Header banner

जिंदगी को सोशल मीडिया की रील न समझें युवा

admin
s 1 4

जिंदगी को सोशल मीडिया की रील न समझें युवा

प्रशांत मैठाणी

देहरादून जिसे भारत की स्कूलों की राजधानी (school capitals of india) के नाम से जाना जाता है। देश की नामी स्कूलों से लेकर FRI, IMA, और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक प्रशिक्षण अकादमी (मसूरी) जैसे संस्थाओं का शहर है। साथ ही देश की अनेक आर्डिनेंस फैक्ट्री यहीं है। यों कहें तो भगवान ने इसे सब कुछ से सजाया और संवारा है। जब देश में ब्रिटिश हुकूमतों का राज था तब भी लाट साहब यहीं राजपुर रोड और मसूरी में रहना पसंद करते थे। बीते 2 दिन पूर्व देहरादून की सड़क पर हुआ भीषण कार एक्सीडेंट ने राज्य ही नहीं पूरे देश को हैरान कर दिया। इस दुर्घटना का समय रात के 2 बजे के आसपास था और सारे युवाओं की उम्र 20-22 साल!

यह देखकर अब हर अविभावक सन्न और निशब्द हो चुका है। कुछ भी कहने और समझाने की स्थिति में नहीं है। अब जिन अविभावकों के बच्चे उनसे अलग किसी अन्य शहर में पढ़ लिख रहे होंगे, उनका खुद के बच्चों पर विश्वास नहीं बन पा रहा है या अब बच्चों को दिन में 2-3 बार बात भी कर लेंगे, तब भी वे चिंतित रहेंगे! जिसने भी उस घटना का दुखद वीडियो देखा वो हे राम! कहते हुए कुछ नहीं कह पा रहे हैं।

यह पढ़ें : Strong land law- उत्तराखण्ड में जल्द लागू होगा सशक्त भू-कानून : सीएम धामी

इस दुर्घटना को कुछ ही दिनों में भूल या भुला दिया जायेगा, पर जिन घरों के चिराग बुझे हैं उनकी क्या स्थिति होगी, यह शब्दों में बयां नहीं होगी। आजकल की नई पीढ़ी को यह समझना होगा कि आज का छात्र, कल का भविष्य! जीवन में अनुशासन होना कितना जरूरी होता है, यह एक उम्र के बाद ही पता चलता है, पर जब उस उम्र तक ही नहीं पहुंच पाओगे तो क्या होगा!

अपने से बड़ों को सम्मान न देना, हवा में गाड़ी चलाना, नशे में देर रात्रि सड़कों पर फर्राटा बाइक या कार लेकर चलना आदि से आपके उच्च भौतिक सुख सुविधाओं से संपन्न होने का प्रदर्शन तो हो सकती है, पर यह परवरिश को भी प्रदर्शित करता है। नशा, तेज रफ्तार और हादसा इसके अलावा कुछ नहीं होता, कभी खुद हादसे के शिकार हो जाते हो तो कभी किसी बेगुनाह को…!

जिंदगी को सोशल मीडिया की रील न समझे। जीवन सोशल मीडिया के लाइक और कमेंट तक ही सीमित रखे। आज की पीढ़ी सोशल मीडिया को ही जिंदगी समझने लग गई है। इन्हीं कारणों से अब दुनिया के कही शिक्षित देशों में बच्चों का सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने मांग बढ़ती जा रही है। आज की पीढ़ी के लिए कहीं न कही उनके अभिभावक भी उतने ही जिम्मेदार है जितने वे स्वयं।

यह पढ़ें : पलायन (Migration) रोकथाम के लिए बनेगी अल्प, लघु और दीर्घकालिक योजनाएं : धामी

बच्चों से दूरी बनाकर, कम बोलचाल, भरपूर भौतिक सुख सुविधाओं से संपन्न कर अविभावक बच्चों को नरक में झोंक रहे हैं। अविभावको का अपनी बच्चों से ज्यादा दूरी होना भी गलत है। यदि आप किसी सम्पन्न देश की जानकारी लें तो पाएंगे कि यदि आपके बच्चे का वजन यदि उनके सामान्य वजन से ज्यादा हो जाए तो इसका दंड उसी अविभावक से ही लिया जाता है। आज युवा अपराध के एक कारण यह भी है कि अविभावकों की बच्चों से दूरी होना!

यह भी सत्य है कि आज भी अनेक दोपहिया वाहनों को 18 साल से कम उम्र के बच्चे दौड़ा रहे हैं। बिना लाइसेंस, बिना हेलमेट, बिना इंश्योरेंस! कुछ ऐसा ही चौपहिया वाहनों की भी है। और यह वाहन दिए भी अविभावकों ने ही हैं। आज के समय बिना वाहन चलाए कोई काम संभव भी नहीं है। पर उनको नियम और कायदे के अन्दर ही रहकर!

बात करें देहरादून की तो हाल के दिनों में होने वाली घटनाएं बहुत चिंतित करने वाली हैं। हर रोज जब सुबह अखबार खोला जाता है तो अनेक दुखद और वीभत्स घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं, यदि सोशल मीडिया खोलें तो अनेक आपराधिक वीडियो! जब उन वारदातों में 18/20/22 के युवा शामिल हों या उनके साथ यह घटना हो तो यह सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती।

आज के युवा एक बार यह जरूर सोचें कि जब मां बाप यह सोच रहें हो कि हमारा बच्चा तो पढ़ लिख कर सो गया होगा और सुबह किसी चौराहा पर जब उधड़ी हुई बॉडी देखे तो उन पर क्या गुजरेगी! उनका जीवन नर्क कर दिया है तुमने!

यह पढ़ें : Uttarakhand: साल 2025 तक डेढ़ लाख महिलाएं बनेगी लखपति दीदी (Lakhpati Didi) : मुख्यमंत्री धामी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

महिला आयोग की अध्यक्ष ने जिला कारागार चमोली का किया निरीक्षण, व्यवस्थाओं का लिया जायज़ा

महिला आयोग की अध्यक्ष ने जिला कारागार चमोली का किया निरीक्षण, व्यवस्थाओं का लिया जायज़ा जनपद चमोली के पुरसाड़ी स्थित जिला कारागार में महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिए निर्देश महिला कैदियों के लगे सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन चमोली/मुख्यधारा राज्य […]
k 1 4

यह भी पढ़े