भूपेंद्र नेगी/गोपेश्वर
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के माध्यमिक शिक्षा विभाग में समूह ‘ग’ के अन्तर्गत सहायक अध्यापक एलo टीo पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से सहायक अध्यापक के (13) विषयों के लिए 1431 पदों पर विज्ञप्ति निकली थी। सहायक अध्यापक एलo टीo की रिक्रूटमेंट की अंतिम तिथि 4 दिसम्बर 2020 को रखी गई थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते संभावनाओं को देखते हुये 21 मार्च 2020 में सम्पूर्ण रूप से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था। जिसके चलते 5 जुलाई 2020 को केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) संपन्न नहीं हो पायी, लेकिन कोरोना कम होते ही 31 जनवरी 2021को केन्द्रीय शिक्षक पात्रता (CTET) परीक्षा पूर्ण रूप से संपन्न हुई थी, जिसका रिजल्ट 26 फरवरी 2021 को जारी किया गया था, जबकि सहायक अध्यापक एलoटीo भर्ती परीक्षा की अंतिम तिथि 04 दिसम्बर 2020 को रखी गई थी।
कोरोना के चलते जिस परीक्षार्थियों ने 2021 में केन्द्रीय शिक्षक पात्रता (CTET) परीक्षा उत्तीर्ण की थी, उनका ध्यान रखते हुये पुनः उन अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक एलo टीo भर्ती परीक्षा में आवेदन करने का मौका दिया गया और उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा पुनः सहायक अध्यापक (एलo टीo) भर्ती अंतिम तिथि में संशोधन करके पुनः आवेदन की अंतिम तिथि बड़ाई गई थी, जिसके बाद 8 अगस्त 2021 को उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सहायक अध्यापक की भर्ती गढ़वाल एवं कुमाऊ मण्डल में संपन्न कराई गयी, जिसमें लगभग 44302 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। जिसका रिजल्ट उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कला विषय को छोड़कर अन्य सभी 12 विषयों का रिजल्ट 31 दिसंबर 2021 को घोषित किया था।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की अनियमितताओं के कारण आज जिन शिक्षकों ने बच्चों को उच्च शिक्षा देनी थी, ये शिक्षक आज उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सामने नतमस्तक होकर बार-बार हाई कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। दुर्भाग्य की बात ये है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी शिक्षकों को न्याय नहीं मिल पा रखा है, जबकि उत्तराखण्ड में शिक्षकों के कई पद रिक्त चल रहे हैं और बेरोजगारी चरम में है। ऐसे में उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग शिक्षकों के साथ ही नहीं, बल्कि देश के भविष्य के साथ भी चूहा-बिल्ली का खेल खेल रही है और उत्तराखण्ड राज्य सरकार तो उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भी दो कदम आगे निकल कर इस ओर आँखे मूंदी बैठी है। सरकार अपने राज्य के बेरोजगारों के हित में नहीं सोच रही है और बेरोजगार दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं।
बहरहाल अब देखना यह होगा कि इन बेरोजगारों के हित में कब तक सकारात्मक निर्णय लिया जाता है।