कोटा के अंदर कोटा का विरोध, एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के फैसले के बाद आज कई संगठनों ने भारत बंद का किया आह्वान
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
मुख्यधारा डेस्क
एससी-एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज देशभर के 21 संगठनों ने भारत बंद का एलान किया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने भारत बंद का आह्वान किया है।
भारत बंद को राजद, बसपा, जेएमएम और भीम आर्मी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान भारत बंद का असर देखा जा रहा है।कई संगठनों ने इसका समर्थन कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट के कोटा के अंदर कोटा वाले फैसले का विरोध हो रहा है। बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में दिख रहा है। भारत बंद को लेकर पटना समेत अन्य जिलों में सड़कों पर सार्वजनिक वाहनों की संख्या कम देखने को मिल रही है।
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भारत बंद को लेकर पटना के कई स्कलों को बुधवार को बंद रखने की घोषणा की गई है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। इनमें पटना में डीएवी पब्लिक स्कूल की सभी शाखाएं, डीपीएस, ओपेन माइंडस, बेली रोड शामिल हैं। डाकबंगला चौराहा, अशोक राजपथ, नेहरू पथ, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत अन्य जगहों पर पुलिसकर्मियों को चौकस रहने के निर्देश दिये गये हैं। डाकबंगला चौराहा पर कई थानों की पुलिस के अलावा डीएसपी स्तर के अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। फुलवारी में बंद के समर्थन में मंगलवार की शाम बाइक रैली निकाली गई।
वहीं अशोक राजपथ पर भी अलग-अलग थाना इलाकों में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। दूसरी ओर डीआईजी सह एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि पुलिस ने किसी भी स्कूल को बंद न करने की अपील की है। आरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को रोका गया। सहरसा, पूर्णिया और जहानाबाद समेत कई जिलों में कुछ जिलों में प्रदर्शनकारी सड़क पर आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
जहानाबाद में प्रदर्शकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 83 को ब्लॉक कर दिया। बिहार में आरजेडी, भीम आर्मी समेत अन्य संगठनों ने भी भारत बंद का समर्थन किया. भारत बंद को लेकर बिहार में कई स्कूलों को बंद रखा गया है। वहीं बिहार पुलिस भी भारत बंद को लेकर पूरी तरह से अलर्ट पर है। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, चौक-चौराहों और अन्य भीड़-भाड़ वाली जगह पर पुलिस की विशेष नजर है।
वहीं राजस्थान के जयपुर, भरतपुर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर समेत विभिन्न राज्यों के कई शहरों में एहतियातन स्कूल और कोचिंग सेंटर की छुट्टी की गई है। भरतपुर में इंटरनेट बंद है। अलवर में रोडवेज बसें बंद की गई हैं।
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन ने कोर्ट के सुझाव को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। साथ ही केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 1 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर पर बड़ा फैसला दिया था।
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सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है। यानी राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत अनुसूचित जातियों पर भी उसी तरह लागू होता है, जैसे यह ओबीसी पर लागू होता है।
कोटा के भीतर कोटा होने का मतलब है कि आरक्षण के पहले से आवंटित प्रतिशत के भीतर ही अलग से एक आरक्षण व्यवस्था लागू कर देना, ताकि आरक्षण का लाभ उन जरूरतमंदों तक भी पहुंचे, जो अक्सर इसमें उपेक्षित रह जाते हैं।
बता दें कि साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में जो फैसला दिया था, वो इसका बिल्कुल उलट था। तब सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि राज्य सरकारें नौकरी में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों की सब कैटेगरी नहीं बना सकतीं। इस फैसले के साथ सर्वोच्च अदालन ने 2004 के अपने पुराने फैसले को पलट दिया है।