम अपने समय की चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं और भावी पीढ़ियों के लिए एक अधिक समृद्ध और टिकाऊ दुनिया बना सकते हैं।
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(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)