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फ्लेवर्ड वाइन्स (Flavored Wines) का हब बनेगा उत्तराखंड

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फ्लेवर्ड वाइन्स (Flavored Wines) का हब बनेगा उत्तराखंड

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

नई आबकारी नीति के तहत आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4440 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में करीब 11 फीसदी अधिक है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने करीब 4000 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था। जिसके सापेक्ष करीब 80 फीसदी राजस्व एकत्र हो गया है। उत्तराखंड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024 में मिलावटी शराब को रोकने, बड़े ब्रांड के शराब की उपलब्धता पर जोर के साथ-साथ राजस्व बढ़ाने को लेकर तमाम प्रावधान हैं। उत्तराखंड सरकार के अनुसार, राज्य उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों, हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता, बेहतर गुणवत्ता के जल स्रोत समेत अन्य कारकों के चलते विश्वस्तरीय सुगंधित मदिरा के उत्पादन के हब के रूप में विकसित होगा। जिस तरह से यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली समेत अन्य जगहों की विश्वस्तरीय मदिरा के लिए एक ब्रांड है, उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखंड विश्व स्तर पर स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा।

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राज्य की आबकारी नीति को और भी अधिक पारदर्शी बनाते हुए उत्तराखंड सरकार ने आबकारी के संबंध में आज के कैबिनेट के निर्णयों से मिलावटी शराब को रोकने, पर्यटन प्रदेश होने के नाते ब्रांड उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024 के तहत अहम कदम उठाये हैं जिनमे वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023 -24के राजस्व लक्ष्य ₹ 4000 करोड़ के सापेक्ष 11% की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹ 4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना का प्राविधान किया गया है, जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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उत्तराखंड में संचालित आसवानी में उच्च गुणवत्ता की मदिरा निर्माण होने से एक ओर राजस्व में वृद्धि होगी वही राज्य में प्रचुर मात्रा में उगने वाली वनस्पतियों, जड़ी बूटियों का उपयोग होने से स्थानीय किसानों हेतु आय के नए साधन उत्पन्न होगे एवं राज्य में निर्मित मदिरा को विश्वस्तर पर पहचान मिलेगी। राज्य की उच्च गुणवत्तायुक्त जड़ी-बूटियों, फलों, फूलों तथा हिमालय की जलवायु, वातावरणीय शुद्धता के कारण उच्च गुणवत्ता के जल स्रोत व अन्य कारकों के कारण विश्वस्तरीय सुगधित मदिरा के मदिरा/मॉल्ट के उत्पादन के हब के रूप में राज्य प्रतिष्ठित हो सकेगा। जिस प्रकार यूरोप में स्कॉटलैंड, इटली आदि विश्वस्तरीय मदिरा के लिए प्रतिष्ठित है उसी प्रकार हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय स्प्रिटामॉल्ट के उत्पादन केंद्र के रूप में अतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो सकेगा।

विदेशी मदिरा की भराई (बॉटलिंग) के लिए आबकारी राजस्व एवं निवेश के दृष्टिगत प्रथम बार प्राविधान किए जा रहे है ताकि प्रदेश उपभोक्ता राज्य से उत्पादक एवं निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सके। प्रदेश में विदेशी मदिरा के थोक व्यापार को उत्तराखण्ड राज्य के मूल/स्थायी निवासियों के रोजगार के लिए भारत में निर्मित विदेशी मदिरा (IMFL) की आपूर्ति के थोक अनुज्ञापन / व्यापार (FL-2) अनुज्ञापन को उत्तराखण्ड के अर्ह नागरिकों को दिए जाने का प्राविधान किया गया है। आबकारी राजस्व अर्जन की दृष्टि से प्रथम बार ओवरसीज मदिरा की आपूर्ति के लिये थोक अनुज्ञापन FL-2(O)का प्राविधान किया गया है जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा।

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राज्य की कृषि/बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती,तिमूर, आड़ आदि का समावेश किया जाना अनुमन्य किया गया है। मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण, दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धात पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा। नवीनीकरण उन्ही अनुज्ञापियों का किया जाएगा जिनकी समस्त व्यपगत देयताए बेबाक हों और प्रतिभूतियाँ सुरक्षित हों। आवेदक को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का ITR दाखिल करना अनिवार्य होगा। एक आवेदक सम्पूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकानें आवंटित की जा सकेंगी। प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित दी जा सकेगी। देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार एवं सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्राविधान किए गए हैं। विदेशी / देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10% तक अनुमन्य होगा।

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विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्राण्डो का मूल्य विगत वर्षों की भाँति निर्धारित किया गया है,जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके। प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन एवं स्थानीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदो में मॉल्स डिपार्टमेन्टल स्टोर में मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क ₹.05लाख (पाँच लाख)/ दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रविधान किया है। विगत वर्ष से भिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है, इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है। परपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने तथा ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने हेतु उप दुकान का प्राविधान किया गया है। इस नीति के तहत शराब की कीमतों में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है।

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नीति में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू माल्टा काफल सेब नाशपाती तिपूर आड़ू आदि के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। उत्तराखंड सरकार ने आबकारी नीति 2022/23 को फिलहाल स्थगित कर दिया है।इस नीति के अनुसार किसी भी उत्तराखंड निवासी को अपने घर में 50 लीटर तक शराब रखने का अधिकार मिल गया था जिसके लिए एक लाइसेंस उत्तराखंड सरकार से लेना पड़ता है। इसकी कीमत सालाना 12000 रुपये होती है। इस लाइसेंस को लेने के बाद कोई भी उत्तराखंड निवासी अपने घर में 50 लीटर शराब रख सकता था। उसमें शर्त थी कि घर के जिस क्षेत्र में बार बनाया जाता वहां घर के 21 साल तक के किसी भी लड़के या लड़की को जाने की इजाजत नहीं होगी। इसके लिए बार लाइसेंस लेने के समय एक शपथ पत्र सरकार को देना पड़ता। तभी ये बार लाइसेंस दिया जाता। इस पॉलिसी के आने के बाद प्रदेश भर में इसका विरोध शुरू हो गया था। लगातार लोग इस पॉलिसी का विरोध कर रहे थे और इस खबर दिखाने के 24 घंटे के अंदर ही उत्तराखंड
सरकार ने अपनी पॉलिसी को स्थगित कर दिया थी।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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