आस्था का महाकुंभ : संगम नगरी में शुरू हुआ पहला शाही स्नान, विभिन्न अखाड़ों और नागा-साधुओं ने लगाई डुबकी, देश-विदेश से पहुंचे लाखों श्रद्धालु
मुख्यधारा डेस्क
उत्तर प्रदेश के संगम नगरी में सोमवार, 13 जनवरी से शुरू हुआ आस्था का महासमर महाकुंभ देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सुर्खियों में है। भले ही यह महाकुंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लग रहा है लेकिन आस्था और धर्म की बयार पूरे देश भर में बह रही है। हर कोई इस महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए उत्साहित है।
इसके साथ मीडिया और सोशल मीडिया पर भी महाकुंभ खूब ट्रेंड हो रहा है । 144 सालों के बाद लग रहे इस महाकुंभ में देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। महाकुंभ में स्नान करने से पाप से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति भक्तों को होती है।
आज पूरे देश भर में मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पावन पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) शुरू हो चुका है। आज 13 अखाड़ों के साधु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे। हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू। पूरे शरीर पर भभूत। घोड़े और रथ की सवारी। हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए नागा साधु-संत संगम पहुंच रहे हैं। निर्वाणी-निरंजनी के अखाड़े के संत स्नान कर चुके हैं। अब जूना अखाड़े संत संगम के लिए निकले हैं। नागा साधुओं के स्नान को देखने के लिए संगम क्षेत्र में करीब 15 से 20 लाख हैं।
देश-दुनिया से आए भक्त साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हैं। संगम की ओर जाने वाले सभी रास्तों में 8 से 10 किमी तक श्रद्धालुओं का रेला है। स्नान के लिए सभी 13 अखाड़ों को अलग-अलग 30-40 मिनट का समय दिया है।
दुनियाभर की मीडिया और 50 से ज्यादा देशों के श्रद्धालु संगम पर हैं। वहीं एपल को-फाउंडर दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लारेन पॉवेल ने संगम में डुबकी लगाई। भीड़ को देखते हुए आज लेटे हुए हनुमान मंदिर को बंद कर दिया गया है।
महाकुंभ के दौरान 6 शाही स्नान और 3 अमृत स्नान किए जाएंगे। जिसमें पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन आज है। वहीं दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर और तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।
अमृत स्नान के दिन सबसे पहले स्नान करने का अधिकार नागा साधु फिर अन्य प्रमुख साधु-संत का होता है। इसके बाद गृहस्थ व्यक्ति स्नान करते हैं। इस दिन साधु-संत और नागा बाबा के स्नान करने के बाद ही स्नान करना चाहिए। इस दिन महाकुंभ में स्नान करने वाले साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
गंगा में स्नान करते समय साबुन, शैंपू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। महाकुंभ स्नान करने के बाद संगम किनारे स्थित लेटे हुए हनुमान जी और अक्षय वट मंदिर के दर्शन करना चाहिए। अमृत स्नान के बाद गरीब और जरूरतमंदों का अन्न, धन, वस्त्र और तिल का दान करना चाहिए।
संगम नगरी प्रयागराज में आस्था का सबसे बड़ा मेला ‘महाकुंभ’, अपने दिव्य स्वरूप में शुरू हो चुका है। यह सिर्फ एक धार्मिक मेला न होकर आस्था और अध्यात्म का एक ऐसा विशाल सागर नजर आता है, जहां हर कोई अपनी आत्मा को शांति और पवित्रता से भरने के लिए खिंचा चला आ रहा है। माघ पूर्णिमा पर पहले और मकर संक्रांति पर दूसरे अमृत स्नान के बाद गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर लाखों श्रद्धालु भक्ति के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं।
वहीं गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में आस्था की खिचड़ी चढ़कर बाबा का आशीर्वाद लिया और देश एवम प्रदेश के संपूर्ण जनमानस के कल्याण की मंगल कामना की। इस दौरान वह पूरी तरह पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए।
बता दें कि आज के दिन दूर दराज से लोग यहां लाखों की संख्या में खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। पूरे एक माह तक भव्य मेला चलेगा। विभिन्न प्रदेशों से व्यापारी यहां पहुंचते हैं।महाकुंभ के पहले दिन सोमवार को 1 करोड़ 65 लाख से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। पौष पूर्णिमा के दिन 44 घाटों पर स्नान की व्यवस्था थी।
जर्मनी, ब्राजील, रूस समेत 20 देशों के श्रद्धालुओं ने कुंभ में डुबकी लगाई। लाखों श्रद्धालुओं ने 45 दिन का कल्पवास शुरू किया। इस दौरान श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। मेला प्रशासन की मानें तो पहले स्नान पर्व के दौरान सभी घाटों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। उद्यान विभाग ने पुष्पवर्षा के लिए खासतौर पर गुलाब की पंखुड़ियों की व्यवस्था की थी और महाकुंभ के सभी स्नान पर्वों पर लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियां बरसाने की तैयारी है। महाकुंभनगर के टेंट सिटी में उत्साह और उमंग देखते ही बन रहा है। सुरक्षा-व्यवस्था में 60 हजार जवान तैनात हैं।