जिलाधिकारी पौड़ी धीराज सिह गर्ब्याल ने गोविन्द बल्लभ पन्त इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रेक्षागृह में ‘जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन‘ पर आधारित प्रशिक्षण कार्याशाला की अध्यक्षता करते हुए जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से पहुंचे ग्राम विकास अधिकारी, एडीओ पंचायत एवं संबंधित अधिकारियों को जल संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य कराने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। जबकि जिलाधिकारी के निर्देशन पर ‘जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन‘ को लेकर एसडीओ वन विभाग एम.के. बहुखण्डी ने चाल-खाल खन्तीयां को सांईटिफिकल तरीके से बनाने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में समस्त ग्राम विकास अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कंटूरट्रेच, (समुच्य रेखाएं) तथा स्ट्रेगां ट्रेंशन के माध्यम से चाल-खाल खन्तीयां बनाने का प्रशिक्षण दिया, जिसमें उन्होनें मैदानी एवं ढालदार भूमि पर किस प्रकार चाल-खाल खन्तीयां बनाये जाने हैं, जिससे मृदा संरक्षण के साथ-साथ जल स्रोतों का रिचार्ज हो सके।
जिलाधिकारी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन को लेकर चाल-खाल खन्तीयां सांईटिफिक तरीखे से नहीं बनाये जा रहे हैं। चाल-खाल खन्तीयां को बनाने का उद्देश्य ऐसी जगह का होना चाहिए, जहां पानी का स्रोत रिचार्ज हो सके। वन विभाग एवं जल संस्थान के सहयोग से अब जनपद में सांईटिफिकल तरीके से जल स्रोतों के रिचार्ज हेतु चाल-खाल खन्तीयां बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि जनपद में लगभग 967 जल स्रोत है, जिसमें 50 सूख चुके हैं तथा 100 के करीब में पानी घट रहा है, जिसको लेकर ऐसी रूपरेखा बनायी जा रही है, जिससे जल स्रोतों को रिचार्ज किया जा सके। उन्होंने जल संरक्षण एवं संवर्द्धन को लेकर विभिन्न विभागों द्वारा किये जा रहे कार्यों को एक दिशा में कार्य करने से बेहतर परिणाम आयेगा। कहा कि ग्राम पंचायत स्तर से ऐसी कार्ययोजना बने जो जल संरक्षण के लिए मददगार हो सके।