विषम परिस्थितियों में उत्तराखंड के एक शिक्षक ऐसे करा रहे ऑनलाइन पढ़ाई। छात्रों के बीच खासा क्रेज - Mukhyadhara

विषम परिस्थितियों में उत्तराखंड के एक शिक्षक ऐसे करा रहे ऑनलाइन पढ़ाई। छात्रों के बीच खासा क्रेज

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नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी को दृष्टिगत रखते हुए अपने विद्यालय के छात्रों के लिए शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्हीं शिक्षकों में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सुनाली पुरोलाा के प्रधानाध्यापक चंद्र भूषण, बिजल्वाण एवं शिक्षिका शैलेंद्र नेगी के संयुक्त प्रयासों से छात्रों के लिए ऑनलाइन व्हाट्सएप के माध्यम से प्रश्न उत्तर तैयार  किए जा रहे हैं।
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इस ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था में उनके सभी अभिभावक छात्र एवं गांव की शिक्षिका सरोज बौरियाण अपने छात्रों के साथ ही राउप्रावि सुनाली को भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं। उनके अभिभावक स्वयं छात्रों के साथ बैठकर अपने बच्चों का गृह कार्य एवं शिक्षण कार्य  को करवा रहे हैं। उनके इस प्रयास से छात्र अपने विषयों की पुनरावृत्ति कर पा रहे हैं, जो विषय वस्तु उनकी समझ में ठीक से नहीं आ पा रहे थे, उसे समझने के लिए आजकल छात्रों के पास प्रयाप्त समय है।
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इस समय का सदुपयोग करते हुए प्रधानाध्यापक राउप्रावि सुनाली ने विद्यालय के छात्रों का एक ग्रुप तैयार किया है। जिसमें वे प्रात: 7:00 बजे से 10:00 बजे तक छात्रों को कार्य देते हैं। जहां उन्हें समस्या हो, उसका समाधान बातचीत वीडियो कॉल से की जाती है।
उन्हें गणित, विज्ञान, भाषा, कला, सामान्य ज्ञान,अंग्रेजी का कार्य दिया जाता है। जिसे सभी छात्र कार्य को करके व्हाट्सएप पर ही अपनेे विषय अध्यापकों को भेजते हैं। उसे शिक्षक  जांच कर ग्रुप में चर्चा परिचर्चा करते है। जहां पर आवश्यकता हो, वहां वीडियो कॉलिंग के माध्यम  से बातचीत कर सुधार करते हैं।
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श्री बिजल्वाण का कहना है कि इस ऑनलाइन प्रक्रिया में छात्र सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। वैसे भी श्रव्य-दृश्य के माध्यम से छात्रों को पढ़ाना आसान हो जाता है। जिससे छात्र ध्यान से समझने का प्रयास भी करते हैं। जिन छात्रों के पास नेट पैक या पठन-पाठन संबंधित सामग्री का अभाव है, उन्हें नेट पैक एवं सामग्री भी श्री बिजल्वाण के द्वारा ही उपलब्ध करवाई जा रही है। इसमें उनके अभिभावक भरपूर सहयोग दे रहे हैं।
इस ऑनलाइन शिक्षण से जहां एक ओर छात्र अपनी पढ़ाई करेंगे, वहीं छात्रों में सकारात्मक, रचनात्मक कल्पनाशीलता  का विकास होगा। जहां नेट न हो या बच्चों के पास मोबाइल न हो, वहां यह कार्य करना मुश्किल भरा है। फिर भी राउप्रावि सुनाली  के शिक्षक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढऩे का प्रयास तो कर ही रहे  हैं।
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इसी ऑनलाइन पढ़ाई के साथ श्री बिजल्वाण अपने छात्रों के लिए  शिक्षण सामग्री तैयार करने में जुटे हैं, जो उन्हें विद्यालय  खुलने पर अवश्य मदद करेंगी। श्री बिजल्वाण ने अपने अभिभावकों, शिक्षा समिति, छात्रों एवं विद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया है।
कुल मिलाकर ऐसी विकट परिस्थितियों के बावजूद सुदूरवर्ती क्षेत्रों में श्री बिजल्वाण जी जैसे गुरू द्रोणाचार्य कड़ी मेहनत से अपने विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण कराने का प्रयास कर रहे हों तो फिर उसके परिणाम अवश्य ही सुखद आएंगे।

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