मुख्यधारा संवाददाता/यमकेश्वर
यमकेश्वर विधानसभा सीट को भाजपा का सुरक्षित गढ़ माना जाता है। इस सीट पर उत्तराखंड गठन के बाद से भारतीय जनता पार्टी के अलावा कोई अन्य दल अपना झंडा नहीं फहरा पाई है। बावजूद इसके भगुवा रंग पर इतना विश्वास करने वाली जनता को जनप्रतिनिधियों द्वारा हर बार छला गया है। ऐसे में अभी से ”यमकेश्वर की जनता करे पुकार: महेंद्र राणा अबकी बार’ का नारा पूरे विधानसभा क्षेत्र में गूंज रहा है।
आइए जानते हैं कौन हैं महेंद्र राणा
महेंद्र राणा वर्तमान में द्वारीखाल ब्लॉक प्रमुख हैं और प्रमुख संगठन उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इससे पूर्व वह दो बार कल्जीखाल ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के घट्टूगाड से सड़क से पांच किमी. दूरी पर स्थित पलेल गांव उनका पैतृक गांव हैं। बीती 13 जुलाई को जब महेंद्र राणा अपने गांव पलेल पहुंचे तो उन्हें अपने बीच पाकर ग्रामीण खुशी से झूम उठे। तब उनसे ग्रामीणों ने कहा कि बेटा आपका नाम हमने बहुत सुना है। आपने कल्जीखाल ब्लॉक में रहते हुए विकासखंड में विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। और हां… जिस किसी से भी बात होती है तो सबसे पहले एक ही बात कहता है कि कल्जीखाल ब्लॉक की उस चमचमाती बिल्डिंग को देखा है आपने… क्या शानदार बिल्डिंग बनाई है महेंद्र राणा ने। बस! यही बात सुनकर हम चाहते थे कि विकास की ऐसी सोच रखने वाला हमारा बेटा यदि यमकेश्वर का प्रतिनिधित्व करे तो हमें भी मूलभूत समस्याओं से निजात मिले।
उस दिन पलेल गांव के बुजुर्गों ने राणा को बताया कि बेटा हम सड़क से पांच किमी. की खड़ी चढ़ाई नापकर गांव पहुंचते हैं। सामान लाना हो या फिर किसी बीमार को ले जाने की स्थिति में ग्रामीणों के कंधों का सहारा लेना पड़ता है। पूर्व के सभी जनप्रतिनिधियों ने हमेशा सड़क पहुंचाने का वायदा किया, किंतु हम हमेशा छले गए। इसलिए हम चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में आप विधानसभा पहुंचो और इस तरह की समस्याओं का निस्तारण करवाओ।
दरअसल, ”यमकेश्वर की जनता करे पुकार: महेंद्र राणा अबकी बार” का नारा उस दिन इसी पलेल गांव में निर्मित हुआ और राणा ने ठान लिया कि यदि यमकेश्वर की जनता यही चाहती है तो वह भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और उन्होंने उस दिन ग्रामवासियों के सामने ही यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के विकास का संकल्प ले लिया।
महेंद्र राणा के विकासपरक संकल्प और कार्य शैली का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके विकास कार्यों पर भारत सरकार ने भी लगातार तीन कार्यकाल में मुहर लगाई हैं और उन्हें प्रतिष्ठित पंचायत पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार दो बार उन्हें कल्जीखाल प्रमुख रहते हुए प्राप्त हुआ और इस बार द्वारीखाल के प्रमुख रहते हुए यह पुरस्कार मिला। उन्हें मिला यह पुरस्कार न सिर्फ द्वारीखाल, बल्कि संपूर्ण यमकेश्वर विधानसभा की जनता के लिए भी शुभ संकेत है।
द्वारीखाल प्रमुख के रूप में अपने करीब दो साल के कार्यकाल के दौरान श्री राणा ने जो उपलब्धियां हासिल की, क्षेत्रीय जनता का मानना है कि ऐसा कोई प्रतिनिधि पांच साल के कार्यकाल में भी नहीं कर पाया। यह तब है, जब उनके कार्यकाल का अधिकांश समय कोरोनाकाल की भेंट चढ़ गया, किंतु उन्होंने अपनी परवाह किए बिना अपने क्षेत्रवासियों की चिंता की। जब गरीब व जरूरतमंद लोग कोरोना से उपजे संकट से जूझ रहे थे, तब उन्होंने हर जरूरतमंद की मदद करने में कोई संकोच नहीं किया। रसद की व्यवस्था करने की बात हो चाहे कोरोना से बचाव एवं जागरूकता की कड़ी में मास्क, सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर व दवाएं बांटना, उन्होंने प्रत्येक जरूरत को प्राथमिकता के साथ पूरा करने का प्रयास किया।
यही नहीं जरूरतमंद विद्यार्थियों को गोद लेकर उनका पढ़ाई का पूरा खर्च वह अपने संसाधनों से कर रहे हैं। यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में अब तक वे करीब एक हजार ऐसे जरूरतमंद बच्चों को गोद ले चुके हैं। उनकी टीम प्रत्येक विद्यालयों में जाकर बच्चों को किताबें, ड्रैस, जूते आदि जरूरी चीजें उपलब्ध करा रही है। यही कारण है कि वह जिधर भी जाते हैं, उनके बड़ी संख्या में समर्थक उनका स्वागत करने को तैयार रहते हैं।
महेंद्र राणा कहते हैं कि उनका मकसद राजनीति नहीं, बल्कि वे ग्राउंड जीरो पर काम करने में विश्वास रखते हैं। वे सवाल पूछते हुए कहते हैं कि बीस वर्षों बाद भी पलेल जैसे दर्जनों गांवों में आज तक भी सड़क क्यों नहीं पहुंच पाई? स्वास्थ्य केंद्रों की ऐसी हालत क्यों है कि छोटी-मोटी बीमारी में भी मरीज को कंधे पर लादकर ऋषिकेश या कोटद्वार ले जाना पड़ता है? ऐसा क्या कारण है कि हमारे क्षेत्र के बच्चे आज ऋषिकेश, देहरादून या कोटद्वार में पढऩे के लिए जाने को विवश है? वे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सोचना तो आपको ही पड़ेगा और जब तक आप नहीं जागेंगे, तब तक यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र का भला नहीं हो सकता!
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