आधुनिक युग में योग (yoga) की उपयोगिता - Mukhyadhara

आधुनिक युग में योग (yoga) की उपयोगिता

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आधुनिक युग में योग (yoga) की उपयोगिता

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

भारतीय योग की परंपरा भगवान शंकर से लेकर ऋषि भारद्वाज मुनि, वशिष्ठ मुनि और पराशर मुनि तक प्रचलित रही। फिर योगेश्वर श्रीकृष्ण से लेकर गौतम बुद्ध और पतंजलि, आदि शंकराचार्य, गुरु मत्स्येंद्रनाथ और गुरु गोरखनाथ तक अनवरत चलती रही। इसके बाद मध्यकाल में भी कई सिद्ध योगी हुए हैं। जैसे गोगादेव जाहर वीर, बाबा रामापीर रामदेव, समर्थ रामदास गुरु आदि।हमारी पृथ्वी सभी ग्रहों से अनोखी है क्योंकि यहां पंचतत्व और मानव जीवन उपलब्ध है। पृथ्वी के सूर्य के गिर्द घूमने से मौसम और अपने अक्ष से रात-दिन बनते हैं। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे आम जनमानस ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन की ओर जाता है और माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए लाभकारी है। इसी को देखते हुए योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। भारतीय परंपराओं में योग कई युगों से ऋषि-मुनियों के काल से चलता आ रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लाने की पहल भी भारत नहीं ही की है।

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वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसकी पहल की थी। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था।193 सदस्य देशों में से 177 सदस्य देशों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी थी। वस्तुत: 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरे विश्व के अंदर 21 जून को मनाया जाता है। योग अपने अद्भुत स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। यह भारतीय प्राचीन कला के लिए एक अनुष्ठान की तरह है। भगवान शिव को आदि योगी के रूप में भी माना जाता है। उसके बाद पतंजलि ऋषि ने इसे व्यापक रूप दिया है। आज के आधुनिक युग में कितने ही योग गुरुओं ने इसके फायदे अपने-अपने ढंग से बताए हैं। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास के समूह को योग कहते हैं। योग शरीर और मस्तिष्क को एक साथ लाने का काम करता है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के यूज शब्द से हुई है जिसका अर्थ जोडऩा या मिलना है।

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योग ऐसी कला है जो आपकी सोई हुई शक्तियों को जगाता है और इसके कई प्रकार हैं। हठयोग में चार अंग आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बंद होते हैं, जबकि योग तत्त्व उपनिषद में अंगों का वर्णन है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से हम अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग शुरू कर सकते हैं। शुरुआत में किसी योग गुरु से जानकारी आवश्यक है। अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो किसी विशेषज्ञ की सलाह के बगैर योग न करें। आम तौर पर सुबह के समय योग करना अच्छा माना जाता है। इस समय शरीर में ऊर्जा भी होती है। घर के किसी कोने में, जो कि हवादार व स्वच्छ हो, शांत जगह पर चटाई बिछाकर, खाली पेट, खुले कपड़े पहनकर योग कर सकते हैं। यदि आप योग सुबह करते हैं तो चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखें और शाम को योग करते समय चेहरे को पश्चिम या दक्षिण की ओर करने से लाभ होता है। कभी भी योगासन खाने के बाद न करें। ऐसा करना बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। योग सुबह खाली पेट करें। अगर सुबह समय नहीं मिलता तो फिर दिन के समय में आप खाना खाने के 2 से 3घंटे बाद योग कर सकते हैं।केवल वज्रासन ही एक ऐसा आसन है जिसे खाना खाने के तुरंत बाद किया जा सकता है, क्योंकि यह हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है।

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योग करने के दौरान मुंह से श्वास लेना हानिकारक हो सकता है। आजकल के दौर में युवा वजन कम करने और शरीर की अधिक चर्बी घटाने के लिए जिम में खूब पसीना बहाते हैं। वैसे तो वजन कम करने के लिए संतुलित आहार लेने की आवश्यकता होती है, लेकिन जानकारी के अभाव में कुछ लोग अपनी पसंदीदा डिश तक को भी खाना छोड़ देते हैं। कई तरीकों से आप वजन को घटाने में लगे रहते हैं और बिना सही निर्देश के एक्सरसाइज या खुद की डाइट तय करने से अच्छा है नेचुरल तरीके से वजन घटाएं। इसके लिए योग सबसे कारगर उपाय है। हर
रोग का प्राकृतिक तरीके से इलाज योग कर सकता है। नियमित रूप से योगासन करके आप वजन कम कर सकते हैं। पेट की चर्बी को कम करने के लिए सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन अवश्य करें। शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही दिमाग को भी स्वस्थ रखना जरूरी है। हमारा मस्तिष्क हर दिन कई काम करने में मुख्य भूमिका निभाता है। उम्र के बढऩे के साथ मस्तिष्क को चुस्त-दुरुस्त रखना आवश्यक है, ताकि पक्षाघात, अल्जाइमर, अवसाद, डाउन सिंड्रोम, अटेंशन डिफिसिट हाइपर, एक्टिविटी डिसऑर्डर आदि से बचा जा सके। योग और ध्यान करने की कोई भी सीमा नहीं होती। आप कहीं भी कभी भी योग कर सकते हैं तथा ध्यान से भी दिमाग को तेज किया जा सकता है। यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है।

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हावर्ड से जुड़े शोधकर्ताओं ने यहसत्यापित किया है कि ध्यान मोटे सेरिब्रल कोर्टेक्स से और अधिक ग्रे मैटर से जुड़ा है जो स्मृति, सजगता, निर्णय लेने की क्षमता और सीखने से जुड़े हैं।इसलिए ध्यान अधिक मस्तिष्क शक्ति का कारक है। योगासन, सुपर ब्रेन योग, प्राणायाम और ध्यान आपके मस्तिष्क को सक्रिय कर अधिक शक्तिशाली बना सकते हैं। इसलिए इन्हें कुछ समय दें और एक शानदार और स्वस्थ जीवन जीएं। योगासन के समय कुछ सावधानियों को भी अवश्य ध्यान में रखें। शरीर को व्यायाम के साथ पौष्टिक आहार एवं विश्राम की आवश्यकता होती है। इसलिए समय पर सोएं, वर्ष से कम आयु के बच्चों को कठिन आसन न कराएं, धूम्रपान को त्यागें तथा गर्भवती महिलाओं एवं मासिक धर्म के दौरान योग न करें। योग पूरी दुनिया में स्वास्थ्य को चुनौती देने वाली बीमारियों को कम करता है तथा तनाव से राहत प्रदान करता है। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को विश्व के करोड़ों लोगों ने योग किया था। इस खास आयोजन ने दो गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड बनाए थे। पहला35950 लोगों के साथ नई दिल्ली में योग करना तथा दूसरा 84देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लेना। न्यूयॉर्क के टाइम स्क्वायर पर करीब 30000 लोगों ने एक साथ योग किया था। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 की थीम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत के साथ च्वन वल्र्ड वन हेल्थज् रखी गई है।

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इस वर्ष पूरी दुनिया नौवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रही है और इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की अगुवाई न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं जो कि हमारे देश भारत के लिए गर्व की बात है। वर्तमान भौतिकवादी युग में एक ओर जहां हम विज्ञान द्वारा विकास की दृष्टि से उन्नति के शिखर पर पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक रूप से हमारा पतन परिलक्षित हो रहा है। आज मनुष्य के खान-पान, आचार-व्यवहार सभी में परिवर्तन होने से उसका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है।यही कारण है कि आज हमें ऋषि-मुनियों की शिक्षा को जानने के लिए, उनके द्वारा बनाये उत्तम स्वास्थ्य के रास्ते पर चलने के लिए योग की परम आवश्यकता है, जिससे हम च्च्बहुजन हिताय बहुजन सुखायच्च् की सुखद कल्पना को साकार कर सकें।प्राचीनकाल में योगी समाज से बहुत दूर पर्वतों और जंगलों की गुफा-कंदराओं के एकांत में तपस्या किया करते थे। वे प्रकृति पर आश्रित सादा व सरल जीवन व्यतीत किया करते थे। जीव-जन्तु ही उनके महान शिक्षक थे, क्योंकि जीव-जन्तु सांसारिक समस्याओं और रोगों से मुक्त जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति उनकी सहायक है।योगी, ऋषि और मुनियों ने पशु-पक्षियों की गतिविधियों पर बड़े ध्यान से विचार कर उनका अनुकरण किया।

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इस प्रकार वन के जीव-जन्तुओं के अध्ययन से योग की अनेक विधियों का विकास हुआ। जिस कारण अधिकांश योगासनों के नाम जीव-जन्तुओं के नाम पर आधारित है। मानव जाति के प्राचीनतम साहित्य वेदों में इनका उल्लेख मिलता है। वेद आध्यात्मिक ज्ञान के भंडार हैं। उनके रचयिता अपने समय के महान आध्यात्मिक व्यक्ति थे। कुछ लोगों का ऐसा भी विश्वास है कि योग विज्ञान वेदों से भी प्राचीन हैं। हमारा संकल्प योग कोअपनायें,भारत को स्वस्थ और मजबूत बनायें ।

(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)

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