गोविन्द बल्लभ पन्त इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रेक्षागृह में आयोजित एक दिवसीय पी.एफ.एम.एस. (पब्लिक फाइनेंशल मैनेजमेंट सिस्टम) कार्याशाला में जिलाधिकारी श्री धीराज सिह गर्ब्याल ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत कर विधिवत दीप प्रज्जवलित कर कार्याशाला का शुभारम्भ किया। वहीं मुख्य विकास अधिकारी दीप्ति सिंह ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर ‘बेटी बचावो, बेटी पढ़ाओ‘ पर भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। शासन से पहुंचे स्टैट प्रोजेक्ट हैड दिनेश गंगवार ने जनपद के समस्त ब्लॉकों के ग्राम पंचायत अधिकारी एवं सहायक विकास अधिकारी पंचायत सहित संबंधित अधिकारियों को थ्योरिकल एवं हैण्ड्सऑन प्रशिक्षण दिया।
जिलाधिकारी ने समस्त प्रशिक्षणार्थियां को सम्बोधित करते हुए कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तक प्रशासक व अपने कार्यां को लेकर सभी के पास दौहरी जिम्मेदारी है। सभी अपनी जिम्मेदारी के महत्वता को समझते हुए कार्यां को पारदर्शिता के साथ वित्तीय नियमावली के अनुरूप कार्य करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने प्रशिक्षण में दी जा रही जानकारियों को भलि-भांति समझने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रशिक्षुओं को कहा कि मन में उठ रहे सवालों को प्रशिक्षक से पूछकर निस्तारण करें। कहा कि इस अवधि में इनोशियेटिव के रूप में बेहतर से बेहतर कार्य करें, जिससे क्षेत्र/गांव में निवास कर रहे लोगों के मध्य आपके कार्यां को लेकर एक अलग पहचान बन सके, इससे आपको एक आन्तरिक खुशी का भी अनुभव मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा कार्य न करें, जिससे आपकी एवं विभाग की छवि खराब हो। उन्होंने सभी को अपने दायित्व के महत्वता को समझते हुए बेहतरी से कार्य करने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी श्री गर्ब्याल ने ‘बेटी बचावो, बेटी पढ़ाओ‘ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘बेटी बचावो, बेटी पढ़ाओ‘ के तहत उफल्डा आंगनबाड़ी के तर्ज पर हैप्पीनेस कक्षाएं बनाई जा रही हैं। कहा कि प्रथम चरण में तीन सौ आंगनबाड़ियों को टेकअप किया है, जबकि सरकारी स्कूलों को भी टेकअप कर रहे हैं, जिन पर बेटियों की संख्या कम है, ऐसे स्कूल एवं आंगनबाड़ियों को चिन्ह्ति कर विकसित करना है तथा बच्चों एवं अभिभावकों के मध्य प्रोत्साहन के वातावरण को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने सभी ग्राम विकास अधिकारी एवं उपस्थित संबंधित अधिकारियों को कहा कि लोगों के मध्य में जागरूकता लाने के कार्य करना सुनिश्चित करेंगे, जिससे आंगनबाड़ी एवं स्कूलों में बेटियों की संख्या को बढ़ाया जा सके।