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वाहनों के मनमाने किराये से जनता की जेब पर डाका। दुगुने से अधिक किराया देने को मजबूर

admin
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देहरादून, उत्तरकाशी व लोकल रूटों पर दुगने से अधिक किराया वसूल रहे चालक। इमरजेंसी में एक-एक हजार रूपये प्रति सवारी तक चुकाना पड़ रहा है किराया।
उतरकाशी 6 सौ, देहरादून 8 सौ से 1000 व मोरी 2 सौ तो त्यूणी 3 से 4 सौ रुपये प्रति सीट

नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

कोरोना वैश्विक महामारी के चलते तीन माह के लाकडाउन से बंद पड़े यातायात में ढील के बाद अब सीमित व छोटे वाहनों के संचालन से आमजनता को आवश्यक कार्यों के आने जाने में राहत तो मिली, पर किराया में दुगनी बढ़ोतरी से आम गरीब आदमी की मुश्किलों को बढा दिया है।
दुगना किराया लेने का सरकारी निर्देशों को धता बताते हुए देहरादून से यमुनाघाटी रूटों व लोकल मार्ग पर चलने वाली टैक्सी मालिक व चालकों की मनमानी का आलम इस कदर है कि लाकडाउन में छूट के बाद जहां सरकार के दुगना किराया लेने के निर्देश के बाद भी अब पुरोला- देहरादून आम किराया 250-से 300 का दुगना 5 से 6 सौ रुपये प्रति सवारी लिया जाना था, वहीं अब 8 से 1000 रुपये तक वसूला जा रहा है।

यही हाल पुरोला से उत्तरकाशी का है जहां 4 सौ के बजाय 5 सौ से 6 सौ रूपये व बड़कोट, नौगाँव, मोरी, आराकोट व त्यूणी आदि लोकल मार्ग का भी जहां 75- से 100 रुपये तक ही किराया होता था, किंतु दुगने की बजाय तीन से चार गुना वसूला जा रहा है, जिससे आम गरीब लोगों को खासी दिक्कतें होने के साथ ही छोटे वाहन चालकों की मनमानी को लेकर सरकारी निर्णय से लोगों में आक्रोश भी पनप रहा है।
बस व टैक्सियों के इंतजार में खड़े सवारियों त्रेपन सिंह, कैलाश, राम लाल, प्रमिता, शीला आदि लोगों ने कहा कि हमें डॉक्टर को दिखाने देहरादून जाना है, लेकिन गाड़ियाँ हैं ही नहीं। छोटी गाडियां जा रही हैं, केवल 5 सवारियां लेकर जाने को कह रहे हैं, जिसके लिए हमें 800 से 1000 रुपये तक किराया देना पड़ रहा है, क्योंकि गाड़ियां भी गिनी चुनी ही चल रही हैं।

प्राइवेट बस केवल पुरोला-उत्तरकाशी ही संचालित हो रही हैं। बाकी किसी भी रूट पर अभी बस संचालित नहीं हो रही हैं। वहीं टैक्सी यूनियन अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर व प्राइवेट बस लिपिक प्रवीन कुमार ने बताया कि 50 प्रतिशत सवारियों के साथ ही बसों के संचालन की अनुमति है। पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम व किराया बढ़ने से सभी रूटों पर सवारी भी कम ही मिल रही है। हालांकि वाहन चालक सरकारी निर्देशों का पालन कर तय किराया ले रहे हैं, किंतु सरकार को पहाड़ी मार्गों में किराया बढ़ाने की बजाय रोड टैक्स, इंश्योरेन्स माफ करने के साथ तेल के दामों में कमी कर आम जनता को राहत देनी चाहिए।

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