Uttarakhand: सुशीला बलूनी (Sushila Baluni) के निधन से मुख्यमंत्री समेत गणमान्य व्यक्तियों ने जताया गहरा दुःख, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत बोले : दीदी हमें छोड़कर चली गई
देहरादून/मुख्यधारा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी तथा उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने सुशीला बलूनी के डोभालवाला स्थिति आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखण्ड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा।
महाराज ने सुशीला बलूनी के निधन को बताया अपूरणीय क्षति
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
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प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए इसे एक अपूरणीय क्षति बताया है उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर शोक संवेदना की व्यक्त
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।
उन्होंने बलूनी के निधन को दुःख प्रकट करते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया है। कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण में आंदोलन में सुशीला बलूनी के योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।
प्रेस विज्ञप्ति
बलूनी के निधन पर भट्ट ने जताया शोक
भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी नेता सुशीला बलूनी के निधन पर गहरा शोक जताते हुए इसे अपूर्णीय क्षति बताया।
भट्ट ने कहा कि बलूनी संघर्ष की प्रतीक थी और पृथक राज्य आंदोलन मे लिए उनका बड़ा योगदान रहा है जिसे कभी नही भुलाया जा सकता। उन्होंने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और परिजनों को दुख की घड़ी से उबरने की कामना की है।
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा एवं राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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डॉ. रावत ने बलूनी को याद करते हुये कहा कि वह राज्य आंदोलन की सशक्त पक्षकार थी और पृथक राज्य आंदोलन के दौरान कई बार जेल भी गयी।
डॉ. रावत ने बलूनी के शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुये, ईश्वर से इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
मंत्री सुबोध उनियाल ने जताया गहरा दुख
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों को यह कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत बोले: दीदी हमें छोड़कर चली गई
नहीं रहीं दीदी 🙏
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी दीदी के निधन का समाचार सुनकर मन अत्यंत दुखी है। अब उनके साथ की यादें ही हमारे बीच रह गई। दीदी के चेहरे पर हमेशा ही एक अलग मुस्कान रहती थी। व्यक्तिगत रूप से दीदी मुझे काफी हौसला देती रही, बीमारी के दौरान जब-जब मैं उनसे मिला चेहरे पर वही तेज जो राज्य आंदोलन के समय रहता था।
आज दीदी हमें छोड़कर चली गई, यह मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति भी है। राज्य आंदोलन में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
इस दुःखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ हैं। मां सुरकंडा देवी पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।
ओम शांति!
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी भी बलूनी दीदी के निधन से दुखी
उत्तराखंड की वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी दीदी के निधन का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ।
बाबा सिद्धबली दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा परिजनों एवम् समर्थकों को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे ।
ॐ शांति ।
करन माहरा ने गहरा दुख जताया
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने भी गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने आज एक वरिष्ठ आंदोलनकारी खो दिया है, जिसकी क्षति पूर्ति संभव नहीं है। वह एक सौम्य और उत्तराखंड की लड़ाई लड़ने वाली अग्रिम पंक्ति की महिला थी ।
बताते चलें कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी का गत शाम को निधन हो गया था। उन्होंने देहरादून के एक निजी अस्पताल में आज अंतिम सांस ली।
वहां 84 वर्ष की थी। राज्य आंदोलन में उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और पृथक राज्य हासिल करने में सफलता प्राप्त की।
राज्य के प्रति उनका समर्पण देख उन्हें उत्तराखंड महिला आयोग का अध्यक्ष पद पर रहने का गौरव भी हासिल हुआ। अपने अंतिम समय तक वह राज्य सरोकारों को लेकर काम करती रही।
सुशीला बलूनी जी का जन्म मूल रूप से उत्तरकाशी बडकोट के चक्रगांव में था। उनका विवाह स्व० नन्दा दत्त बलूनी के साथ पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लॉक के वरगडी गांव में हुआ था। वह लम्बे समय तक देहरादून बार एसोसिएशन की सदस्य भी रही।
वह जनता दल में रहते हुए 1979 में देहरादून नगर पालिका की नामित सभासद भी रही। उसके उपरान्त वह उक्रांद में शामिल हो गई। पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग के लिए आंदोलन की लड़ाई में कचहरी प्रागण में धरने पर बैठने वाली पहली महिला थी। उनके साथ रामपाल और गोविन्द राम ध्यानी थे।
वह संयुक्त संघर्ष समिति की महिला अध्यक्ष के रूप में लगातार संघर्ष रत रही। राज्य आंदोलन के दौरान वह पूरे प्रदेश के भ्रमण व लखनऊ से लेकर दिल्ली तक संघर्षरत रही।
वह शराब बंदी से लेकर महिलाओं के उत्थान से लेकर राज्य आंदोलन के लिए जेल भरो, रेल रोको , धरना प्रदर्शन आदि में मुख्य भूमिका निभाई।