सावित्रीबाई जयंती : देश की पहली Female Teacher और लड़कियों की शिक्षा के लिए जीवन भर संघर्ष करती रहीं, साधारण परिवार में हुआ था जन्म - Mukhyadhara

सावित्रीबाई जयंती : देश की पहली Female Teacher और लड़कियों की शिक्षा के लिए जीवन भर संघर्ष करती रहीं, साधारण परिवार में हुआ था जन्म

admin
savitri

देश की पहली महिला शिक्षक (Female Teacher) और लड़कियों की शिक्षा के लिए जीवन भर संघर्ष करती रहीं, साधारण परिवार में हुआ था जन्म

मुख्यधारा डेस्क

आज की तारीख एक ऐसी महिला की याद दिलाती है जिनका पूरा जीवन समाज सुधार के लिए समर्पित रहा। इसके साथ इन्हें देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है। यह जीवन के आखिरी पड़ाव तक महिलाओं और लड़कियों के उत्थान और शिक्षा के लिए संघर्ष करती रहीं।

यह भी पढ़े : दिल्ली कंझावाला कांड (Delhi Kanjhawala incident) : युवती को कार से घसीटने के मामले में अमित शाह ने मांगी रिपोर्ट, पांचों आरोपी पुलिस रिमांड पर, शव का हुआ पोस्टमार्टम

हम बात कर रहे हैं सावित्रीबाई फुले की। आज ही के दिन 3 जनवरी 1831 में देश की पहली महिला टीचर सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा के नायगांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाई और भारत में महिला शिक्षा की अगुआ बनीं।

सावित्रीबाई फुले को भारत की सबसे पहली आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है। 1840 में महज नौ साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले से हुआ था। उस समय वो पूरी तरह अनपढ़ थीं और पति मात्र तीसरी कक्षा तक ही पढ़े थे। पढ़ाई करने का जो सपना सावित्रीबाई ने देखा था विवाह के बाद भी उन्‍होंने उस पर रोक नहीं लगने दी। इनका संघर्ष कितना कठिन था, इसे इनके जीवन के एक किस्‍से से समझा जा सकता है।

यह भी पढें :  Uttarakhand : सूचना अपर निदेशक आशिष त्रिपाठी व संयुक्त निदेशक डॉ. नितिन उपाध्याय ने ग्रहण किया पदभार, विभिन्न संगठनों व मीडिया प्रतिनिधियों ने दी शुभकामनाएं

एक दिन वो कमरे में अंग्रेजी की किताब के पन्‍ने पलट रही थीं, इस पर इनके पिता खण्डोजी की नजर पड़ी। यह देखते वो भड़क उठे और हाथों से किताब को छीनकर घर के बाहर फेंक दिया। उनका कहना था कि शिक्षा पर केवल उच्‍च जाति के पुरुषों का ही हक है। दलित और महिलाओं के लिए शिक्षा ग्रहण करना पाप है। यही वो पल था जब सावित्रीबाई ने प्रण लिया कि वो एक न एक दिन जरूर पढ़ना सीखेंगी। उनकी मेहनत रंग लाई। उन्‍होंने सिर्फ पढ़ना ही नहीं सीखा बल्कि न जाने कितनी लड़कियों को शिक्ष‍ित करके उनका भविष्‍य संवारा।उन्‍होंने पति के साथ मिलकर इतिहास रचा और लाखों लड़कियों की प्रेरणास्रोत बन गईं। खुद भी पढ़ाई पूरी की और लड़कियों के लिए 18 स्‍कूल खोले ताकि कोई और अनपढ़ न रह सके। उन्होंने बाल विवाह और सती प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।

यह भी पढें : ब्रेकिंग : उत्तराखंड में इन IPS अधिकारियों के हुए ट्रांसफर (IPS Transfer), पढें आदेश

देश में लड़कियों के लिए पहला स्कूल साावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव ने 1848 में पुणे में खोला था। इसके बाद सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव ने मिलकर लड़कियों के लिए 17 और स्कूल खोले। सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की। यह बिना पुजारी ओर दहेज के शादी का आयोजन करता था। 1897 में पुणे में प्लेग फैल गया था जिसके कारण 66 साल की उम्र में सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। उन्होंने 10 मार्च 1897 को दुनिया को अलविदा कहा था।

यह भी पढें : सियासत : क्रिकेटर Rishabh Pant के हादसे में गड्ढे को लेकर सीएम धामी के बयान पर हरीश रावत ने साधा निशाना

Next Post

Vivek Agnihotri को पठान का विरोध करना पड़ा भारी, मिल रही जान से मरने की धमकी

विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) को पठान का विरोध करना पड़ा भारी, मिल रही जान से मरने की धमकी मुख्यधारा डेस्क मशहूर डायरेक्टर विवेक अग्नहोत्री को शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान ‘ का विरोध करना भारी पड़ गया है क्योंकि इसके […]
vivek 1

यह भी पढ़े