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श्राद्ध पक्ष से पहले कैबिनेट विस्तार की संभावना

admin
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मंत्री पद के दावेदारों की उम्मीदें उफान पर
भगीरथ शर्मा
देहरादून। उत्तराखंड मंत्रिमंडल के शीघ्र विस्तार की संभावना के साथ मंत्री पद के दावेदार विधायकों की उम्मीदें एक बार फिर उफान हैं। कैबिनेट में बर्थ तो तीन ही खाली हैं, लेकिन दावेदार आधा दर्जन से अधिक हैं। ऐसे में सभी समीकरण साधते हुए मंत्रियों का चयन किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
मार्च 2017 में अस्तित्व में आई त्रिवेंद्र रावत सरकार में मुख्यमंत्री सहित दस मंत्री बनाए गए, जबकि दो पद रिक्त छोड़ दिए गए थे। दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी दोनों बर्थ खाली रही। हाल ही में प्रकाश पंत के असमय निधन के कारण मंत्री का एक पद और रिक्त हो गया। राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों की अधिकतम संख्या बारह निर्धरित है। इस पर वर्तमान में मंत्री के तीन पद खाली हैं। मुख्यमंत्री और कुछ मंत्रीगणों के पास काम का बोझ भी बढ़ा है। इसलिए खाली पद भरे जाने की चर्चाएं समय-समय पर जोर पकड़ती रही हैं। उत्तर प्रदेश में हाल ही में मंत्रिमंडल में विस्तार हो जाने के बाद उत्तराखंड में भी विस्तार की संभावना को बल मिला है। विस्तार की स्थिति में तीन नये मंत्रियों का चयन भी कम चुनौती पूर्ण नहीं है। क्षेत्रीय संतुलन साधना प्राथमिकता रही तो कुमाऊं मंडल से कम से कम दो विधायकों को जगह मिल सकती है। एक पद पिथौरागढ़ से विधायक रहे प्रकाश पंत स्थान को भरने के लिए तथा दूसरा मंडल से कैबिनेट में कम प्रतिनिध्त्वि की वजह से हिस्से में आ सकता है। कुमाऊँ मंडल से पूर्व मंत्री शीध्र भगत, बिशन सिंह चुफाल, बलवंत सिंह भौर्याल के अलावा विधायक पुष्कर सिंह धामी और चंदन राम दास दावेदार बताए जा रहे हैं। धामी लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट से
लोकसभा के दावेदार भी थे, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट पर दांव खेला।    गढ़वाल मंडल से वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित सात विधायक कैबिनेट में शामिल हैं। क्षेत्रीय संतुलन की दृष्टि से मंडल को वर्तमान स्थिति के अनुसार पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। फिर भी यदि विस्तार होता है तो कम से कम एक पद गढ़वाल मंडल को मिलना तय माना जा रहा है, लेकिन दावेदारों की लंबी कतार यहां भी किसी चुनौती से कम नहीं। हरवंश कपूर, मुन्ना सिंह चैहान, गणेश जोशी, महेंद्र भट्ट जैसे वरिष्ठ विधायक मंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार त्रिवेंद्र सरकार क्षेत्रीय व अन्य समीकरणों के बजाय परिणाम देने वाले विधायक को मंत्री पद से नवाजने को अधिक प्राथ प्राथमिकता दे सकती है। वर्तमान सरकार को फिलहाल ढाई साल से कुछ अधिक समय तक काम करना है। इसलिए कम समय में अच्छे व अध्कि परिणाम की दरकार रहेगी।  मंत्री पद के चयन की यही शायद सबसे बड़ी कसौटी होगी!
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