सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
तहसील ऊखीमठ ग्राम पंचायत मक्कू के राजस्व ग्राम दिलणा-ग्वाड में लगातार भू-धंसाव जारी है। वर्तमान समय में छ: गौशालाएं पूर्ण क्षतिग्रस्त व पांच गौशालाएं खाली करवा ली गयी हैं। इसके अतिरिक्त आठ परिवार भी अभी तक अन्य परिवारों के यहां शरण लिए हुए हैं। रात्रि को भारी वर्षा होने पर सभी दिलणा वासी एक ही पंचायती चौक में इकट्ठा रात्रि जागरण करते हैं। उनका कहना है कि बचेंगे भी तो सब यहीं पर और मरेंगे भी तो सब यहीं पर…।
ग्रामीण बताते चलें हैं कि विधायक केदारनाथ मनोज रावत व पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग के सहयोग से दो बड़े टैंट आपदा प्रभावितों को थानाध्यक्ष ऊखीमठ की उपस्थिति में उपलब्ध करवाए गए हैं। इसके अलावा प्रशासन से मिलने वाले आठ टैंटों के क्रम में मात्र अभी तक एक ही टेंट उपलब्ध करवाया गया है। जल संस्थान के सहयोग से भी अस्थाई पेयजल की व्यवस्था इस प्रभावित क्षेत्र के लिए करवायी जा रही है। प्रभावित क्षेत्र में अभी तक प्रभावितों की कुशलक्षेम पूछने के लिए केदारनाथ विधायक मनोज रावत, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट, जिला पंचायत सदस्या रीना बिष्ट एवं सम्पूर्ण प्रधान संगठन ऊखीमठ पहुंच चुका है।
ग्रामीणों का कहना है कि विधायक मनोज रावत का आपदा की घड़ी में उन्हें सहारा मिल रहा है और वे प्रभावित क्षेत्र में नजर बनाए हुए हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से उन्हें अपेक्षा के अनुरूप मदद नहीं मिल पा रही है। अभी तक क्षेत्रीय राजस्व उपनिरीक्षक ही आपदा प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे हैं। जिन्होंने अपने स्तर से प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर प्रभावितों का हाल-चाल जाना है।
स्थिति इतनी चिंताजनक है कि उक्त प्रभावित क्षेत्र में जब तक भू-गर्भ की टीम आकर क्षेत्र के किसी भी भाग में रहने न रहने योग्य स्थिति को स्पष्ट नहीं कर देती, तब तक कुछ कह पाना मुश्किल है। विस्थापन की स्थिति को लेकर भू-गर्भ की टीम के सर्वेक्षण के उपरान्त ही कुछ कहा जा सकता है।
प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन को बार-बार पत्र के माध्यम से व मीडिया के माध्यम से अवगत कराया जा रहा है कि यदि शासन-प्रशासन समय पर उनकी सुध नहीं लेता है तो भारी मूसलाधार वर्षा में कभी भी उक्त क्षेत्र में भारी तबाही हो सकती है। भू-धंसाव क्षेत्र में हो रही दिन प्रति दिन की हानि के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदार शासन-प्रशासन ही है।
प्रधान ग्राम पंचायत मक्कू का कहना है कि ग्रामीणों को कुदरत की मार पडऩे के साथ ही सरकार व प्रशासन की बेरुखी भी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि बरसात के इस आपदाकाल में जिला प्रशासन को शीघ्र सक्रिय होकर प्रभावित क्षेत्रों की सुध लेनी चाहिए, अन्यथा यदि ऐसी ही देरी होती रही तो क्षेत्र में किसी बड़ी अनहोनी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।