वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) बजट पेश करने के लिए तैयार, देशवासियों के साथ विपक्ष को भी इंतजार, इन बदलावों पर लगी नजरें
मुख्यधारा डेस्क
आखिरकार वो दिन आ गया जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पांचवां बजट पेश करने जा रही हैं। इस साल बजट को लेकर पूरे देशभर की निगाहें लगी हुई हैं। साथ ही मोदी सरकार अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों की झलक भी इस बजट में देखने को मिलेगी। इसका बड़ा कारण यह है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले फुल बजट पेश करने जा रही है। बता दें कि अगले साल भी केंद्र सरकार बजट पेश करेगी लेकिन चुनाव से पहले जो पेश किया जाता है उसे अंतरिम बजट कहते हैं। इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव है, तो उससे पहले ये आखिरी फुल बजट है। सरकार के पास देश को बताने और जताने का बड़ा इंस्ट्रूमेंट होता है बजट। केंद्र सरकार के इस बजट को लेकर विपक्ष ने भी पूरी तैयारी कर रखी है।
बता दें कि सत्तारूढ़ सरकारों का चाहे कितना भी लोकलुभावन बजट क्यों न हो लेकिन विपक्षी पार्टियों को कभी रास नहीं आता है। निर्मला सीतारमण के पिटारे में आज क्या खुलेगा सभी को इंतजार है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आज आम बजट पेश करने वाली हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्तमंत्रालय से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात करने पहुंची। उन्होंने बजट की कॉपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिखाई। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद भवन के लिए निकलीं। कैबिनेट बैठक के बाद वह 11 बजे बजट पेश करेंगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बाद साड़ियों का बेहद खूबसूरत कलेक्शन है। उनके वार्डरोब में हर रंग की साड़ियां हैं। उन्हें काले रंग से परहेज है। वित्तमंत्री अक्सर नोटों के रंग से मैच साड़िया पहनती हैं। यह अंदाज उनका बेहद खास है। चाहे 10 रुपये का नोट हो, या 2,000 रुपये का नोट, उनकी साड़ियां, नोटों से अक्सर मैच कर जाती हैं। उन्हें साड़ियों से बेहद प्यार है। निर्मला सीतारमण हैंडलूम और सिल्क की साड़ियां ज्यादा पंसद करती हैं। बजट पेश होने से पहले वित्त राज्य मंत्री किशनराव कराड ने कहा है कि देश ने कोविड से अच्छी रिकवरी की है।
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आर्थिक सर्वेक्षण को देखें तो सभी क्षेत्रों में प्रगति हो रही है। अन्य देशों की तुलना में हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है। 2014 में जब पीएम ने शपथ ली थी तब भारत 10वें स्थान पर था, आज 5वें स्थान पर है। आर्थिक सर्वे 2022-23 के मुताबिक भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था और विश्व स्तर पर क्रय शक्ति समानता (PPP) के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सर्वे में यह भी कहा गया है कि महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था वह उससे उबर गई है। अर्थव्यवस्था जो रुक गया था उसे रिन्यूड किया जा रहा है। सर्वे में आगे कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए 6.8 प्रतिशत मुद्रास्फीति निजी खपत को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है या निवेश को कमजोर करने के लिए काफी कम है।
हर साल की तरह फरवरी महीने की पहली तारीख को सुबह 11 बजे से बजट भाषण शुरू हो जाएगा और देश का पूरा वित्तीय लेखा-जोखा जनता के सामने होगा. बीते दो वर्षों की तरह ही इस साल भी बजट डिजिटल यानी पेपरलेस होगा। हम आपको बता रहें हैं कि आप बजट टीवी-यूट्यूव-फेसबुक-ट्विटर समेत कहां-कहां देख सकते हैं। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी यूनियन बजट पेपरलैस होगा। मंगलवार को बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पूरी दुनिया की नजर भारतीय बजट पर है। उन्होंने कहा था, आज की वैश्विक परिस्थिति में भारत के बजट की तरफ ना सिर्फ भारत का बल्कि पूरे विश्व का ध्यान है। विश्व की डांवाडोल आर्थिक परिस्थिति में भारत का बजट भारत की जनता की आशाओं, आकांक्षाओं को पूरा करेगा।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने देश की जनता की उम्मीदों, आकांक्षाओं के साथ कई सवाल हैं जिनके जवाब वो अपने बजट भाषण के जरिए देने की कोशिश करेंगी।
देशभर में वित्त मंत्री के पिटारे में इन बदलावों को लेकर है उम्मीदें
इनकम टैक्स: 8 साल हुए, तब से कुछ नहीं बदला। तो इस बार टैक्स में छूट का दायरा बढ़ सकता है। बात आखिर 8 करोड़ से ज्यादा टैक्स पेयर्स की है।
2014 में छूट की सीमा ढाई लाख की गई थी। इसे 5 लाख किया जा सकता है। छूट बढ़ी तो लोअर इनकम क्लास को राहत मिलेगी। बाजार में भी चंद पैसे आएंगे। इकोनॉमी को सपोर्ट मिल सकता है।
महंगाई: गैस सिलेंडर 1100 रुपए का हो चुका है। कुछ जाने-माने लोग कह रहे हैं कि इनकी कीमतें कम करने का इंतजाम हो सकता है। उज्ज्वला योजना 9.58 करोड़ लोगों के पास है। इन्हें एक सिलेंडर पर 200 रुपए की सब्सिडी पिछले साल मई से दी जा रही है। इसे एक साल और बढ़ाया जा सकता है।
रोजगार और एजुकेशन लोन: बेरोजगारी पर कुछ बड़ा कहा जा सकता है। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए ऐलान किए जा सकते हैं। मनरेगा को मिलने वाला पैसा भी इस साल बढ़ाए जाने की उम्मीद है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ाने से भी रोजगार पैदा होंगे।
आत्म निर्भर भारत योजना (ABRY) के तहत 50.85 लाख नौकरियां पिछले साल दी जानी थी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट से 28% ज्यादा यानी 70 लाख नौकरियां दी गईं। इस पर फोकस बढ़ा तो इस साल नतीजे बेहतर हो सकते हैं। एजुकेशन लोन के सस्ते होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
स्मार्ट फोन: मोबाइल फोन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम्स पर इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी घटी तो अप्रैल के बाद मोबाइल खरीदना सस्ता हो सकता है। मार्केट की भी यही डिमांड है।
मार्केट तो यह भी मांग कर रहा है कि मोबाइल पर GST 18% से घटाकर 12% कर दी जाए, क्योंकि जब इसे 18% किया गया था तो 10 हजार वाले मोबाइल की कीमत 11 हजार 800 तक पहुंच गई थी। सरकार भी डिमांड मान सकती है।
पिछले साल ईयरफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी तो ये प्रोडक्ट्स महंगे हो गए। इस पर रियायत के आसार कम हैं, क्योंकि सरकार चाहती है कि ऐसे प्रोजेक्ट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग मजबूत हो।
हेल्थ सेक्टर: एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के बाद बीमा, वैक्सीन, टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को ज्यादा मजबूत करना ही होगा। ऐसे में सरकार हेल्थ बजट में 20-30% की बढ़ोतरी कर सकती है। पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 86 हजार 200 करोड़ दिए गए थे।
इस बार हेल्थ इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए इसे किफायती बनाया जा सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस पर लगने वाली GST को 18% से घटाकर 5% किया जा सकता है।