Harela-2023: हरेला प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व, सीएम धामी ने मुख्यमंत्री आवास व महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में किया पौधारोपण - Mukhyadhara

Harela-2023: हरेला प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व, सीएम धामी ने मुख्यमंत्री आवास व महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में किया पौधारोपण

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Harela-2023: हरेला प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व, सीएम धामी ने मुख्यमंत्री आवास व महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में किया पौधारोपण

  • मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दी हरेला पर्व की शुभकामनाएं
  • पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को किया सम्मानित
  • जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में विशेष ध्यान देने की जरूरत 
देहरादून/मुख्यधारा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास परिसर में वृक्षारोपण किया। उन्होंने आम की पूषा श्रेष्ठ प्रजाति का पौधा लगाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व है।
हरेला पर्व के उपलक्ष्य में प्रदेश में सामाजिक संगठनों, संस्थाओं एवं विभागों के माध्यम से व्यापक स्तर से वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन की दिशा में राज्य में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सभी को आगे आने का आह्वान किया गया है। राज्य में इस दिशा में तेजी से कार्य हो रहे हैं। राज्य में 1200 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं। इस दिशा में आगे भी लगातार कार्य होंगे।
हरेला पर्व के अवसर पर गीता पुष्कर धामी एवं कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए गए।
इस अवसर पर अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान, मुख्य वन संरक्षक वन पंचायत डॉ. पराग मधुकर धकाते, मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी, उद्यान प्रभारी दीपक पुरोहित उपस्थित थे।

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में मुख्यमंत्री ने किया पौधारोपण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को हरेला पर्व के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में ‘जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधे लगाए। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित भी किया।

प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है हरेला

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मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी और सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शान्ति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक सद्धभाव का पर्व एवं ऋतु परिर्वतन का भी सूचक है।
यह दिवस प्रकृति व मानव के सह अस्तित्व को स्मरण करने व प्रकृति संरक्षण के हमारे प्रण को पुनः दोहराने का दिन है। उत्तराखण्ड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। हरेला एक ऐसा ही पर्व है, जो हमारी प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है।

इस बार राज्य में हरेला पर्व की थीम “जल संरक्षण एवं जल धाराओं का पुनर्जीवन पर निर्धारित

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी को प्रतिज्ञा लेनी होगी कि हम प्राकृतिक धरोहर एवं विरासत को संरक्षित कर भावी पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देंगे। इस बार राज्य में हरेला पर्व की थीम जल संरक्षण एंव जल धाराओं का पुनर्जीवन निर्धारित की गई है। उन्होंने जल संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में सभी को योगदान देने के लिए अपील की।

ताजा जल को संरक्षण किए जाने पर पूरे इकोसिस्टम को होगा बहुत लाभ

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। क्योंकि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनॉमी की बड़ी भूमिका है, जब ट्रीटेड जल को पुनः उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षण किया जाता है तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य की गैर हिम नदियों का ग्रीष्म कालीन प्रवाह बहुत कम रह गया है, जिसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है।
उत्तराखण्ड में अकेले पेयजल सेक्टर में जल की आवश्यकता की गणना की जाये, तो वर्ष 2052 की सम्भावित जल की मांग लगभग 1980 एम.एल.डी. आंकी गयी है, जो कि लगभग 23 क्यूमेक है। राज्य में मांग के सापेक्ष सतही श्रोतों पर आधारित मांग 70 प्रतिशत है, जो कि लगभग 1400 एम.एल.डी. ही है।
कई विभागों द्वारा स्प्रिंगशेड सोर्स रिजूनिवेशन, कैचमेन्ट एरिया, सोर्स सस्टेनबलिटी, चाल-खाल, चैक डैम, कन्टूर ट्रैन्च आदि के कार्य कराये जा रहे है, जिसके अच्छे परिणाम भी सामने आये है। ऐसे में पूरे प्रदेश में एक मॉडल प्लान तैयार कर कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
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इंडस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें पानी की आवश्यकता अत्यधिक होती है, इन दोनों क्षेत्रों को मिल कर जल संरक्षण अभियान चलाना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में पिछले 9 साल से जो भी प्रमुख विकास योजनाएं संचालित हो रही हैं, उन सभी में किसी न किसी रूप से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जल संरक्षण का आग्रह भी है। चाहे स्वच्छ भारत मिशन हो या वेस्ट टू हेल्थ से जुड़े कार्यक्रम हो, अमृत मिशन के तहत शहरों में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण हो, या सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान हो या फिर नमामि गंगे अभियान के तहत गंगा स्वच्छता का अभियान हो, पर्यावरण रक्षा और जल संरक्षण के क्षेत्र में हमारे देश के प्रयास बहुआयामी रहे हैं।

देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत

जल संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री द्वारा देशभर में अमृत सरोवर की शुरुआत की गई है। अमृत सरोवर योजना के तहत जिला स्तर, नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर हो चुके तालाबों का जीर्णोद्धार कर इन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है।

इस वर्ष प्रदेश में 8 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला पर्व के उपलक्ष्य में इस वर्ष प्रदेश में 8 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा। वुक्षारोपण के साथ ही उनके संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जायेगा। जिस सेक्टर में वृक्षों का सक्सेस रेट सबसे अधिक होगा, उस सेक्टर के वन दरोगा को सम्मानित किया जायेगा।

15 अगस्त को 1750 गांवों में 75-75 पेड़ लगाएंगे

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15 अगस्त को 1750 गांवों में 75-75 पेड़ लगाये जायेंगे। वन मंत्री ने कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में भी विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि पर्यावरण के संरक्षण में सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्होंने अपील की कि पौधे लगाकर सेल्फी विद प्लांट पोस्ट करें, जिससे हम अपनी भावी पीढ़ी को बता सकें कि हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या योगदान दिया।
इस अवसर पर सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक उमेश शर्मा काऊ, मेयर सुनील उनियाल गामा, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक एवं वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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