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सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और एक सक्षम राजनेता

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सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और एक सक्षम राजनेता

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

भारतीय राजनीति में अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और एक सक्षम राजनेता… ने ऐसे आयाम स्थापित किए जिसका आज भी हर कोई मुरीद है। ओजस्वी वक्ता, मिलनसार, अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और एक सक्षम राजनेतायह तमाम खूबियां देश की उस बेटी में थीं, जो विदेशों में फंसे भारतीयों का सकुशल वतन वापसी कराई। भारत की पूर्वपू र्व सुषमा स्वराज की आज पुण्यतिथि है।

भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हुआ था। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर थी। सुषमा स्वराज, भारतीय राजनीतिक दल भाजपा की प्रमुख नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री थीं। उनका जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था और मृत्यु 6 अगस्त 2019 को हो गई थी। सुषमा स्वराज एक प्रख्यात विधायिका, वकील और सांसद थीं, और उन्हें अपने समर्पण  और लोकप्रियता के लिए जाना जाता था। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की रविवार को चौथी पुण्यतिथि है। उनकी अनोखी भाषण शैली की कमी आज संसद में सत्तापक्ष ही नहीं, विपक्ष को भी खलती है।

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देश की राजनीति में पद्म सुषमा स्वराज ने अपनी पॉलिटिकल करियर को भारतीय जनता पार्टी से शुरू किया। उन्हें राजनीति में एक युवा नेता के रूप में उभरते हुए देखा गया था। उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था। उन्होंने तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष लाल मेहता का चुनाव संयोजक बनने का कार्य एवं सुषमा स्वराज ने अपनी पॉलिटिकल करियर को भारतीय जनता पार्टी में शुरू किया। उन्हें राजनीति में एक युवा नेता के रूप में उभरते हुए देखा गया था। उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था। उन्होंने तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष लाल मेहता का चुनाव संयोजक बनने का कार्य एवं विभि न्न राजनीतिक पदों पर काम किया और बहुत सारे मंत्रालयों में भी योगदान दिया।

सहायता पहुंचायी सुषमा स्वराज ने अपनी पॉलिटिकल करियर को भारतीय जनता पार्टी में शुरू किया। उन्हें राजनीति में एक युवा नेता के रूप में उभरते हुए देखा गया था। उन्हों ने संसद के सदस्य के रूप में 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था। उन्होंने तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष लाल मेहता का चुनाव संयोजक बनने का का र्य एवं विभिन्न राजनीतिक पदों पर काम किया और बहुत सारे मंत्रालयों में भी योगदान दिया। जिनके नाम कई कीर्तिमान, जिन्हें सुनने को विरोधी भी लालायित, जो विद्वता की पराकाष्ठा , वे किसी पद को स्पर्श भर कर लें तो पद ही गौरवान्वित हो जाए। ऐसे किसी नेता अथवा जनप्रतिनिधि के बारे में सोचने को कहा जाए तो फिर मन मस्तिष्क में एक नाम सबसे पहले उभर कर आता है। वह नाम है सुषमा स्वराज।

सुषमा स्वराज जब स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में इस देश की विदेश मंत्री बनाई गईं तो यह कीर्तिमान स्थापित हुआ कि वे भारत की पहली विदेश मंत्री के रूप में स्थापित हुईं। दिल्ली जैसे बेहद महत्वपूर्ण और जटिल प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान भी स्वर्गीय सुषमा स्वराज के नाम ही जाता है। स्पष्ट और मुखर हो ने के साथ-साथ तार्किक वाकशैली के चलते जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना या गया , तब एक बार फिर यह इतिहास रचा हुआ कि सुषमा स्वराज भारतीय राजनीतिक दलों में ऐसी पहली महिला नेत्री रहीं , जिन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद पर आसीन किया गया। उनके हिस्से में उपरोक्त कीर्तिमान और उपलब्धियां इसलिए आए, क्योंकि सुषमा के भीतर इस देश के लिए और खासकर महिलाओं के लिए कुछ बेहतर कर गुजरने का जज्बा लगातार बना रहा।

भाजपा ने उनकी इस आंतरिक तड़प को नजदीक से महसूस किया। फलस्वरुप में लगातार एक के बाद एक कामयाबियां स्थापित करती आगे बढ़ती रहीं और खुद को एक बेहतर नेता , बेहतर जनप्रतिनिधि साबित करके दिखा दिया। उनके हिस्से में भाजपा जैसी बेहद अनुशासित और अपनी नीतियों के प्रति अटल रहने वाली भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल का नेता होने का गौरव भी समाहित है। जब केंद्र में एनडीए की सरकार स्थापित हुई तो उन्हें उस सरकार का कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी विद्वता के मामले में अतिविशिष्ट योग्यता रखते थे। जैसा कि पूर्व से ही भरोसा था , यहां भी उन्होंने देश, दल और लोगों को कतई निराश नहीं
किया। ऐसा कतई नहीं है कि सुषमा स्वराज एक महिला थीं , इसलिए उन्हें भारतीय जनता पार्टी में तरक्की के सहज रास्ते सुलभ किए गए होंगे।

सत्यता तो यह है कि सुषमा स्वराज की सार्वजनिक जनसेवा की यात्रा की शुरुआत ही एक बड़े संघर्ष के साथ होती है। 70 के दशक में जब देश आपातकाल की असहनीय मार से कराह रहा था और जयप्रकाश आंदोलन चरमोत्कर्ष पर था। तब सुषमा स्वराज एक कार्यकर्ता के रूप में इस आंदोलन का हिस्सा बनीं। बाद में नवगठित जनता पार्टी का अटूट हिस्सा बन गईं। आपातकाल को नेस्तनाबूद करने के लिए चुनाव लड़ना आवश्यक हुआ तो आप चुनावों से रूबरू भी हुईं। नतीजन विधायक बनीं और हरियाणा की चौधरी देवी लाल की सरकार में उन्हें मंत्री बनने का प्रथम अवसर प्रा प्त हुआ।

1980 में इस पार्टी के गठित हो ते ही जैसे सुषमा स्वराज की जनसेवा यात्रा को नए पंख लग गए। अनेक प्रतिपूर्ण हालातों के बावजूद संगठन को उनके भीतर सकारात्मक संभावनाएं दिखाई देने लगीं। यही वजह है कि जब कांग्रेस कीआला कमान सोनिया गांधी को कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा क्षेत्र में चुनौती देने की बात आई तो एक स्वर में सबने सुषमा स्वराज का नाम तय कर दिया। यहां भी उन्होंने किसी को निराश नहीं किया। तत्काली न बड़े-बड़े नेता , मीडिया कर्मी और बुद्धिजी वी यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे कि सुषमा स्वराज कर्नाटक की जनता से आत्मी य संपर्क स्थापित करने हेतु उनसे कन्नड़ भाषा में ही बात कर रही थीं। यह उनकी काबिलियत का ही परिणाम था कि सुषमा स्वराज और कोमतों में केवल 7 प्रतिशत का अंतर शेष रह गया था।

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ऐसी महान विदुषीदुषी सुषमा स्वराज मध्यप्रदेश के विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहीं। यह हमारे लिए गौरव का विषय है। आज भी विदिशा सहित समूचे मध्यप्रदेश की जनता जनार्दन उन्हें बेहद विनम्र और सरल स्वभाव की शख्सियत के रूप में स्मृत बनाए हुए है। ऐसी महान व्यक्तित्व की धनी स्वर्गीय सुषमा स्वराज को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।

( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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