देहरादून/मुख्यधारा
आचार्य रजनीश (ओशो) मूवमेंट की इंस्ट्रुमेंटल स्पोक्सपर्सन मां आनंद शीला ने कहा कि जिंदगी का कठिन समय सबसे बड़ा शिक्षक होता है। जो आपको जीवन के असली मायने से रूबरू कराता है। मां आनंद शीला ने आज ग्राफिक एरा (Graphic Era) की अंतरराष्ट्रीय टेड टॉक से जुड़े ट्रेडेक्स ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी वूमेन को संबोधित किया।
इस समारोह में प्रख्यात अभिनेत्री संध्या मृदुल, डीआईजी उत्तराखंड पुलिस निवेदिता कुकरेती समेत विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष से मंजिल पाने वाली महिलाओं हस्तियों ने महिला सशक्तिकरण की बातों को रखा।
रजनीश (ओशो) मूवमेंट की पूर्व प्रवक्ता मा आनंद शीला ने युवाओं से अपने जीवन का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने 39 महीने जेल में बिताए हैं। जो उनके अपने जीवन का एक कठिन समय रहा है। लेकिन जेल का जीवन उनके लिए सर्वोच्च शिक्षा भी रही है। जेल के जीवन ने उन्हें समय की कीमत, धैर्य बनाए रखना और परिस्थितियों को स्वीकार करने के साथ-साथ सहज जीवन जीना सिखाया है।
उन्होंने कहा कि प्रेम जीवन का सबसे अनमोल भाव है। प्रेम अपने जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने की ताकत देता है।उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन के बेसिक वैल्यूज को जानना ही सच्ची शिक्षा है।जिंदगी में परिवर्तन होते रहते हैं।इससे डरना नहीं चाहिए,अपने दिल की सुनो और कंफर्ट जोन से बाहर निकलो। उसके लिए साहस के साथ विश्वास रखो, आज मैं जियो, तभी आपकी जिंदगी खुशनुमा और सरल बनेगी।
युवाओं में बढ़ रहे डिप्रेशन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, कि आज पूरी दुनिया भर के युवाओं में डिप्रेशन बढ़ रहा है।अपनी कमजोरी,अपने गुणों और क्षमता के साथ यदि हम अपने परिवेश की वास्तविकता का आकलन करें और अपनी इच्छाओं- अपेक्षाओं का संतुलन करें, तो डिप्रेशन से दूर रह सकते हैं।
प्रख्यात फिल्म- टीवी अभिनेत्री संध्या मृदुल ने कहा कि उनका सपना था कि वह एक अभिनेत्री और डांसर बने। ऐसा काम, जिससे उन्हें प्यार हो, और खुद की पहचान हो, लेकिन उनकी यह सफर आसान नहीं था। लेकिन उन्हें खुद पर विश्वास था। सेल्फ बिलीव ने मंजिल तक पहुंचने के लिए हौसला बढ़ाया।
संध्या ने युवाओ को खुद का सपना देखने के लिए कहा,उसके लिए उन्हें निर्णय, दृढ़ निश्चय और खुद पर विश्वास करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब आप खुद पर विश्वास करोगे, तभी लोग आप पर विश्वास कर सकते हैं। और आपका साथ दे सकते हैं।
समारोह में की-नोट स्पीकर,उत्तराखंड पुलिस की डीआईजी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और साइक्लोजिकल सशक्तिकरण की भी जरूरत है।
घर हो या समाज महिलाओं से हमेशा ही चुप रहने को कहा जाता है। उनकी आवाज को हमेशा दबाया जाता है। हमें इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। महिलाओं से भी उन्होंने अपील की कि लोग क्या कहेंगे को दिमाग से निकालने की जरूरत है। आप बेटा बनकर ही नहीं, बल्कि बेटी बनकर भीअपना मुकाम पा सकते हैं। मैं महिलाओं के प्रति समाज की पूर्वाग्रशित धारणाओं को बदलना होगा।
उन्होंने कहा कि वह खुद एक ऐसे समाज से ताल्लुक रखती है।जहां एक उम्र के बाद लड़कियों के पढ़ाई से ज्यादा उनकी शादी पर जोर दिया जाता है। लेकिन उन्होंने आगे पढ़ाई पर जोर दिया,और फिर परिवार में उनके लिए एक सपोर्ट सिस्टम तैयार हुआ। आवाज नहीं उठाती तो शायद ही एक आईपीएस बन पाती। उन्होंने कहा कि मां होने के नाते सर्विस और घर के कामों के बीच का संतुलन बनाना जरूरी है। आप में जो कमियां हैं, उनको स्वीकार करना होगा, तभी आप का जो अस्तित्व है उसे बनाकर मुकाम बना सकते हैं।
ग्राफिक एरा (Graphic Era) हिल यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह में ग्राफिक एरा ग्रुप की सीनियर मैनेजमेंट पदाधिकारी राखी घनशाला ने मोमेंटो देकर वक्ताओं का अभिनंदन किया।
कार्यक्रम का संचालन सरिश्मा डांगी ने किया।
टेडक्स टॉक में अवंतिका मोहन, डॉ रुचि बडोला, संध्या गुंटरेड्डी, सबरी प्रसाद सिंह, मानिक कौर,डिंपल जांगड़ा, वसुधा राय, मोहा चिनप्पा, डॉक्टर भावना प्रभाकर, डॉक्टर अनीता पांडे ने भी अपनी कहानियों को साझा की।