मुख्यधारा/देहरादून
उत्तराखंड कांग्रेस में कल दिनभर चले नाराजगी के शोर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। धारचूला से वरिष्ठ विधायक हरीश धामी (harish dhami) भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने हमेशा उनकी उपेक्षा की है, किंतु वे ऐसे विधायक हैं, जब वर्ष 2017 विधानसभा में देश सहित उत्तराखंड में भी मोदी की प्रचंड लहर थी, उस समय भी उन्होंने धारचूला में जीत दर्ज की थी। बावजूद उनकी उपेक्षा की जा रही है।
गत दिवस सियासी गलियारों में कांग्रेस के आठ से दस विधायकों की नाराजगी की बातें सामने आ रही थी। हालांकि सभी वरिष्ठ नेता इन बातों से अनभिज्ञता जताने का प्रयास करते हुए देखे गए, किंतु एक बात सभी में समान रूप से देखी गई, जिसमें प्रमुख नेताओं ने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी राय नहीं ली गई।
इसके इतर धारचूला से कांग्रेस विधायक (harish dhami) काफी समय से पार्टी से प्रदेश में युवा नेतृत्व को आगे लाने की पैरवी कर रहे थे। हालांकि पार्टी युवाओंं को तो आगे लाई, किंतु वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया। इस पर आग में घी डालने का काम प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के उस बयान ने किया, जिसमें उन्होंने कहा है कि मैरिट के आधार पर जिम्मेदारियां दी गई है।
देवेंद्र यादव की बात पर हरीश धामी (harish dhami) ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि मैरिट के आधार पर ही ये सब होता तो फिर उनकी उपेक्षा नहीं होती। पहली बार जीतकर आने वाले विधायक को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना और तीन बार के विधायक की विधायक की उपेक्षा किया जाना पार्टी के लिए सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें हमेशा नीचा दिखाने का काम किया।
उन्होंने (harish dhami) कहा कि यहां केवल धन व चाटुकारों की ही पूछ होती है, इसलिए मैंने अब मन बना लिया है कि मेरा अगला राजनैतिक कदम क्या होगा, लेकिन इससे पहले अपने क्षेत्र की जनता से बात करूंगा और उनका जो भी निर्णय होगा, उसी के अनुरूप अगला कदम उठाया जाएगा।
उधर उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हीरा सिंह चिराल ने प्रदेश प्रभारी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में वर्तमान समय में सक्रिय एवं ईमानदार पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। जिसको देखते हुए मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी क प्राथमिक सदय एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पद से त्याग पत्र देना चाहता हूं।
बताते चलें कि गत दिवस आठ से दस विधायकों के गुपचुप बैठक होने की बात सामने आई थी। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो समय बीतने के साथ ही स्पष्ट हो पाएगा।
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, विधायक प्रीतम सिंह एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने इन बातों को हवाई करार देते हुए इससे अनभिज्ञता जताई था। हालांकि यह अलग बात है कि जनपद चमोली के पदाधिकारियों ने प्रदेश में नई जिम्मेदारियां मिलने के बाद सबसे पहले सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में विधायक राजेंद्र भंडारी का यूं कहना कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, समझ से परे है।
बहरहाल, विधायक हरीश धामी (harish dhami) के बगावती तेवर देख कांग्रेस के माथे पर बल जरूर पड़े गए हैं। ऐसे में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के समक्ष अपने रूठे नेताओं को मनाने की पहली सबसे बड़ी चुनौती होगी। अब देखना यह होगा कि वे डैमेज कंट्रोल कर पाने में सफल हो पाते हैं या नहीं!
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