- पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात चातुर्मास (चैमासा) प्रवास पूरा कर दरबार साहिब से लौटी
- पुष्पवर्षा के साथ आचार्य चंद्र भगवान व गुरु राम राय जी महाराज के जयकारे गूंजे
- सनातन परंपरा के अनुसार कुंभ आयोजन के बाद पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संत-महंत चातुर्मास (चैमासे) के लिए दरबार साहिब पधारते हैं
देहरादून/मुख्यधारा
पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की भ्रमणशील जमात दरबार गुरु राम राय महाराज में चैमासा प्रवास पूर्णं कर शनिवार को वापस लौट गई। यह जमात देश भर का भ्रमण कर सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करती है। उदासीन भेष संरक्षण समिति के अध्यक्ष व दरबार साहिब के श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज की अगुआई में साधु-संत-महंतों को श्रद्धापूर्वक भावपूर्णं विदाई दी गई। दरबार साहिब प्रबन्ध समिति की ओर से पारपंरिक रीति रिवाजों का निर्वहन किया गया। आचार्य श्रीचंद्र भगवान व गुरु राम राय महाराज के जयकारों के बीच साधु-संत महंत भावि विभोर दिखाई दिए।
दरबार साहिब प्रबन्ध समिति के सह व्यवस्थापक विजय गुलाटी ने जानकारी दी कि कोविड गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए सूक्ष्म विदाई समारोह का आयोजन किया गया। काबिलेगौर है कि सनातम धर्म की परंपरा के अनुपालन में हर कुंभ आयोजन के बाद पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के तपस्वी संत-महंतों की भ्रमणशील जमात दरबार साहिब देहरादून पहुंचती है व दरबार साहिब में चैमासा प्रवास के लिए ठहरते हैं।
पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की चार धुंए पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण हैं। इनके चार श्रीमहंत होते हैं। श्रीमहंत रघुमुनि महाराज, श्रीमहंत उमेश्वर दास महाराज, श्रीमहंत दुर्गादास महाराज व श्रीमहंत अदित्यानंद महाराज की अगुवाई में साधु संत-महंतों का यह प्रतिनिधिमण्डल चैमासा प्रवास के लिए दरबार साहिब में प्रवास पर रहा। चैमासा प्रवास को तपस्वी संतो का चलता फिरता तीर्थ माना जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार दरबार साहिब प्रवास के दौरान उनके द्वारा विशेष पूजन, ध्यान व वैदिक परंपराओं का निर्वहन किया गया।
अपने प्रवास के दौरान उन्होंने आचार्य चंद्र भगवान व गुरु राम राय महाराज की विशेष पूजा अर्चना अरदास व अनुष्ठान किये, देश में सुख शांति व समृद्धि की कामना की व कोरोना मुक्त देश-दुनिया की कामना करते हुए विशेष पूजन हवन आयोजित किये। कर्मकांड, पूजन, आराधना के अलावा माह में पड़ने वाली विशेष तिथियों पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान किये।
उदासीन भेष संरक्षण समिति के अध्यक्ष व दरबार साहिब के श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने कहा कि कुंभ आयोजन के बाद उदासीन समप्रदाय के संतों का पर्दापण दरबार साहिब में होता है, वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। संत परंपरा से ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। दरबार साहिब परिवार सौभाग्यशाली है कि उन्हें हर कुंभ आयोजन के बाद साधु-संत-महंतों की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होता है। चैमासा प्रवास के दौरान दरबार साहिब में मिले प्रेम-स्नेह-आदर व भक्ति भाव के लिए साधु संतों ने आभार व्यक्त किया व सभी सेवादारों व श्रद्धालुओं की दीर्घायु की कामना करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया।