देहरादून/मुख्यधारा
जौनपुर विकासखंड के सकलाना पट्टी मरोड़ा में बुराँस (burans) को आमदानी के स्रोत बनाने के लिए पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी के नेतृत्व में युवाओं को बुराँस से होने वाले फायदे तथा रोजगार से जोड़ने के लिए गोष्ठी का आयोजन किया।
पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी कहते हैं कि प्रकृति की अनोखी छटा देखनी हैं तो उत्तराखंड के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में आइये जहाँ मनमोहक दृश्य के साथ यहां उगने वाले पेड़ पौधे व जड़ी बूटियां जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।
डॉक्टरों की कमी के चलते हमारे गांव के वैध इन्ही फूलों व जड़ी बूटियों से बीमारी के उपचार करते थे। बुराँस (burans) एक स्वास्थ्य वर्धक पौधा हैं, इसके फूलों से शरबत, जैम, चटनी, हर्बल ग्रीन टी व रंग बनाये जाते हैं, इसमें आयरन, कैल्शियम, जिंक आदि पोषक तत्त्व मिलते हैं, बुराँस का जूस हृदय रोगियों, बुखार, मांसपेशियों व सिर दर्द में लाभकारी होता हैं। बुराँस का पेड़ इमारती हैं, जिनसे कृषि यंत्र बनाये जाते हैं और इसके पत्तों को पशुओं में बिछाते हैं, जिससे जैविक खाद बनाई जाती हैं।
हमारे पूर्वज छानियों में ठंड से बचने के लिए अपने सोने में इसके पत्तों का प्रयोग करते थे तथा तम्बाकू में बुराँस (burans) के पत्तों को मिलाकर पीते थे बुराँस के पौधें को रोजगार से जोड़कर आर्थिकी के स्रोत बनाया जा सकते हैं बुराँस के फूल को फूलदेई त्योहार से जोड़ा हैं ताकि इसका संरक्षण हो सके।
ज्योति कहती हैं हमारे जंगलों में उगमे वाला बुराँस (burans) का फूल आमदनी का अच्छा स्रोत हैं, वहीं शीला स्वास्थ्य के लिए इसे लाभकारी बताते हुए इसका उपयोग करने की अपील करती हैं।
गोष्ठी में निकिता, ज्योति, संध्या, आशा, हैप्पी, रीना, आंशिका, पूजा, लक्ष्मी, दीपक, सागर, संदीप, नीरज, राहुल, हिमांशु, कीर्ति, भवानी देवी, सौकिना देवी, सुरजा देवी आदि थे।