लगातार दो विधानसभाओं से विधायकी का चुनाव हारने वाले कांग्रेस के भूतपूर्व अध्यक्ष किशोर उपाधाय्य शायद कांग्रेस की दुर्गति को भांप गये हैं। उनके द्वारा की गई पोस्ट को अब हताशा समझें या फिर महिला दिवस पर महिलाओं का सम्मान, आइए आप भी पढिए वह पोस्ट:-
“प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में महिला कांग्रेस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में किशोर उपाध्याय ने कहा कि एक नये प्रयोग के तौर पर राज्य के राजनैतिक दलों को 70 की 70 विधान सभा सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े करने चाहिये।
उपाध्याय ने कहा कि 2017 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने इस विचार को आगे बढ़ाया था, उन्होंने तत्कालीन प्रभारी श्रीमती अम्बिका सोनी, सह प्रभारी संजय कपूर व तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री हरीश रावत को व स्क्रीनिंग कमेटी में भी इस विचार को रखा था, लेकिन वे अपनी बात को मनवा न सके।
यदि उनकी बात कांग्रेस पार्टी मान लेती तो कांग्रेस आज राज्य में सत्ता में होती।
उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड से स्त्री विमर्श का आन्दोलन शुरू हुआ, जब सती ने दक्ष के हवन कुण्ड में अपनी आहुति दे दी।
गंगा की जन्मभूमि में आधी आबादी की दशा व दिशा अत्यन्त चिन्ता जनक है।
यदि उन्हें 5 साल सरकार चलाने का अवसर मिलता है तो देश और दुनिया में उत्तराखंड से एक अच्छा संदेश जायेगा और महिलायें जैसे घर का प्रबन्धन करती हैं, प्रदेश को भी सुव्यवस्थित कर देंगी।”
बहरहाल, जिस खराब दौर से कांग्रेस वर्तमान में गुजर रही है, उसको देखते हुए किशोर उपाध्याय की इस पोस्ट का तात्पर्य यह भी हो सकता है कि वे 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी को मैदान में उतारना चाह रहे हों।
अब देखना यह है कि 2022 के चुनाव में कांग्रेस किस फार्मूले पर काम करती है!