government_banner_ad देहरादून : सेंट जोसेफ एकेडमी से नहीं ली जाएगी भूमि वापस, कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया - Mukhyadhara

देहरादून : सेंट जोसेफ एकेडमी से नहीं ली जाएगी भूमि वापस, कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया

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देहरादून : सेंट जोसेफ एकेडमी से नहीं ली जाएगी भूमि वापस, कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया

उत्तराखंड में शिक्षण संस्थान से ज्यादा प्राथमिकता पार्किंग को दी जा रही : दसौनी

देहरादून/मुख्यधारा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सेंट जोसेफ एकेडमी, देहरादून के भूमि एवं पार्किंग प्रकरण पर सचिव आवास, जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून तथा एमडीडीए के साथ सचिवालय में बैठक की।

बैठक में निर्णय लिया गया है कि सेंट जोसेफ एकेडमी से भूमि वापस नहीं ली जाएगी। इसके साथ ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिए हैं कि सेंट जोसेफ अकादमी द्वारा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था विद्यालय परिसर के भीतर ही की जाएगी, ताकि मुख्य सड़क पर आमजन को ट्रैफिक की समस्या का सामना ना करना पड़े।

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मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आवास विभाग को सेंट जोसेफ एकेडमी के लीज नवीनीकरण (Renewal) पर नियमानुसार कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।

कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया

देहरादून स्थित सेंट जोसेफ एकेडमी पर सरकार के यू टर्न पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
गरिमा ने कहा कि कहते हैं जिस समाज में शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता उस समाज की कभी प्रगति नहीं हो सकती। हमारे उत्तराखंड में शिक्षण संस्थान से ज्यादा प्राथमिकता पार्किंग को दी जा रही है।

पता नहीं मुख्यमंत्री ने कैसे नौसिखिए सलाहकार रख लिए हैं और सुनिए देश के 36 केंद्र शासित राज्यों और पूर्ण राज्यों में शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड का 34वां स्थान है।

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अब भाजपा ही बताए की ये गर्व की बात है या शर्म की बात है? और ऐसे में यह दशकों पुराने नामी शिक्षण संस्थानों को बंद करके वहां पार्किंग खोलने का मंसूबा पालने वाली सरकार को बैल बुद्धि नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे।

शासन की ओर से कहा जा रहा है कि सेंट जोसेफ की 90 साल की लीज खत्म हो गई थी। दसौनी ने कहा कि यदि लीज खत्म हो गई थी तो उसको रिन्यू भी किया जा सकता है, परंतु सूत्रों से पता चला है कि अपने नेताओं और उनके प्रतिष्ठानों को लाभान्वित करने के लिए ऐसा ऊल-जलूल फैसला लिया गया और मात्र 24 घंटे में यू टर्न ले लिया गया, जिससे सरकार और शासन की जमकर किरकिरी हो रही है।

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